लाॅकडाउन की परेशानी को भला कौन याद करना चाहेगा और अगर बात महाराष्ट्र की हो तो हमारी रूह कांप जाती है। महाराष्ट्र ही वह राज्य है जहाँ को/रो/ना ने अपना सबसे प्रचंड रूप दिखाया था। हालात ये थे कि दूध और दवाई तक पर पांबदी लगा दी गई थी। हांलाकि, अब ज़िन्दगी फिर से पटरी पर लौट रही है। लोगों के काम-काज फिर से रफ़्तार पकड़ रहे हैं।
लेकिन इस बीच बहुत से लोगों की नौकरी चली गई तो बहुत से लोगों को अपने घर वापिस जाना पड़ा। क्योंकि शहरों में लाॅकडाउन के चलते खाने और घर के किराए तक की समस्या खड़ी हो गई थी। आज हम आपको एक दर्द भरे समय से उभरकर कुछ कर गुजरने वाले शक्स की कहानी बताने जा रहे हैं। जो कि कोराना के चलते जीवन यापन तक के संकट से गुजरा पर-पर इसके बाद उसने जो किया वह वाकई दूसरों के लिए नजीर बन गया।
गार्ड से बने हैं आज बिजनेसमैन (Revan Shinde)
महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे (Pune) में रहने वाले रेवन शिंदे (Revan Shinde) को भी लाॅकडाउन के चलते अपनी गार्ड की नौकरी से हाथ धोना पड़ा। हालांकि आज वह एक बड़े बिजनेस मैन बन गए हैं और महीने में 50 हज़ार रुपए तक मुनाफे की कमाई कर रहे हैं। रेवन शिंदे (Revan Shinde) की कहानी आज दूसरों के लिए प्रेरणा बन कर उभरी है, लोग दूर-दूर से उनके टी कैफे में चाय पीने पहुँच रहे हैं।
आपको बता दें कि रेवन शिंदे (Revan Shinde) की नौकरी कोरोना लाॅकडाउन के आने से पहले ही चली गई थी। साल 2019 में नौकरी जाने के बाद जून, 2020 में उन्होंने चाय का स्टार्टअप शुरू किया। जीवन यापन के लिए शुरू किए इस काम ने आज उन्हें आज बहुत आगे पहुँचा दिया है।
लोगों को मुफ्त में भी पिलाई चाय
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए शिंदे ने बताया कि एक दौर ऐसा भी था जब उन्हें लोगों को मुफ्त में चाॅय पिलानी पडी थी। एक तो पहले से पैसों की तंगी और ऊपर से मुफ्त में चाॅय पिलाना उन्हें बेहद दर्द भरा समय लगा। क्योंकि लाॅकडाउन के बाद जब नियमों में ढील मिली तो लोग आसपास खुले में चाय पीने से कतराने लगे थे। ऐसे में वह लोगों को मुफ्त में चाॅय पिला देते थे। ताकि बचे हुए सामान को वापिस घर ना ले जाना पडे। हांलाकि, जैसै-जैसे लाॅकडाउन में ढील होता गया लोग इनकी दुकान पर आने लगे और इनकी आमदनी भी बढने लगी। आज शिंदे की दुकान पर पांच कर्मचारी हैं और रोजाना 700 लोगों को चाॅय पिलाने का काम करते हैं।
महज 12 हज़ार में की है गार्ड की नौकरी
रेवन ने बताया कि करीब छह साल पहले वह काम की तलाश में अपने भाई-बहनों के साथ पुणे आए थे। रेवन शिंदे के मुताबिक वह पिंपरी-चिंचवाड़ की एक लॉजिस्टिक्स कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने लगे, यहाँ उन्हें महीने के 12 हज़ार रुपए वेतन मिलता था। हालांकि साल के अंत यानी दिसम्बर, 2019 में उनकी कंपनी बंद हो गई और उनकी नौकरी भी चली गई।
इसके बाद उन्होंने एक स्नैक्स सेंटर में काम करना शुरू किया ताकि घर चलता रहे। लेकिन यहाँ भी उनका काम जमा नहीं। इसके बाद लाॅकडाउन से ठीक पहले उन्होंने चाॅय का काम शुरू कर दिया। लेकिन लाॅकडाउन ने फिर से इन्हें हताश और निराश कर दिया। पर इस बार इन्होंने हार नहीं मानी और चाॅय के काम को ही आगे बढ़ाया।
लाॅकडाउन से पहले शुरू किया चाॅय का काम
जीवन में परेशान शिंदे ने थक हारकर 15 मार्च को घर के पास ही एक जगह किराए पर ली और चाॅय का काम शुरू कर दिया। काम चला भी नहीं था कि देश में लाॅकडाउन लग गया। ठीक दो महीने तक लाॅकडाउन ने उन्हें घर की बचत के सहारे गुजर बसर करने को मजबूर कर दिया। लाॅकडाउन के बाद भी लोग उनकी दुकान पर आने से कतराते रहे। ऐसे में दो महीने तक उन्होंने लोगों को मुफ्त में चाॅय पिलानी पडी। हांलाकि, फिर दिन बदले और घाटे का काम लगातार मुनाफे में बदलता गया। इसके बाद शिंदे ने पीछे मुडकर नहीं देखा।
आज हर महीने है दो लाख की आमदनी
बीतते समय के साथ शिंदे (Revan Shinde) के पास फोनपर भी ऑर्डर आने लगे। शिंदे अदरक की चाय के साथ, कॉफी और गर्म दूध भी लोगों के बीच सर्व करने लगे। शिंदे के चाय का छोटा कप 6 रुपए में, जबकि बड़े कप की क़ीमत 10 रुपए है। अब शिंदे एक दिन में लगभग 700 कप बेच देते हैं और रोजाना 2000 रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं।
शिंदे को हर महीने 2 लाख रुपए की कमाई करते हैं जिसमें से लगभग 50, 000 का मुनाफा उठा रहे हैं। शिंदे की ये कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है जो लाॅकडाउन के चलते परेशान हो उठे थे। शिंदे की कहानी बताती है कि हालात कभी एक जैसे नहीं रहते। जो हालातों के सामने निरंतर खड़ा रहता है अतत: वही जीत हासिल करता है।