हमारे देश में प्रतिभाषाली लोगों की कोई कमी नहीं है, जो मुश्किल परिस्थितियों को सामना करते हुए अपने लक्ष्य को हासिल कर लेते हैं। ऐसे में एक रिक्शा चलाने वाले व्यक्ति की बेटी के लिए मैथ्स में गोल्ड मेडल हासिल करना बहुत बड़ी उपलब्धि है, जिसके लिए उसने दिन रात मेहनत की थी।
यह कहानी है उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में रिक्शा चलाने वाले युनून खान की बेटी शमा परवीन की, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर मैथ्स की प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया है। शमा के लिए सफलता की यह राह बिल्कुल भी आसान नहीं थी, क्योंकि वह एक आँख से देख नहीं पाती हैं।
रिक्शा चालक की बेटी ने जीता गोल्ड मेडल
शमा परवीन (Shama Parveen) के पिता युनून खान (Yunun Khan) रिक्शा चलाकर अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी कमाते हैं, जबकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में जब शमा एक साल की थी, तो उनकी एक आँख की रोशनी कम होने लगी थी। ऐसे में जैसे-जैसे शमा की उम्र बढ़ती रही, उनकी आँख की रोशनी कम होती चली गई थी।
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हालांकि इसके बावजूद भी शमा परवीन ने पढ़ाई लिखाई नहीं छोड़ी और 12वीं पास करने के बाद मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में बीएससी मैथ में एडमिशन ले लिया था। ऐसे में शमा ने बीएससी मैथ्स में पूरी यूनिवर्सिटी ही नहीं बल्कि जिले में टॉप किया है, जिसकी वजह से उन्हें कॉलेज के प्रिंसिपल ने गोल्ड मेडल से सम्मानित किया है।
पिता को रोल मॉडल मानती हैं शमा परवीन
शमा परवीन अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं, लिहाजा उनके कंधों पर परिवार की जिम्मेदारियाँ है। एक आँख से न देख पाने की वजह से शमा को अक्सर पड़ोसियों और रिश्तेदारों के ताने सुनने पड़ते थे, लेकिन शमा ने सभी लोगों की बातों को नजरअंदाज करके सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान दिया और कामयाबी हासिल कर ली।
शमा परवीन अपने पिता युनून खान को अपना रोल मॉडल मानती हैं, जिनकी मेहनत और प्रोत्साहन के दम पर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। वहीं शमा के गोल्ड मेडल जीतने पर उनके पिता युनून खान काफी ज्यादा भावुक हो गए, जिन्होंने घर की चीजें गिरवी रखकर शमा की कॉलेज की फीस भरी थी।
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