गर्मी के सीजन में कूलर और एयर कंडीशनर का इस्तेमाल किया जाता है, जो गर्म तापमान से राहत दिलाने में मददगार साबित होते हैं। लेकिन Cooler और AC दोनों अलग-अलग तरीके से काम करते हैं, जिसकी वजह से कूलर को चलाने के लिए पानी की जरूरत होती है जबकि AC खुद पानी निर्मित करता है।
ऐसे में कूलर में मौजूद पानी थोड़े समय बाद वाष्पित होकर उड़ जाता है, जबकि AC ऑन होने के कुछ समय बाद ठंडी हवा देने के साथ-साथ पानी भी रिलीज करने लगता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है और कूलर व एसी कैसे अलग-अलग काम करते हैं।
क्यों खत्म होता है Cooler का पानी?
कूलर को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह पानी के बिना काम नहीं कर सकता है, इसलिए कूलर की ठंडी हवा के लिए पानी की जरूरत होती है। दरअसल कूलर के टैंक में जब पानी भरा जाता है, तो वह मोटर की मदद से घास तक पहुँचता है और उसे ठंडी हवा फेंकने में मदद करता है।
इस पूरे प्रोसेस के दौरान टैंक से घास तक पहुँचने वाला पानी वाष्पित होकर उड़ने लगता है, क्योंकि पानी और हवा के तापमान में अंतर होता है। यही वजह है कि कूलर की ठंडी हवा के लिए उसके टैंक में थोड़े-थोड़े समय बाद पानी भरना पड़ता है, जो गर्मी से राहत पाने का एक बजट फ्रेंडली तरीका है।
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AC में कहाँ से आता है पानी?
कूलर में तो पानी भरना पड़ता है, लेकिन AC में ऐसा कुछ नहीं करना पड़ता है क्योंकि उसके काम करने का तरीका बिल्कुल अलग है। दरअसल AC को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह गर्म हवा को ठंडा कर उसमें से नमी को खींच लेता है, जिसकी वजह से कमरे में ठंडी हवा रिलीज होती है और नमी पनी की बूंदों में तब्दील हो जाती है।
एयर कंडीशन में कूलिंग कॉइल लगी होती है, जो कमरे की गर्म हवा खींचकर ठंडी हवा में तब्दील कर देता है। इस दौरान कूलिंग कॉइल की सतर पर नमी चिपक जाती है और पानी में बदल जाती है, जबकि गर्म हवा वापस ठंडी होकर कमरे के तापमान को कूल कर देती है।