TI Toilet: भारत में घर से बाहर निकलने वाली हर महिला को टॉयलेट की समस्या का सामना करना पड़ता है, क्योंकि पब्लिक एरिया में महिलाओं के लिए सार्वजनिक टॉयलेट (Public Toilet) की सुविधा न के बराबर होती है। वहीं शहरों में जिन जगहों पर पब्लिक टॉयलेट होते हैं, वहाँ साफ सफाई का ख्याल नहीं रखा जाता है।
ऐसे में महिलाओं को घर से बाहर रहने के दौरान पेशाब कंट्रोल करना पड़ता है, जिसकी वजह से उन्हें कई तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं। लेकिन पुणे में रहने वाले एक कपल ने महिलाओं की इस समस्या का समाधान खोजने के लिए पुरानी बसों को पब्लिक वॉशरूम (Ti Toilet) में तब्दील करने का सराहनीय कदम उठाया है।
पुरानी बसों को बनाया पब्लिक टॉयलेट (Old Buses into Ladies Ti Toilet)
महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे (Pune) शहर से ताल्लुक रखने वाले उल्का सादलकर (Ulka Sadalkar) और राजीव खेर (Rajeev Kher) पेशे से एंटरप्रेन्योर्स (Entrepreneur) हैं, जिन्होंने महिलाओं की सुविधा के लिए अलग तरह के पब्लिक टॉयलेट्स (Ti Toilets) का निर्माण किया है। इस कपल ने पुरानी और खराब हो चुकी बसों को पब्लिक टॉयलेट के रूप में तब्दील कर दिया, ताकि महिलाओं को घर से बाहर वॉशरूम जाने में समस्या न हो।
उल्का और राजीव ने इस काम की शुरु साल 2016 में की थी, जब देश भर में स्वच्छ भारत अभियान चलाया जा रहा था। ऐसे में इस कपल ने मिलकर साराप्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना की, जो भारत में स्वच्छता सम्बंधी मुहिम चलाने के लिए काम करती है।
दरअसल उल्का और राजीव ने पुरानी बस को टॉयलेट में तब्दील करने का आइडिया सैन फ्रांसिस्को को एक एनटीओ से लिया था, जो बसों को पब्लिक टॉयलेट में बदलने का काम कर रहा था। ऐसे में उल्का और राजीव ने सोचा कि क्यों न इस आइडिया को भारत में अपनाया जाए, जिससे पुरानी बसों का सही इस्तेमाल भी हो सकता है।
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महिलाओं के लिए TI Toilet (TI – Toilets for her)
ऐसे में स्वच्छता मिशन के तहत उल्का और राजीव ने साल 2016 में पहली बार महिलाओं के लिए पुरानी बसों में साफ सुथरे पब्लिक टॉयलेट्स का निर्माण करवाया था, जिसमें 12 बसों को सार्वजनिक शौचालय में बदल दिया गया था।
इन बस टॉयलेट्स को ती (Ti) नाम दिया गया है, जिसका इस्तेमाल मराठी में महिलाओं और लड़कियों को सम्बोधित करने के लिए किया जाता है। ती टॉयलेट (Ti Toilet) में 3 से 4 वेस्टर्न और इंडियन वॉशरूम की सुविधा उपलब्ध है, जिन्हें इस्तेमाल करने के लिए 5 रुपए किराया देना पड़ता है।
इसके अलावा ती टॉयलेट में छोटे बच्चों को दूध पिलाने के लिए फीडिंग रूम, सैनिटरी पैड्स और पैकेज्ड फूड खरीदने की सुविधा भी उपलब्ध है, जिसके लिए बस में एक महिला अटेंडेंट भी रहती है। टी टॉयलेट के साथ एक छोटा-सा कैफे भी अटैच है, जिसमें खाने पीने का छोटा मोटा सामान मिलता है।
सोलर पैनल से मिलती है बिजली
Ti Toilet का निर्माण करने वाले उल्का और राजीव ने बस में बिजली की सुविधा का भी खास ख्याल रखा है, जिसके लिए उन्होंने बस की छत पर सोल पैनल लगवाए हैं। सोलर पैनल से तैयार होने वाली बिजली से ही बस के अंदर मौजूद लाइट्स, वाई-फाई और अन्य गैजेट्स चलते हैं।
हालांकि बारिश के मौसम में सोलर पैनल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, इसलिए उस दौरान ती टॉयलेट में ग्रिड इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा ती टॉयलेट में साफ सफाई का खास ख्याल रखा जाता है, जिसकी वजह से यह टॉयलेट महिलाओं के लिए स्वास्थ्य के लिहाजा से काफी सुरक्षित हैं।
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कई परेशानियों का करना पड़ा था सामना
ऐसा नहीं है कि उल्का और राजीव के लिए पुरानी बसों को टॉयलेट में तब्दील करना आसान था, क्योंकि महिलाओं को Ti Toilets इस्तेमाल करने के लिए मनाना एक बहुत ही बड़ी चुनौती थी। कुछ महिलाओं को लगता था कि यह टॉयलेट काफी फैंसी हैं, जबकि कुछ महिलाएँ Ti Toilets को गंदा मान कर इस्तेमाल करने से परहेज करती थी।
इसके अलावा Ti Toilet के लिए महिला अटेंडेंट को ढूँढना भी एक बहुत ही बड़ी समस्या थी, क्योंकि भारत में इस तरह के बस टॉयलेट का कंसेप्ट पहली बार आया था। हालांकि बीतते समय के साथ उल्का और राजीव ने Ti Toilets को महिलाओं के बीच ले गए और उसे इस्तेमाल करने के लिए जागरूकता फैलाई थी।
उल्का सादलकर (Ulka Sadalkar) और राजीव खेर (Rajeev Kher) द्वारा किए गए प्रयासों की वजह से ही आज पुणे में Ti Toilet काफी मशहूर है, जहाँ महिलाओं को सुविधाजनक वॉशरूम इस्तेमाल करने मौका मिलता है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि उल्का और राजीव का यह प्रोजेक्ट देश भर कर में स्वच्छता की मिसाल कायम कर रहा है।