Truck Driver Yogita Raghuvanshi – ड्राइविंग का काम हमारे समाज अघोषित रूप से पुरुषों के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत माना जाता है। यह अलग बात है कि यदा कदा शहरों में कुछेक गाड़ियों की ड्राइविंग सीट पर महिलाएँ भी नज़र आ जाती हैं लेकिन यह संख्या हाईवे और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वतः घट जाती है। ग्रामीण इलाकों में आज भी गाड़ियों, ट्रकों व अन्य वाहनों का स्टेयरिंग पुरुषों के ही हाथ में है। लेकिन भोपाल की एक माँ ने समाज की इस दकियासुनी सोच को तोड़कर ट्रक का स्टेयरिंग संभाल लिया है।
योगिता रघुवंशी दो बच्चों की माँ हैं
पिछले 15 वर्षों से ट्रक चलाकर अपने बच्चों का भरण पोषण करने वाली भोपाल की योगिता रघुवंशी (Yogita Raghuvanshi) दो बच्चों की एक ऐसी साहसी माँ हैं, जिसने महिला सशक्तिकरण की एक अनोखी मिशाल क़ायम किया है। वह अपने सफ़र के दौरान कभी ढाबों पर खाती हैं या कभी सड़क किनारे ख़ुद ही खाना पकाती हैं। वह पुरुष ड्राइवर की तरह ट्रक में ही सोती हैं और सबसे बड़ी बात यह सब काम वह अकेले ही करती हैं।
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योगिता रघुवंशी ने अच्छी कमाई के लिए ड्राइविंग को चुना है
49 वर्षीय योगिता ने कॉमर्स और लॉ से डिग्री हासिल किया है और उनके पास ब्यूटीशियन का भी एक सर्टिफिकेट है, लेकिन उन्होंने अच्छी कमाई के लिए ड्राइविंग को चुना है। अपने 15 साल के ट्रक ड्राइविंग करियर के दौरान योगिता देश के आधे से ज़्यादा राज्यों का सफ़र कर चुकी हैं। इस दौरान उसने हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी और तेलुगु भाषा बोलना भी सीख लिया है, यह सभी भाषा इन्होंने ड्राइविंग के दौरान ही सीखी हैं।
एक घटना में अपने पति और भाई को योगिता ने खो दिया है
योगिता की ज़िन्दगी में कई उतार-चढ़ाव आए। वर्ष 2003 में उनके पति राजबहादुर की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। अभी पति को खोने का ग़म से योगिता उबर भी नहीं पाई थी कि पति के अंतिम संस्कार पर जाते हुए योगिता के भाई की भी मृत्यु हो गई। इन सभी मुश्किलों का सामना करते हुए योगिता ने ट्रक ड्राइवर का पेशा चुना।
ड्राइविंग से योगिता को नहीं लगता है डर
Truck Driver Yogita Raghuvanshi ड्राइविंग का पेशा एक संकटमय पेशा माना जाता है लेकिन योगिता को इस काम में कोई डर नहीं लगता है। योगिता कहती हैं कि ड्राइविंग के दौरान उसे काफ़ी सतर्क रहना पड़ता है। जरा-सी चूक एक एक बड़ी घटना का कारण बन सकती है। अपने ड्राइविंग करियर में उन्हें कभी डर और संकट महसूस नहीं हुआ। इतना ही नहीं बाक़ी ड्राइवर उन्हें इस काम के लिए प्रोत्साहित करते हैं और जब वह किसी ढाबे पर जाती हैं तो ढाबे के लोग योगिता का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं।