Banks special rules for account of deceased person – आज के आधुनिक दौर में पैसों का भुगतान और लेन देन बैंक अकाउंट में किया जाता है, जिसमें ग्राहकों को पास नेट बैंकिंग का विकल्प भी मौजूद होता है। इसके अलावा बैंक में ग्राहक अपनी कमाई का कुछ हिस्सा बचत के तौर पर जमा भी करता है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मृत्यु के बाद खाताधारक का सारा जमा किया हुआ पैसा किस व्यक्ति को मिलता है? दरअसल बैंक ने खाताधारक की मृत्यु हो जाने पर उसके द्वारा जमा किया हुआ पैसे को ट्रांसफर करने के लेकर 3 खास नियम बनाए हैं, जिन्हें जानना आपके लिए भी बेहद जरूरी है।
नॉमिनी (Nominee) को दिया जाता है पैसा
भारत में स्थिति लगभग सभी बैंकों में मृतक व्यक्ति के सम्बंध में विभिन्न नियम तय किए जाते हैं, ताकि उनकी जमा पूंजी कोई दूसरा व्यक्ति धोखाधड़ी करके न हड़प ले। ऐसे में जब कोई व्यक्ति बैंक में खाता खुलवाता है, तो उस फॉर्म पर नॉमिनी का नाम भरना अनिवार्य होता है।
नॉमिनी वह व्यक्ति होता है, जो खाताधारक की आकास्मिक मृत्यु के बाद उसके अकाउंट में जमा किए पैसों का हकदार होता है। ऐसे में बैंक में खाता खुलवाते वक्त नॉमिनी के रूप में उस व्यक्ति का नाम लिखा जाता है, जिससे खाताधारक का कोई सम्बंध होता है या फिर उसे उसके ऊपर पूरा विश्वास होता है।
ऐसे में अगर खाताधारक की मृत्यु हो जाती है, तो उसके अकाउंट में जमा पैसे नॉमिनी के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बैंक में खाताधारक का मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करना होता है, जिसके बाद बैंक अधिकारी उसकी जांच करते हैं।
इसके साथ ही बैंक नॉमिनी को अपने साथ 2 गवाह लाने को कहता है, जो इस बात की गवाही देते हैं कि वह मृतक खाताधारक का असल नॉमिनी है। इस तरह पूरी जांच पड़ताल करने के बाद बैंक नॉमिनी के खाते में पैस ट्रांसफर कर देता है, जबकि मृतक व्यक्ति का अकाउंट बंद कर दिया जाता है।
ज्वाइंट अकाउंट वाले को मिलती है राशि
अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी, बच्चों या किसी दोस्त के साथ ज्वाइंट अकाउंट (JOINT ACCOUNT) खोलता है, तो उस स्थिति में किसी एक खाताधारक की मृत्यु हो जाने पर दूसरे खाताधारक को अकाउंट में जमा किया हुआ पैसा आसानी से मिल जाता है।
इसके लिए ज्वाइंट अकाउंट में मौजूद दूसरे व्यक्ति को मृतक व्यक्ति से सम्बंधित मृत्यु प्रमाण पत्र की एक कॉपी बैंक की ब्रांच में जमा करनी होती है, जिसके बाद उस अकाउंट से मृतक व्यक्ति का नाम हटा दिया जाता है। इस तरह ज्वाइंट अकाउंट सिंगल अकाउंट में तब्दील हो जाता है, जबकि उसमें मौजूद पैसे का हकदार भी वही व्यक्ति होता है।
आपको बता दें कि ज्वाइंट अकाउंट उस खाते को कहते हैं, जिसमें दो व्यक्ति एक साथ मिलकर एक ही अकाउंट खुलवाते हैं। इस अकाउंट पर दोनों ही खाताधारकों का अधिकार होता है, जबकि किसी एक की गैर मौजूदगी में दूसरा व्यक्ति अकाउंट में पैसे डालने या निकालने जैसी प्रक्रियाओं को पूरा कर सकता है।
अगर न हो किसी नॉमिनी का नाम
आमतौर पर पुराने बैंक अकाउंट में खाताधारक का कोई नॉमिनी नहीं होता है या फिर वह फॉर्म भरते वक्त नॉमिनी का नाम लिखना भूल जाते हैं, ऐसे में बैंक के पास नॉमिनी से सम्बंधित किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं होती है। उस स्थिति में अगर खाताधारक की मृत्यु हो जाती है और उसका कोई नॉमिनी नहीं होता है, तो मृतक के परिवार को उसके अकाउंट में मौजूद धनराशि को निकलवाने के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
इसके लिए मृतक के परिवार को उनके द्वारा बनाई गई वसीयत या उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र बैंक को दिखाना पड़ता है, जिससे यह साबित होता है कि उस व्यक्ति का मृतक से किसी प्रकार का सम्बंध था। इसके बाद जब बैंक सारी जांच प्रक्रिया पूरी कर लेता है, तो मृतक खाताधारक के पैसे उसके उत्तराधिकारी को दे दिए जाते हैं।
आपको बता दें कि उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र (Succession Certificate) एक खास दस्तावेज होता है, जिसकी मदद से मृतक व्यक्ति के वारिस की पहचान की जाती है। ऐसे में अगर मृतक खातेदार की कोई वसीयत न हो, तो बैंक में उत्तराधिकारी पत्र की कॉफी जमा करना अनिवार्य होता है।