भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने का सपना हर सिपाही देखता है, लेकिन युद्ध के मैदान में कई बार दुश्मन की गोली इन वीर जवानों के सीने को छल्ली कर देती हैं। खुद को मिटाकर भारत की आन, बान और शान के लिए लड़ना इंडियन आर्मी के जवानों का पहला कर्तव्य है, जिसके लिए वह अपनी जान जोखिम में डालने से भी नहीं घबराते।
हालांकि एक जवान के शहीद होने के बाद उसका परिवार ताउम्र शहादत के गम को गर्व के साथ सीने से लगाकर रखता है, जिसकी जीती जागती मिसाल है शहीद सिपाही का एक परिवार। आइए मिलते हैं देश के लिए अपनी जान गवाने वाले शहीद स्क्वाड्रन लीडर शिशिर तिवारी (Squadron Leader Shishir Tewari) के परिवार से, जो अपने घर का चिराग खो देने के बावजूद भी सैकड़ों घरों को रोशन करने का काम कर रहा है।
गरीब बच्चों को पढ़ाती हैं शहीद की मां
एक मां के सामने जब उसका बच्चा दम तोड़ता है, तो उस मां की चीख पुकार पत्थर से पत्थर दिल को रोने पर मजबूर कर देती है। ऐसे में जब गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाले शिशिर तिवारी ने शहादत प्राप्त की, तो उनकी मां सविता तिवारी (Savita Tiwari) का दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन सविता तिवारी ने बेटे के शहीद होने पर खुद को बिखरने नहीं दिया, बल्कि एक मजबूत महिला की तरह अपने बेटे की शहादत पर गर्व किया। उन्होंने अपना बेटा तो खो दिया, लेकिन सैकड़ों घरों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर उनका भविष्य सवारने का नेक काम शुरू कर दिया।
सविता तिवारी इंदिरापुरम समेत गाजियाबाद के अलग अलग इलाकों में रहने वाले गरीब और जरूरतमंद बच्चों को फ्री में शिक्षा देती हैं, ताकि उनका भविष्य सवर जाए और वो वंचित से मुख्य समाज की श्रेणी में आ सके। सविता तिवारी ने यह नेक काम अपने बेटे के शहीद होने के बाद शुरू किया था।
बेटे की याद में शुरू किया शिक्षा देने का काम
सविता तिवारी ने अपने बेटे शिशिर को खोने के बाद दूसरे बच्चों के उज्जवल भविष्य के बारे में सोचना शुरू किया और उन्हें मुफ्त शिक्षा देने का फैसला किया। सविता ने अपने बेटे शिशिर की याद में गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए फ्री ट्यूशन स्टार्ट की, ताकि आगे चलकर उनकी आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार हो सके।
वर्तमान में सविता तिवारी तकरीबन 400 गरीब और जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रही हैं, जिसके लिए वह हफ्ते में 5 से 6 घंटे बच्चों को ट्यूशन देती हैं। आपको बता दें कि सविता तिवारी की ट्यूशन में वह बच्चे पढ़ाई करने आते हैं, जो रोजाना सड़कों पर कूड़ा कचरा इकट्ठा करन का काम करते हैं। ऐसे में सविता तिवारी द्वारा दी जा रही मुफ्त शिक्षा से कम से कम उन बच्चों को आगे चलकर अपनी स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी।
हादसे का शिकार हुए थे शिशिर तिवारी
सविता तिवारी के बेटे शिशिर तिवारी भारतीय युवा सेना में थे और एक हादसे का शिकार होकर शहीद हो गए। दरअसल 6 अक्टूबर 2017 को शिशिर तिवारी अरुणाचल प्रदेश के तवांग में MI-17 हेलीकॉप्टर से गश्त लगा रहे थे, इसी दौरान हेलीकॉप्टर आउट ऑफ कंट्रोल हो गया और शिशिर हवाई हादसे में शहीद हो गए।
आपको बता दें कि शिशिर के पिता शरद तिवारी भी वायुसेना में अपनी सेवा दे चुके हैं और ग्रुप कैप्टन पद से रिटायर्ड हैं। वहीं शिशिर की मां सविता तिवारी अपने बेटे की याद में गरीब बच्चों को शिक्षित करने का नेक काम कर रही हैं। इस तरह एक युवा का देश के प्रति समर्पित होकर शहीद हो जाना गर्व के साथ साथ दुखद भी है, क्योंकि आज उनके माता पिता अपने बेटे के बिना जिंदगी बिता रहे हैं।