इंजीनियर चायवाला, नाम सुनने में थोड़ा अजीब ज़रूर है लेकिन इनकी कहानी काफ़ी दिलचस्प है। ये कहानी है मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा के रहने वाले 30 साल के अंकित नागवंशी (Ankit Nagvanshi) की। अंकित (सॉफ्टवेयर इंजीनियर) जिन्होंने नौकरी छोड़कर एक छोटा-सा टी-स्टॉल खोल लिया। आप कहेंगे ये कहाँ की समझदारी हुई, ऐसे भला कौन करता है? आपका सोंचना भी सही है, माँ-बाप जी जान लगाकर बच्चे को पढ़ाते हैं ताकि उनका बच्चा कुछ नाम कमाए अच्छी नौकरी करे आराम से ज़िन्दगी बिताए। लेकिन अंकित ने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके छोटा-सा टी-स्टॉल खोलना क्यों पसन्द किया, चलिए जानते हैं।
9 से 5 की नौकरी छोड़कर लिया बिजनेस का फैसला
अंकित का कहना है कि वह शुरू से ही बिजनेस करना चाहते थे, वह प्लान तो बनाते थे लेकिन किसी कारणों की वज़ह से वह सक्सेस नहीं हो पाता था। उन्हें रोज़ की यही 9 से 5 वाली नौकरी बिल्कुल भी नहीं भाती थी, बस महीने भर सुबह 9 से 5 एड़ियाँ रगड़ो और एक तारीख का इंतज़ार करो अपनी तनख्वाह पाने के लिए, जो कि कुछ ही दिनों में ख़त्म भी हो जाती। पैसे नहीं होने से सारी ख्वाहिशें भी दबकर रह जाती। वह एक ही तरह का काम कर के थक चुके थे आख़िर उन्होंने फ़ैसला लिया कि वह ये नौकरी छोड़ देंगे।
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परिवार के दबाव के बाद भी अंकित ने दिल की सुनी
अंकित का नौकरी छोड़कर चाय स्टॉल लगाने का फ़ैसला उनके घर में किसी को भी पसन्द नहीं आया, लेकिन अंकित ने तो मन में यह फ़ैसला कर लिया था कि वह अब बिजनेस ही करेंगे वापस वही नौकरी नहीं करेंगे और उन्होंने अपने शौख को ही अपना पैशन बनाया, अंकित को चाय बहुत पसंद था, इसीलिए उन्होंने सोंचा की क्यों ना इसी का बिज़नेस किया जाए। जब चाय स्टॉल खोलने की तैयारी शुरू की तो लॉकडाउन ने उन्हें हताश किया और वह एक साल तक खाली रहे, धीरे-धीरे उनकी सेविंग्स ख़त्म होती चली गई। जैसे-तैसे उन्होंने पिछले साल अगस्त में अपना काम शुरू किया तो कई लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा, कई बार विवाद हुआ और उनको तीन से चार बार जगह भी बदलनी पड़ी।
ज़िन्दगी के मुश्किल सफ़र में परिवार की जिम्मेदारी ने साहस बढ़ाया
अंकित नागपुर से बीसीए कर रहे थे उसी दौरान 2013 में उनके पिता का देहांत हो गया, माँ पहले ही गुजर चुकी थी। वे ग्रेजुएशन के बाद बिज़नेस करना चाहते थे लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों ने उन्हें उनका इरादा बदलने पर मजबूर कर दिया और वे नागपुर से छिंदवाड़ा लौट गए। दो साल तक परिवार की देखभाल के लिए रुके फिर जब सबकुछ सही हुआ तो 2016 में नौकरी करने के लिए मुंबई चले गए।
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टी स्टॉल की शुरुआत से पहले चाय पर रिसर्च
अंकित का कहना है कि चाय बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है बस टेस्ट का ही सारा खेल है अगर लोगों को आपके चाय का टेस्ट पसंद आया तो वे बार_बार आना पसंद करेंगे। अपने चाय को लाजवाब बनाने के लिए उन्होंने काफ़ी रिसर्च किया और जयपुर, पुणे, नागपुर सहित अन्य कई शहरों में जाकर जानकारी जुटाई और कई स्टडी भी की कि किस तरह से चाय का मसाला बनाया जाए जिससे इसका स्वाद यूनिक लगे।
कई फ्लेवर की चाय के साथ कॉफी का स्टाल भी उपलब्ध
अंकित अपने स्टॉल पर चार तरह के प्रोडक्ट तैयार करते हैं इनमें से तीन तरह की चाय और एक साउथ इंडियन कॉफी शामिल है। को रोना के चलते अंकित ने इम्यूनिटी चाय बनानी शुरू की इसमें अदरक, तुलसी, पुदीना जैसी चीजें मिली हैं। दूसरी चाय को उन्होंने मसाला चाय का नाम दिया जिसमे खड़े मसाले और जड़ी-बूटियाँ शामिल है और तीसरी चाय है ब्लैक टी और कॉफी साउथ इंडियन बेस्ड फिल्टर वाली।
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इंटरनेट और सोशल मीडिया की मदद से बनाए हजारो कस्टमर
अंकित ने अपने स्टॉल का नाम काफ़ी इंटरेस्टिंग रखा है “इंजीनियर चायवाला” (Engineer Chaiwala) जिससे कि बहुत से लोग उनके स्टॉल की फोटो खींचकर सोशल मीडिया में शेयर कर चुके हैं, इससे अंकित को कस्टमर बनाने में खासा मेहनत नहीं करनी पड़ी। अब 1 दिन में वह कम से कम 3000 का बिजनेस कर रहे हैं। वे एक छोटे से चौराहे पर सुबह 7 बजे से लेकर शाम 8 बजे तक अपना यह स्टॉल चलाते हैं।
कस्टमर फीडबैक से अपनी कमियों पर किया काम
अंकित का कहना है कि वह हमेशा अपने कस्टमर्स से फीडबैक लेते रहते हैं ताकि वह अपने स्टॉल में कुछ अच्छा बदलाव कर सकें जो कस्टमर्स को पसंद आए। अभी उन्होंने अपने स्टॉल में पोहा बनाना भी शुरू किया है। अंकित अपने कस्टमर्स का काफ़ी ध्यान रखते हैं इसलिए उनके स्टॉल में 1 दिन में कम से कम 300 कस्टमर्स आते हैं।
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आज परिवार भी है अंकित के फैसले से खुश (Engineer Chaiwala)
अब अंकित का परिवार और उनकी बहन इस काम में उनका सपोर्ट कर रहे हैं। अंकित अपने अलावा 2 और लोगों को अपने स्टॉल पर काम के लिए रखे हुए हैं और अब वह अपने लिए कोई एक स्थाई ठिकाना ढूँढ रहे हैं ताकि धीरे से अपने इस छोटे से स्टॉल को वह रेस्टोरेंट में तब्दील कर सकें।