Pitru Paksha 2023 Date: पितृपक्ष, हिन्दू धर्म में पितरों की स्मृति और उनकी आत्मा की शांति को समर्पित है। मान्यता है कि इस समय पितरों की आत्माओं का धरती पर आगमनहोता है, इसलिए पितृपक्ष के दौरान लोग पितरों के लिए विशेष प्रकार के आहार, श्राद्ध भोजन, पिंडदान, तर्पण और धर्मिक कार्य करते हैं।
भारतीय पंचांग में पितृपक्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है अर्थात् पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक 16 दिनों में श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर 2023 से शुरू हो रहा जो 16 दिन बाद अमावस्या के दिन 14 अक्टूबर 2023 को समाप्त तक चलेगा। इस समय पितरों के मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध व अन्य धार्मिक कार्य संपन्न किए जाते हैं। अगर किसी पूर्वज के निधन की तिथि ज्ञात नहीं है तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
- पूर्णिमा और प्रतिपदा का श्राद्ध -29 सितंबर 2023 (शुक्रवार)
- द्वितीया का श्राद्ध-30 सितंबर 2023 (शनिवार)
- तृतीया का श्राद्ध-1 अक्टूबर 2023 (रविवार)
- चतुर्थी का श्राद्ध-2 अक्टूबर 2023 (सोमवार)
- पंचमी का श्राद्ध-3 अक्टूबर 2023 (मंगलवार)
- षष्ठी का श्राद्ध-4 अक्टूबर 2023 (बुधवार)
- सप्तमी का श्राद्ध-5 अक्टूबर 2023 (गुरुवार)
- अष्टमी का श्राद्ध-6 अक्टूबर 2023 (शुक्रवार)
- नवमी का श्राद्ध-7 अक्टूबर 2023 (शनिवार)
- दशमी का श्राद्ध-8 अक्टूबर 2023 (रविवार)
- एकादशी का श्राद्ध-9 अक्टूबर 2023 (सोमवार)
- मघा श्राद्ध-10 अक्टूबर 2023 (मंगलवार)
- द्वादशी का श्राद्ध-11 अक्टूबर 2023 (बुधवार)
- त्रयोदशी का श्राद्ध-12 अक्टूबर 2023 (गुरुवार)
- चतुर्दशी का श्राद्ध-13 अक्टूबर 2023 (शुक्रवार)
- सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या-14 अक्टूबर 2023 (शनिवार)
यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष है तो पितृपक्ष के समय पितृ पूजन या पिंड दान करने से निजात मिलता है। पुत्र की प्राप्ति में देरी का मतलब है, कुंडली में पितृ दोष। इसे दूर करने के लिए पितृ पूजा करें और पितरों को जल से तर्पण दें
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