कहते हैं जहाँ चाह, वहाँ राह। जिस तरह सागर तक पहुँचने के लिए नदी अपना मार्ग ढूँढ लेती है, वैसे ही यदि हमारे मन में कोई काम करने का संकल्प हो तो, उसके लिए हम रास्ता बना ही लेते हैं। साधारण से परिवार में जन्मी और पली-बढ़ी आकांक्षा तिवारी ने अपने मन में जज बनने का संकल्प लिया और उसके लिए ख़ुद ही रास्ता बनाकर सफलता प्राप्त की।
साधारण परिवार की बेटी है आकांक्षा
आकांक्षा का जन्म लखनऊ में साधारण परिवार में हुआ है। उनके पिता श्री शिवपूजन तिवारी लखनऊ में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं और माँ श्रीमती सरस्वती तिवारी गृहिणी हैं। आकांक्षा के पिता ने अपनी लाडली बिटिया के सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
उनकी बेहतर पढ़ाई के लिए उन्हें बचपन में ही दिल्ली भेज दिया। दिल्ली से स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद आकांक्षा ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह वापस दिल्ली आ गई और पीसीएस-जे की तैयारी में लग गई।
यूट्यूब से करती थीं तैयारी
आकांक्षा ने तैयारी के लिए यूट्यूब और कई सारी एजुकेशन एप का सहयोग लिया। जीके की तैयारी के लिए प्रतियोगी किताबों और अखबारों का उपयोग किया तथा अन्य विषयों की तैयारी के लिए अलग-अलग किताबों और स्टडी मैटेरियल का इस्तेमाल किया।
उन्होंने शिक्षकों के नोट्स तो पढ़े ही, साथ ही ख़ुद के भी नोट्स बनाये। नोट्स बनाने में प्रतियोगी किताबों, मैगजीन के अलावा यू-ट्यूब काफ़ी मददगार साबित हुआ।
केक काटकर मनायी खुशी
पहले ही प्रयास में पीसीएस-जे में पहली रैंक हासिल करने की ख़ुशी आकांक्षा ने अपने घर वालों के साथ केक काटकर मनायी। उनके सभी रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों ने उन्हें फ़ोन करके बधाई और शुभकामनाएँ दी।
आकांक्षा अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को देती हैं और चाहती हैं कि वह एक अव्वल दर्जे की जज बनें।