शादी के बाद अक्सर लड़कियाँ कई सारी जिम्मेदारियों में बंध जाती हैं और अपने करियर पर फोकस नहीं कर पाती। लेकिन वही कुछ लड़कियाँ ऐसी होती हैं जिन्हे परिवार का पूरा सहयोग मिलता है और वह अपने सपने को पूरा करने में सफल हो जाती हैं। लोगों का मानना होता है कि हर सफल व्यक्ति के पीछे एक महिला का हाथ होता है लेकिन बहुत सफल महिलाओं के पीछे पुरुषों का भी हाथ होता है।
अस्वति श्रीनिवास की सफलता के पीछे उनकी मेहनत और उनके पति का और परिवार का पूरा सहयोग है। यही वज़ह है कि वह एक MBBS डॉक्टर से IAS बनी और 2018 में यूपीएससी की परीक्षा में अपने चौथे प्रयास में पूरे भारत में 40 वी रैंक हासिल की।
मूल रूप से कोल्लम की रहने वाली अस्वति श्रीनिवास (Aswathy Srinivas) कासरगोड मैं ही पली-बढ़ी हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जवाहर नवोदय, केंद्रीय विद्यालय कासरगोड और केंद्रीय विद्यालय त्रिवेंद्रम से पूरी की है। उसके बाद अस्वति ने श्रीगोकल मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च फाउंडेशन से MBBS में स्नातक की डिग्री हासिल की।
एक वीडियो इंटरव्यू के दौरान अस्वति ने बताया कि वह पढ़ाई के दौरान सिविल सर्विसेज में जाने की कभी नहीं सोची थी। लेकिन जब वह अपने एमबीबीएस की फाइनल परीक्षा देने के बाद छुट्टी में घर आई तब उनके मन में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी का विचार आने लगा, क्योंकि उनकी रुचि सोशल साइंस में थी। यही कारण है कि इस परीक्षा को लेकर उनका विश्वास और बढ़ गया।
अस्वति अपने शुरू के 2 प्रयासों में किसी कोचिंग का सहारा नहीं ली। सेल्फ स्टडी के सहारे वह दो बार यूपीएससी परीक्षा में शामिल हुई लेकिन लूप होल की वज़ह से वह सफल नहीं हो सकी। लेकिन साल 2017 के दिसम्बर में उन्होंने एलाइट से कोचिंग ज्वाइन कर लिया। उन्होंने बताया कि परीक्षा की तैयारी के दौरान उनके पति, उनके पेरेंट्स और उनके दोस्तों ने उनकी ख़ूब मदद की। साल 2018 में वह पूरी तैयारी के साथ यूपीएससी परीक्षा में शामिल हुई और पूरे भारत में 40 वी रैंक के साथ सफल हुई। फिलहाल वह ट्रेनी ऑफिसर के तौर पर ट्रेनिंग ले रही हैं।
आने वाले छात्रों के लिए उनका कहना है कि अगर शांत मन से परीक्षा दी जाए तो अवश्य ही आप सफलता पाएंगे। वह कहती हैं कि तैयारी के दौरान आपको सोशल मीडिया का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए। इसके साथ ही न्यूज़पेपर करंट अफेयर्स टॉपर्स के इंटरव्यू को अवश्य पढ़ना चाहिए।
अस्वति ने बताया कि मेडिकल की पढाई में जो 19 विषय है, उनमें से कम से कम 14 विषय को ऑप्शनल पेपर के तौर पर चुनाव किया जा सकता है। मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए अस्वति कहती हैं कि कंटेन्ट के लिए सभी किताबें पढ़ी जा सकती हैं, जिसने मेडिकल की पढ़ाई की है।
अस्वति अब बन चुकी हैं डॉक्टर से एक IAS ऑफिसर। उनका दोनों लक्ष्य समाज कल्याण के लिए ही है अगर वह डॉक्टर बनती तो भी समाज का कल्याण होता, फिलहाल वह एक आईएएस हैं इससे भी वह समाज का ज़्यादा से ज़्यादा कल्याण करेंगी।