Patna: हर माता-पिता अपने बच्चे को बेहतर जिंदगी देने की कोशिश करते हैं, जिसके लिए वह खुशियों और ख्वाहिशों को दांव पर लगा देते हैं। वहीं कुछ बच्चे बड़े होने के बाद अपने माता-पिता के प्यार और बलिदान को भूल जाते हैं, जिसकी वजह से वह अपने बुढ़ापे में अपने माता-पिता को बेसहारा छोड़ देते हैं।
ऐसे में बिहार (Bihar) के पटना (Patna) शहर में 80 वर्षीय बुजुर्ग अपने घर परिवार से दूर सड़क किनारे परांठे बनाकर बेचते हैं, क्योंकि उनके पास आय का दूसरा कोई साधन मौजूद नहीं है। इस उम्र में जहाँ उन्हें घर बैठ कर आराम करना चाहिए, वहीं यह बाबा रात 12 बजे तक भूखें राहगीरों का पेट भरते हैं।
80 वर्ष के बुजुर्ग बेचते हैं पराठा
इन बुजुर्ग व्यक्ति का नाम उपाध्याय झा (Upadhyay Jha) है, जिनकी उम्र 80 साल है और वह पटना के स्टेशन रोड पर रहते हैं। इस सड़क पर चिरैया तार पुल (ChiraiyaTar Bridge) मौजूद है, जिसके नीचे उपाध्याय झा सत्तू का परांठा बनाकर बेचते हैं। ऐसा नहीं है कि उपाध्याय झा का कोई परिवार या बच्चे नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें सड़क किनारे रात गुजारने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
उपाध्याय झा के दो बच्चे हैं, जिसमें एक बेटी और एक बेटा है। उनके दोनों बच्चों की शादी हो चुकी है, जबकि उनका बेटा अपनी पत्नी व परिवार के साथ दिल्ली में रहता है। ऐसे में उपाध्याय झा और उनकी पत्नी पटना में अकेले रहते हैं, जिनके पास आय का कोई विकल्प मौजूद नहीं है। Read Also: 70 साल के बुजुर्ग को हुआ 65 साल की महिला से प्यार, बच्चों ने बोझ समझ घर से निकाला तो दोनों ने आपस में कर ली शादी
वह 80 साल की इस उम्र में सड़क किनारे शाम 6 से रात के 12 बजे तक एक छोटी-सी दुकान लगाते हैं, जहाँ वह सत्तू का परांठा बनाकर बेचते हैं। इस काम में उपाध्याय झा की पत्नी उनकी मदद करती हैं, जिनकी उन्र 75 साल है। इस बुजुर्ग कपल ने 50 साल पहले सड़क किनारे परांठे बेचना शुरू किया था, जिससे होने वाली आमदनी से उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश और शादी की है।
हालांकि अब उपाध्याय झा और उनकी पत्नी की तबीयत बढ़ती उम्र के साथ खराब होती जा रही है, उनकी आंखों की रोशनी कम हो गई है जबकि उन्हें सुनाई भी कम देता है। यह बुजुर्ग कपल कोयले के चूल्हे पर सत्तू का परांठा बनाता है, जबकि चूल्हे से निकलने वाले धुंए की वजह से उन्हें सांस सम्बंधी समस्याएँ भी होने लगी है।
रोजाना कमा लेते हैं 200 से 400 रुपए
उपाध्याय झा 30 रुपए प्लेट खाना बेचते हैं, जिसमें 4 सत्तू के परांठे और 1 सब्जी होती है। ऐसे में उनकी दुकान पर रोजाना 10 से 15 ग्राहक खाना खाने के लिए आते हैं, जिसमें रात के समय उनकी काफी बिक्री हो जाती है। इस तरह यह बुजुर्ग जोड़ा हर दिन कम से कम 200 से 400 रुपए की कमाई कर लेता है।
ऐसे में इन पैसों की मदद से उपाध्याय झा और उनकी पत्नी का गुजारा हो जाता है, जिन्हें किसी से किसी प्रकार की मदद या उम्मीद नहीं है। लेकिन अगर आप पटना में रहते हैं और उपाध्याय जी की मदद करना चाहते हैं, तो उनकी दुकान में जाकर 1 प्लेट खाना जरूर खा कर आए ताकि उन्हें इस उम्र में समस्या का सामना न करना पड़े।
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