आज इंसान तरक्क़ी की राह पर चल पड़ा है और तरक्क़ी के इस दौर में हम नई-नई सुख सुविधाओं का उपयोग करते हुए इतना आगे बढ़ रहे हैं कि हमारे जीवन में इस्तेमाल की जाने वाली कई ऐसी चीजें हम पीछे छोड़ते जा रहे हैं जो वाकई में महत्त्वपूर्ण हुआ करती थीं। आज जब उस पुराने दौर को याद करते हैं तो लगता है कि हम आगे तो बढ़ गए, लेकिन हम अपने जीवन में बहुत-सी ख़ास चीज़ें छोड़ते आए हैं।
ऐसी है कुछ ख़ास चीज में हमारे बाथरूम में भी पहले हुआ करती थीं। जब आज के लेटेस्ट बाथरूम को देखते हैं तो आंखों के आगे उस पुराने बाथरूम की तस्वीर घूम जाती है, जिसमें कई देसी चीजें उपयोग के लिए रखी होती थी। यह नुक़सान रहित देसी चीजें आज के केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स से कई गुना बेहतर तो थी ही, साथी बहुत सस्ती भी हुआ करती थीं। चलिए आज उस पुराने बाथरूम में इस्तेमाल की जाने वाली कुछ ऐसी ही चीजों की बात करके यादें ताज़ा करते हैं, शायद इनके फायदे जानकर आपका मन हो कि इन्हें फिर से उपयोग किया जाय…
1- दातून से चमकाते थे दांत
अब तो बाज़ार में बहुत-सी ब्रांड के टूथपेस्ट मिलते हैं, परंतु पहले के लोग अपने दांतो को साफ़ करने के लिए दातुन का ही उपयोग किया करते थे। रोज़ सुबह सभी लोग नीम के पेड़ से दातुन तोड़कर अपने दांत उसी से चमकाया करते थे। दातुन करने से बहुत से फायदे होते थे, दातुन से दांत तो सफेद चमकदार होते ही थे साथ ही मुंह की बदबू भी ख़त्म हो जाती थी, शायद इसलिए किसी को माउथ फ्रेशनर यूज करने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। तब नीम का यह दातुन ही सबका मुफ्त में उपलब्ध होने वाला डेंटल किट हुआ करता था।
2- फिटकरी होती थी आफ्टर शेव लोशन
90 के दशक के बच्चों को तो फिटकरी के बारे में अच्छी तरह से पता होगा कि यह कितनी उपयोगी होती है, क्योंकि तब हर किसी देसी सैलून में शेविंग करने के बाद कस्टमर्स को कोई आफ्टर शेव लोशन नहीं, बल्कि उनके चेहरे पर फिटकरी लगाई जाती थी, क्योंकि फिटकरी में एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते हैं, इसलिए यह त्वचा को इंफेक्शन से बचाती है। जो व्यक्ति घर पर ही शेविंग किया करते थे, वह भी शेविंग के बाद चेहरे पर फिटकरी का उपयोग अवश्य करते थे। केवल शेविंग के लिए ही नहीं बल्कि उस समय फिटकरी का दूसरे भी बहुत से देसी नुस्खों में प्रयोग होता था।
3- शिकाकाई से मिलती थी बालों को मजबूती
आज शायद बहुत से लोग शिकाकाई के बारे में ना जानते हों, पर कुछ वर्षों पूर्व इसका उपयोग हर स्त्री अपने बालों के लिए किया करती थी। उस समय बालों के लिए कोई एंटी डैंड्रफ शैंपू या फिर केमिकल युक्त हेयर पैक और कंडीशनर का प्रयोग नहीं होता था बल्कि महिलाएँ शिकाकाई का इस्तेमाल करके बालों को मज़बूत बनाती थी और बालों को डैंड्रफ से भी मुक्त करती थीं और अगर शिकाकाई को आंवला और रीठा के साथ मिलाकर प्रयोग किया जाए तो क्या कहने, ऐसा करने से तो और बेहतर परिणाम मिलते थे।
4- तुरई (लौकी) से बना लूफा का होता था प्रयोग
आपको पढ़कर शायद हैरानी हो रही होगी कि तुरई को बाथरूम में कैसे प्रयोग करते होंगे, पर यह सच है क्योंकि आज के समय में जिस तरह से शरीर को साफ़ करने के लिए लूफ़ा का इस्तेमाल किया जाता है, बस उसी प्रकार से उस समय में लूफ़ा के स्थान पर लोग तुरई का यूज़ करते थे। तुरई से लूफ़ा बनाने के लिये पहले लौकी को ठीक प्रकार से पकने दिया जाता था, फिर पकने के बाद उसे सुखाकर हेलो गुफा के स्थान पर प्रयोग करते थे। लौकी से बना यह देसी लूफा यदि ठीक प्रकार से इस्तेमाल करें, तो इससे आपको बहुत अच्छे नतीजे मिल सकते हैं।
5- चंदन से दूर होते थे कील-मुहांसे और टैन
चंदन का उपयोग तो घर में हम सब भी करते हैं। ख़ास तौर पर हिंदू धर्म में तो इसका विशेष धार्मिक महत्त्व होता है, इसलिए इसका प्रयोग पूजा पाठ में किया जाता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि चंदन भी एक स्किन केयर प्रोडक्ट होता है? पहले के समय में लोग त्वचा की सभी समस्याओं के लिए चंदन का ही इस्तेमाल किया करते थे। फिर चाहे कील-मुहांसे हों या टैन, चंदन का लेप लगाकर त्वचा की सब समस्याओं से छुटकारा मिल जाता था। आयुर्वेद विज्ञान में भी चंदन के बहुत से फायदों का ज़िक्र किया गया है, पर आजकल तो हमने विभिन्न प्रकार की महंगी फेयरनेस क्रीमों, सनस्क्रीन लोशन और एंटी पिंपल मास्क इत्यादि के आगे सस्ते और लाभकारी चंदन का प्रयोग करना ही छोड़ दिया है।
दोस्तों, आपको नहीं लगता की यह सभी देसी और फायदेमंद चीजें जो पहले हमारे बाथरूम की शान हुआ करती थीं, उनका इस्तेमाल हमें फिर से शुरू करना चाहिए।