इस समय एक होनहार छात्र को अपने देश से मदद की ज़रूरत है। छात्र हमारे देश के भविष्य होते है। आपको बता दे कि तमिलनाडु राज्य के होनहार मेधावी छात्र जीवित कुमार NEET की परीक्षा में सफलता हासिल की सीट भी क्लीयर हो गया। लेकिन आर्थिक स्थिती ठीक न होने से मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने में परेशानी हो रही है इस छात्र को।
बेहद संघर्ष से भरा है इस छात्र का जीवन इसके पिता चरवाहा है जबकि माता टेलर का काम करती है। सरकारी कॉलेज में नमांकन के लिए इनके कमाए इतने पैसे प्रर्याप्त नहीं है। पिछले साल जीवित 12 वीं में भी अच्छे अंक के उतीर्णता के साथ-साथ NEET की भी परीक्षा दी लेकिन अच्छे नंबर नहीं आने की वज़ह से उसे अच्छे कॉलेज में दाखिला नहीं मिला। तब जाकर एक शिक्षक की सहायता से सोशल मिडिया के माध्यम से जीवित के लिए आर्थिक सहायता कि मांग की गई। तब एक अमेरिकी नागरिक ने आगे आकर जीवित के पढ़ाई के लिए 75, 000 की राशि प्रदान किया।
एक साल तक कड़ी मेहनत के बाद इस वर्ष जीवित 664 अंक लाया एवं उसे सरकारी कॉलेज में सीट भी मिल गई लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मेडिकल कॉलेज में नमांकन के लिए ये छात्र पैसे कहाँ से जुटाए।
एक मीडिया रिपोर्ट् के अनुसार उसके परिवार में 3 सदस्य कमाने वाले है जिसमे इसके माता पिता के अलावा इसका भाई भी है। वह भी अपने माँ के साथ टेलरिंग का काम करता है। इसके बावजुद ये प्रर्याप्त नहीं है। इस कठिन संघर्ष भरे जीवन में जीवित के शिक्षक का यहाँ तक लाने में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होने हर संभव इसकी मदद की।
जानकारी के मुताबिक जीवित कभी डॉक्टर नहीं बनना चाहता था। लेकिन जब उसने बहुत सारे बच्चे की आ’त्मह’त्या कि कहानी सुनी तो पढ़ाई करने की ज़िद ठान ली अब जीवित की पढ़ाई को लेकर तमिलनाडु सरकार की ओर से मदद को लेकर क्या प्रतिक्रिया मिलती है। तमिलनाडु सरकार द्वारा हाल ही में एक बिल पास किया गया है। जिसके अनुसार मेडिकल कॉलेज में कुछ सीट सरकारी कॉलेज के छात्रों के लिए आरक्षित किए जायेंगे हलांकि इस बिल पर राज्य के राज्यपाल द्वारा अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
अभी भी जारी है जीवित कुमार की संघर्ष