आपने सुना होगा कि हीरे की क़ीमत करोड़ों में होती है। किसी इंसान के हाथ यदि हीरे का छोटा-सा टुकड़ा भी लग जाए तो समझो उसकी क़िस्मत बदल गई। लेकिन आज हम आपको इस ख़बर में जो बताने जा रहे हैं उसे पढ़कर आप यकीनन चौंक जाएंगे। क्योंकि यहाँ आपकी कल्पना से भी कई गुना हीरे के भंडार मिले है। जो कि इंसान ही नहीं देश को भी मालामाल कर सकते हैं।
आपको हम भारत के ही एक राज्य के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ हीरे की एक दो खेप नहीं बल्कि पूरे भंडार मिले हैं। भंडार का नाम सुनते ही आप ये मत सोचिएगा कि अब तो भारत फिर से ‘सोने की चिड़िया’ बनने वाला है। क्योंकि हीरे का भंडार मिलना और उन्हें निकालना बेहद कठिन प्रक्रिया होती है। आइए आपको बताते हैं भारत में मिले इस हीरे के भंडार के बारे में विस्तार से।
यहाँ मिले हैं हीरे के भंडार
इस जगह के बारे में आपको बताने से पहले हम बता दें कि देश में सबसे ज़्यादा हीरे के भंडार मध्य प्रदेश में ही पाए जाते हैं। इसलिए यहाँ लगातार हीरे की खोज चलती रहती है। ऐसी ही एक खोज मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर जिले में भी की जा रही थी। इस खोज को करते हुए लगभग बीस साल बीत चुके थे। लेकिन हाल ही में इस खोज से जुड़ी एक अच्छी ख़बर आई है कि बकस्वाहा के जंगलों में हीरे के भंडार खोजे जा चुके हैं। जानकारी के मुताबिक बकस्वाहा के जंगलों (Buxwaha Forest) में मिले हीरे के भंडार अब तक के सबसे बड़े हीरे के भंडार हैं।
3.42 करोड़ कैरेट के हीरे होने की संभावना
हालांकि अभी तक इस भंडार में कितना हीरा मिलेगा इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन अनुमान ये जाहिर किया जा रहा है कि इस भंडार से 3.42 करोड़ का हीरा (Diamond) ज़रूर निकलेगा। लेकिन समस्या ये है कि इस भंडार में से यदि हम हीरा निकालना चाहते हैं, तो बड़ी मात्रा में पेड़ काटने पड़ेंगे। जो कि पर्यावरण के लिहाज से सही नहीं ठहराया जा सकता। साथ ही हीरे के सबसे ज़्यादा भंडार भी मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में ही पाए जाते हैं।
बकस्वाहा के जंगलों से जगी नई आस
बकस्वाहा में जब से हीरे के भंडार का पता चला है तब से मानो देश में नई आस जग गई हो। यदि हम पन्ना जिले की बात करें तो अब तक पन्ना (Panna) जिले से 22 लाख कैरेट के हीरे की खोज हो चुकी है, जिसमें से अब तक महज़ 13 लाख के हीरे ही सही सलामत निकालने में हम कामयाब हुए हैं। यानी कि 9 लाख कैरेट के हीरे अब भी भंडार में ही दबे हुए हैं। इसी की तुलना यदि हम बकस्वाहा के जंगलों (Buxwaha Forest) में मिले भंडार से करें तो बकस्वाहा में इससे करीब 15 गुना अधिक हीरे मिलने की आशंका है। लेकिन जंगल इसके आडे आ चुके हैं। इस भंडार के ऊपर ही सागौन केम, पीपल, तेंदू, जामुन, बहेड़ा और अर्जुन के पेड़ भारी संख्या में मौजूद हैं।
20 साल पहले शुरू हुआ था ‘डायमंड प्रोजेक्ट’
मध्य प्रदेश में आज के लगभग बीस साल पहले हीरों की खोज के लिए ‘डायमंड प्रोजेक्ट’ शुरू किया गया था। जिसका मकसद प्रदेश में हीरे के तमाम भंडार खोजना था। इसके बाद मध्य प्रदेश के जंगलों में सर्वे हुआ और दो साल पहले ही इन जंगलों की सरकार के द्वारा नीलामी की गई। जो कि आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के हाथ आई थी। कंपनी को यह जगह इस नीलामी में 50 साल के लिए पट्टे पर दी गई है। इस दौरान कंपनी 62.64 हेक्टेयर पर से हीरे ढूँढने और निकालने का काम करेगी।
जंगलों में ही बनेगी खाद्यान्न
हीरे को निकालने के बाद जंगलों में ही इन्हें रखने के लिए खाद्यान्न बनेगी। इस परियोजना को पूरा करने के लिए कंपनी 2500 करोड़ रुपए निवेश करेगी। साथ ही खनन और प्रोसेस के दौरान मलबे को रखने के लिए कंपनी ने सरकार से थोड़ी और जगह की भी मांग की है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि एस्सेल माइनिंग से पहले ऑस्ट्रेलिया की एक कंपनी रियो टिंटो ने भी इसके लिए आवेदन किया था। लेकिन सरकार ने बाद में इस नीलामी की नियम व शर्ते बदल दी थी। जिसके चलते ऑस्ट्रेलिया की ये कंपनी दौड़ से बाहर हो गई थी।
पहले भी हो चुका है सर्वे
ऐसा नहीं है कि ये सर्वे पहली बार किया जा रहा है। इससे पहले भी ऑस्ट्रेलिया की उसी कंपनी ‘रियो टिंटो’ ने साल 2000 से 2005 के बीच बुंदेलखंड के जंगलों में सर्वे का काम किया था। जिस दौरान कंपनी को जंगलों में किंबरलाइट की चट्टान मिली थी। अब इसी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। आपको बता दें कि किंबरलाइट चट्टान के अंदर भी हीरा पाया जाता है। यदि इस हीरे को निकालना संभव रहा तो मध्य प्रदेश में हीरे के भंडार मिलने की संभावना और ज़्यादा बढ़ जाएगी।