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Bancha Village: ये है भारत का पहला सोलर विलेज, जहां गांव के सभी घरों में सौर ऊर्जा से बनता है खाना

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Bancha Village: भारत में कई गाँव और कस्बों को उसकी खासियत की वजह से जाना जाता है, जिसकी वजह से उन जगहों का असल नाम बहुत ही कम लोगों को पता होता है। आज हम आपको एक ऐसे ही गाँव के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे पूरे राज्य में सोलर गाँव (Solar Village) के नाम से जाना जाता है।

यह गाँव (Bancha Village) सिर्फ नाम मात्र के लिए गाँव कहलता है, क्योंकि यहाँ हर तरह की सुख सुविधाएँ मौजूद हैं। इस गाँव में रहने वाले लोग पुराने पारंपरिक नियमों के छोड़कर आधुनिकता की तरफ बढ़ रहे हैं, जिसके तहत उन्होंने साधारण चूल्हों की जगह सौर ऊर्जा से चलने वाले चूल्हों (Solar Energy Stove) का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

Bancha Village is first first solar village of India

भारत का पहला सौर ऊर्जा वाला गांव (Bancha Village is first first solar village of India in Betul)

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल (Betul) जिले में स्थित बांचा गाँव (Bancha Village) को सोलर विलेज (Solar Village) के नाम से जाना जाता है, जो पूरे भारत के लिए एक आदर्श गाँव बन चुका है। दरअसल इस गाँव में रहने वाले लोग अपने घरों में साधारण चूल्हे के बजाय सौर ऊर्जा से चलने वाले चूल्हों पर खाना पकाते हैं, जिसकी वजह से गाँव की महिलाओं का जीवन काफी आसान हो गया है।

बांचा गाँव (Bancha Village) के लोगों को बिजली के लिए सरकारी विभाग के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं, क्योंकि यहाँ के नागरिक बिजली के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो चुके हैं। इस गाँव में लगभग हर घर में सोलर पैनल लगा हुआ है, जिससे बनने वाली बिजली से पूरे गाँव रोशन रहता है।

Bancha Village is first first solar village of India

ऐसे शुरू हुआ था सौर ऊर्जा का प्रचलन

बांचा गाँव (Bancha Village) के सोलर विलेज बनने की शुरुआत साल 2016 के दौरान हुई थी, जब भारत सरकार के ओएनसीजी(ONCG) द्वारा सोलर चूल्हा चैलेंज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इस प्रतियोगिता के दौरान आईआईटी मुंबई (IIT Mumbai) के छात्रों ने बेहद अनोखा चूल्हा तैयार किया था, जो सौर ऊर्जा के जरिए चलता था।

उस सौर चूल्हे (Solar Stove) के लिए आईआईटी मुंबई के छात्रों को पहले पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिसकी खबर अखबार में भी छपी थी। ऐसे में भारत भारती शिक्षा समिति नामक एनजीओ के सचिव मोहन नागर को जब यह खबर पता चली, तो उन्होंने आईआईटी मुंबई के छात्रों से संपर्क किया।

दरअसल मोहन नागर बांचा गाँव (Bancha Village) में सोलर पैनल (Solar Panel) लगवाना चाहते थे, ताकि वहाँ सौर ऊर्जा (Solar Energy) से चलने वाले चूल्हों का इस्तेमाल किया जा सके। लिहाजा उन्होंने सौर ऊर्जा का इंडक्शन मॉडल तैयार किया, जिसमें एक परिवार के लिए दो वक्त का खाना आसानी से बनाया जा सकता था। हालांकि बांचा गाँव के लोगों की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह सोलर पैनल को लगवाने का सारा खर्च उठा सके।

इसके बाद मोहन नागर ने ओएनजीसी विभाग से संपर्क किया और उन्हें बताया कि वह सौर ऊर्जा से चलने वाले चूल्हों का प्रयोग करना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने बांचा गाँव का चुनाव किया है। ऐसे में मोहन नागर के एनजीओ को सीएसआर की तरफ से फंड जारी किया गया, जिसके खर्च पर उन्होंने बांचा गाँव में 2017 से 2018 के बीच सोलर पैनल लगवाने का काम पूरा करवाया था।

जहाँ स्थानीय लोगों को अपने खर्च पर 70 हजार रुपए के सोलर पैनल लगवाने पड़ रहे थे, वहीं सीएसआर की तरफ से जारी किए फंड से उनकी समस्या हल हो गई थी। जिसके बाद बांचा गाँव में सोलर पैनल के जरिए बनने वाली सौर ऊर्जा से चूल्हा जलाने और बिजली की खपत को पूरा करने जैसे काम आसानी से पूरे किए जाने लगे थे।

जल संरक्षण के लिए भी निकाला तरीका

वर्तमान में इस गाँव के हर घर में सोलर चूल्हे पर खाना पकाया जाता है, जिसकी वजह से गैस और लकड़ी जैसे खर्च की बचत हो जाती है। वहीं बांचा गाँव के लोगों ने जल संरक्षण की तकनीक भी सीख ली है, जिसके तहत उन्होंने सोखता गड्ढा बनाया है। यह गड्ढों में बरसात के मौसम में छतों पर जमा होने वाला पानी पाइप के जरिए सीधा जमा हो जाता है, जिसे घर के पानी वाले कामों को निपटने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

बांचा गाँव (Bancha Village) में कुल 74 घर मौजूद हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत घरों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग बनाए जा चुके हैं। वहीं बाकी बचे 10 प्रतिशत घरों में भी रूफ वाटर हार्वेस्टिंग का काम जल्द ही शुरू किया जाएगा, जिसके बाद इस गाँव में पानी की समस्या भी पूरी तरह से हल हो जाएगी।

महामारी से बचने के लिए लगाया था कर्फ्यू

बांचा गाँव (Bancha Village) सिर्फ सौर ऊर्जा से बिजली बनाते तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इस गाँव के लोगों में जागरूकता भी उच्च दर्जे की है। यही वजह है कि जब भारत के विभिन्न गांवों में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा था, तो बांचा गाँव के लोगों ने संक्रमण खुद पूरे गाँव में जनता कर्फ्यू लगा दिया था।

इस जनता कर्फ्यू के दौरान किसी भी बाहरी व्यक्ति को गाँव के अंदर प्रवेश करने की इजाजत नहीं थी, जबकि बांचा गाँव के स्थानीय नागरिक भी बेवजह गाँव की सीमा से बाहर नहीं जाते थे। इसके अलावा गाँव में जरूरी सामान मुहैया करवाने के लिए युवाओं की टीम बनाई गई थी, जो बाज़ार से सामान खरीद कर ग्रामीणों के घर तक पहुँचाते थे।

यही वजह है कि कोरोना काल के दौरान बांचा गाँव का एक भी नागरिक इस वायरस की चपेट में नहीं आया, क्योंकि यहाँ के लोग सभी तरह सावधानियों का ध्यान रखते हैं। बांचा गाँव के इन प्रयासों की वजह से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी यहाँ रहने वाले लोगों की सराहना कर चुके हैं।

Bancha Village is first first solar village of India

एक आर्दश और प्रेरणादायक गाँव हैं बांचा

किसी भी गाँव में बिजली, पानी और चूल्हा जलाने की ही समस्या सबसे ज्यादा होती है, जिसकी वजह से स्थानीय लोगों का जीवन मुश्किलों में कटता है। लेकिन मध्य प्रदेश के बांचा गाँव (Bancha Village) हर तरह की सुख सुविधाओं से लैस है, जहाँ रहने वाला हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी को अच्छी तरह से समझता है।

यही वजह है कि बांचा गाँव (Bancha Village) महज कुछ सालों की जागरूकता के दम पर दुनिया के सबसे आर्दश गांवों कि लिस्ट में शामिल हो चुका है, जबकि यहाँ के नागरिक अपनी निजी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति भी सजग हैं और दूसरे गांवों को प्रेरित करता है।

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Shivani Bhandari
Shivani Bhandari
शिवानी भंडारी एक कंटेंट राइटर है, जो मीडिया और कहानी से जुड़ा लेखन करती हैं। शिवानी ने पत्रकारिता में M.A की डिग्री ली है और फिलहाल AWESOME GYAN के लिए फ्रीलांसर कार्य कर रही हैं।

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