Ashwgandha Farming: आज के आधुनिक युग में नौजवान पीढ़ी शहरों में 8 से 9 घंटे की नौकरी करने के बजाय अपना बिजनेस शुरू कर रही है, जिसकी वजह से डिग्री प्राप्त युवा खेतों में विभिन्न फसलें उगाते हुए दिखाई देते हैं। कोई फलों की खेती कर रहा है, तो कोई पारंपरिक खेती छोड़कर नकदी और ऑर्गेनिक फसलों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहा है।
ऐसे में अगर आप भी गाँव में रहते हैं और किसान हैं, तो आपको अच्छा मुनाफा देने वाली फसल की खेती करनी चाहिए। इसके लिए आप अश्वगंधा का चुनाव कर सकते हैं, जो औषधीय गुणों से भरपूर एक चमत्कारी पौधा है। इस पौधे की खेती करके आप न सिर्फ मुनाफा कमा सकते हैं, बल्कि अपने घर परिवार व गाँव को बीमारियों से दूर भी रख सकते हैं।
अश्वगंधा की खेती और फायदे | Ashwagandha ki Kheti
भारत में हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, केरल, आंध्र प्रदेश और जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में Ashwagandha की खेती की जाती है, जो औषधीय गुणों से भरपूर एक प्राकृतिक पौधा है। अश्वगंधा की खेती करने के लिए खारे पानी की जरूरत होती है, जिसके पौधों को सितंबर से अक्टूबर महीने के बीच खेतों में लगाया जाता है। इसे भी पढ़ें – मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी छोड़कर शुरू किया केंचुआ खाद बनाने का बिजनेस, हर महीने कमा रहे हैं लाखों रुपए
अश्वगंधा की खेती के लिए खेत में हमेशा नमी होना जरूरी है, जबकि इस पौधे की फसल शुष्क मौसम में अच्छी तरह से फलती फूलती है। अश्वगंधा की बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह से साफ करने की जरूरत होती है, जबकि बाद एक हेक्टेयर जमीन में 10 से 12 किलोग्राम बीजों की बुवाई की जाती है।
बुवाई के महज एक हफ्ते बाद ही अश्वगंधा के बीज अंकुरित होने लगते हैं, जिसके बाद कुछ ही दिनों में वह हरे भरे पौधे की शक्ल ले लेते हैं। अश्वगंधा की खेती के लिए लाला और बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेहतरीन मानी जाती है, जिसका पीएच 7.5 से 8 के बीच रहता है।
अश्वगंधा की फसल को अच्छी तरह से विकसित होने के लिए 20 से 35 डिग्री सेल्सियस के तापमान और 500 से 750 एमएम बारिश की जरूरत होती है, जिसके बाद जनवरी से मार्च महीने के बीच इस फसल को खेतों से काट लिया जाता है। आपको बता दें कि इस पौधे की जड़ों से घोड़े की गंध आती है, जिसकी वजह से इसका नाम अश्वगंधा रखा गया है।
अश्वगंधा का इस्तेमाल कई प्रकार की जड़ी बूटी और दवाईयाँ बनाने के लिए किया जाता है, जिसकी वजह से भारतीय बाज़ार में इस फसल की मांग काफी ज्यादा होती है। ऐसे में अगर आप अश्वगंधा की खेती करते हैं, तो आप हर सीजन में धान और गेंहू की फसल के मुकाबले 50 प्रतिशत ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
अश्वगंधा की फसल को तैयार होने में गेहूँ और धान के मुकाबले आधा से भी कम समय लगता है, जबकि इसकी मांग भी बाज़ार में ज्यादा है। अश्वगंधा के पत्तों को सूंघने भर से टेंशन और सिर दर्द जैसी समस्याओं से राहत प्राप्त हो जाती है, जिससे बनने वाली दवाईयों की बिक्री भी काफी ज्यादा होती है। ऐसे में अगर आप अश्वगंधा की खेती करते हैं, तो आपको सालाना लाखों रुपए का मुनाफा हो सकता है। इसे भी पढ़ें – क्या है बर्फ की तरह दिखने वाले इस फल का नाम, जिसकी खेती करके मालामाल हो रहे हैं किसान