आजकल के बच्चे बड़ों से भी ज़्यादा होशियार हो रहे हैं। टेक्निकल चीजों जैसे, मोबाइल, कंप्यूटर, गेम्स इत्यादि की तो पूछिए ही मत इसमें तो वह अच्छे-अच्छे को पछाड़ देंगे। लेकिन इन सबके बीच अगर कुछ पीछे छूट रहा है तो वह है बच्चों में नैतिक शिक्षा, जिसके बिना बच्चों का सारा ज्ञान अधूरा है।
चाहे बच्चे कितने भी पढ़ने में अच्छे हो, कितने भी दिखने में अच्छे हो लेकिन जब तक उनमें नैतिक गुणों का विकास नहीं होगा तब तक उनका ज्ञान अधूरा माना जाएगा और अगर किसी बच्चे में नैतिक गुणों की कमी होती है तो कहीं ना कहीं इसके ज़िम्मेदार माता-पिता भी होते हैं। बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के साथ उनमें नैतिक गुणों का विकास होना भी आवश्यक है। तो आइए आज हम कुछ नैतिक गुणों पर बातें करते हैं। कुछ ऐसी आदतों के बारे में बताते हैं जिसे आप अपने बच्चों को सिखा सकते हैं।
सबका एक समान सम्मान करना
हमेशा अपने बच्चों को यह बताएँ कि हर इंसान एक समान होता है। वह किसी भी व्यक्ति को रंग, रूप, कद, पद, जाती इत्यादि के आधार पर भेदभाव ना करें, बल्कि एक समान सबका सम्मान करें। चाहे वह व्यक्ति घर का हो चाहे बाहर का हो।
बच्चों को अपनी गलती स्वीकार करना सिखाए
बहुत बच्चों में यह आदत होती है कि जब वह कोई गलती करते हैं तो उसे जल्दी स्वीकार नहीं करते हैं। उन्हें लगता है कि अगर वह अपनी गलती को स्वीकारेंगे तो उनके माता-पिता उन्हें डांटेंगे लेकिन कभी ऐसा नहीं होना चाहिए। अगर बच्चे से कोई गलती हो गई हो तो माता-पिता की भी ये जिम्मेदारी बनती है कि वह उसे डांटने और पीटने के बजाय प्यार से समझाएँ। तभी बच्चों में अपनी गलती को स्वीकार करने की आदत का विकास हो पाएगा। बच्चे से कोई भी गलती होने पर उसे सॉरी कहना सिखाएँ। इससे उसकी छवि एक अच्छे बच्चे की भांति लोगों के सामने उभरकर आएगी।
बच्चे को समय का महत्त्व अवश्य बताएँ
जैसा कि हम सभी को पता है कि समय कितना मूल्यवान होता है। एक बार जो समय बीत जाता है वह कभी वापस नहीं आता। इसलिए समय के महत्त्व की जानकारी अपने बच्चों को भी दें। ताकि वह भी अपने समय का सही तरीके से इस्तेमाल कर सके। अक्सर बच्चे टीवी और मोबाइल पर कई-कई घंटे अपना समय बर्बाद कर देते हैं और उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं होती कि उन्होंने समय जैसी कीमती चीज को खोया है। इसलिए हर बार उन्हें यह एहसास दिलाएँ कि समय तुम्हारे लिए बहुत कीमती है। हर एक सेकंड का अच्छे से इस्तेमाल करना सीखो। बच्चे को टाइम रूटीन बनाने और उसे फॉलो करने के लिए भी प्रोत्साहित करें।
पैसों की क़ीमत का एहसास कराएँ
आप अपने बच्चे को बचपन से ही पैसे के महत्त्व के बारे में बताएँ। उन्हें यह बताएँ की बहुत हद तक पैसे पर हमारा जीवन आश्रित है। अपने बच्चों में इस गुण का भी विकास करें कि अगर उनके पास पैसे हैं तो उन पैसों को कब, कहाँ, कैसे और कितना ख़र्च करना है। हमेशा उन्हें फिजूल ख़र्च करने से रोके। पैसे सेव करने की आदत बच्चे के आगे की ज़िन्दगी के लिए बहुत ज़रूरी है।
खुलकर दूसरों की तारीफें करना और थैंक यू बोलना सिखाएँ
तारीफ एक ऐसा शब्द है जिसे सुनने के लिए हर इंसान के कान तरसते रहते हैं। कोई-कोई व्यक्ति बिल्कुल ही बहिर्मुखी होता है जो खुलकर दूसरों की तारीफें करता है, तो वहीं कुछ लोग बिल्कुल ही अंतर्मुखी होते हैं जिन्हें कुछ पसंद भी आता है तो वह अपने मन में ही रख लेते हैं और दूसरों के सामने ख़ुद की बातों को एक्सप्रेस नहीं करते। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए अगर हमें कोई चीज पसंद है तो उसकी अच्छे से तारीफ करनी चाहिए ताकि सामने वाले को भी सुनकर अच्छा लगे।
इसी तरह बच्चों में भी इस आदत का विकास होना बहुत ज़रूरी है। उन्हें समझाएँ कि जब भी कोई तुम्हारी मदद करें या फिर तुम्हें कोई चीज अच्छी लगे तो सच्चे दिल से उस चीज की तारीफ करो और सामने वाले को थैंक यू बोलो। इससे अगला व्यक्ति आपको हंसकर किसी भी चीज के लिए माफ़ कर देगा।
इस तरह आप भी अपने बच्चों में इन पांच आदतों का विकास करके उनके समावेशी विकास में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इससे आपका बच्चा बहुत कम उम्र से ही दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकता है।