Eiffel Tower of Muzaffarpur: ज़मीन 6 फुट चौड़ी पर दिल उससे भी बड़ा। प्रेम सच्चा और खुद पर विश्वास उससे भी गहरा। शायद ऐसा ही कुछ कहना चाहिए मुजफ्फरपुर के इस प्रेमी जोड़े के लिए। जिन्होंने न सिर्फ अपने प्रेम की अनोखी व्याख्या का लोगों को मौका दिया बल्कि खुद पर ये विश्वास भी जगाया की वह अपने प्यार की निशानी की इस ज़मीन को कुछ इस तरह बनाएंगे।
पांच मंजिल का यह अजूबा मकान (Eiffel Tower of Muzaffarpur) सिर्फ 6 फीट चौड़ी जगह में बनाया गया है। पांच मंजिलों वाले इस अनोखी इमारत के आगे के आधे हिस्से में सीढ़ियों बनी हैं और दूसरे हिस्से में घर बना हुआ है। मकान का आधा हिस्सा 20 फीट लंबाई और 5 फीट चौड़ाई वाला है। इस मकान में एक कमरे का फ्लैट बनाया गया है जिसमें शौचालय से लेकर किचन तक मौजूद है। किचन और शौचालय का आकार ढाई गुना बनाम साढ़े तीन फुट का है। कमरे की लंबाई 11 फीट और चौड़ाई 5 फीट है।
प्रेम में उपहार का लेन-देन तो पहले से चला आ रहा है और प्रेम में मिले तौफे हर प्रेमी जोड़े के लिए खास होते हैं। अब अगर इन तौफों में इमारतें बनवाने की बात हो तो भारत में ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जिन्होंने अपने प्रेम के प्रतीक रूप बड़ी-बड़ी और अनोखी इमारतें खड़ी की है। फिर चाहे वह आगरा का ताजमहल हो या फिर जोधाबाई का महल। प्रेम की अपनी ही एक परिभाषा होती है, जो हर प्रेमी जोड़ा अपने तरीके से लिखता या गढ़ता है। ये भी पढ़ें –
अब प्रेम में इमारतों की बात छिड़ी ही है तो इस श्रेणी में वर्तमान समय में ताज को टक्कर देने की तैयारी कर ली है बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के एक प्रेमी जोड़े ने। इनकी प्रेम की निशानी खासा सुर्खियाँ बटोर रही है। यह ‘ताज’ आगरा जैसा तो नहीं, पर छह (6) फुट चौड़ी जमीन पर बना पांच (5) मंजिला मकान है। यह अपनी ही तरह का अनोखा घर है। मुजफ्फरपुर के रहने वाले संतोष ने यह अनोखा मकान अपनी पत्नी अर्चना के लिए बनवाया है। शादी के बाद उन्होंने यह तोहफा अपनी पत्नी को मुंह दिखाई में दिया था। ये भी पढ़ें – बढ़ई ने किया कमाल, बिना ईंट के बना दिया पक्का मकान, इस अनोखी कारगरी को देखने दूर-दूर से आ रहे लोग
महज 6 फुट की जमीन में बनी इस प्रेम की निशानी (Eiffel Tower of Muzaffarpur) का हर कोना अद्भुत आकर्षण से भरा हुआ है। देखने में इतना अजीब की हर कोई इसे अजूबा बता देता है। लोग इस अनोखे से घर के आगे सेल्फी लेने के लिए पहुँच जाते हैं। मुजफ्फरपुर शहर और आसपास के इलाकों में यह मकान इतना मशहूर हो चुका है कि स्थानीय लोग इसकी ऊंचाई के कारण इसे ‘एफिल टावर’ के नाम से पुकारते हैं।
मज़ाक से मशहूर होने तक का सफर (Eiffel Tower of Muzaffarpur)
संतोष ने अपने इस अनोखे घर के बारे में बताते हैं कि जब उन्होंने इसके निर्माण की शुरुआत की थी, तो हर किसी ने उनका मजाक उड़ाया था। लेकिन आज हालात और समय बदल चुका है। लोग जब भी इस मकान को देखते हैं तो इस मकान की बनावट, इसके कमरों की वास्तुकला तक की तारीफ करते नहीं थकते। मुजफ्फरपुर का यह अजूबा घर (Eiffel Tower of Muzaffarpur) कहा जाने वाला यह मकान अब इस शहर का मशहूर सेल्फी प्वाइंट तक बन चुका है। लोग इसकी तस्वीरें खींचते हैं और कुछ तो इसकी वीडियो तक बना डालते हैं।
शादी के तौफे को बनाया यादगार
संतोष और अर्चना ने शादी के बाद यह 6 फीट चौड़ी और 45 फीट लंबी जमीन खरीदी थी। लेकिन जमीन की चौड़ाई सिर्फ 6 फीट होने के कारण उन्होंने कई सालों तक इस पर कोई निर्माण नहीं करवाया। कई लोगों ने उन्हें जमीन बेचने की भी सलाह दी, पर शादी की यादगार वाली इस जमीन पर दोनों अपना एक घर बनाना चाहते थे। इसके बाद वह खुद मकान का नक्शा लेकर निगम के इंजीनियर के पास गए और नक्शा पास करवाया। वर्ष 2012 में नक्शा पास होने के बाद 2015 में यह घर बनकर तैयार हुआ। मकान बनने के बाद लोगों ने इसे मुजफ्फरपुर का एफिल टावर तो कई ने इसे अजूबा घर घोषित कर दिया।
क्या है इस मकान की ख़ासियत
पांच मंजिल का यह अजूबा घर (Eiffel Tower of Muzaffarpur) महज 6 फीट चौड़ी जगह में बनाया गया है। पांच मंजिल की इस इमारत के आगे के आधे हिस्से में सीढ़ियों बनी हैं, जबकि दूसरे हिस्से में घर बना हुआ है। मकान का आधा हिस्सा जो करीब 20 फीट लंबाई और 5 फीट चौड़ाई वाला है, उसमें एक कमरे का फ्लैट बनाया गया है। इस हिस्से में शौचालय से लेकर किचन तक मौजूद है। किचन और शौचालय का आकार ढाई गुना बनाम साढ़े तीन फुट का है। कमरे की लंबाई 11 फीट और चौड़ाई 5 फीट रखी गयी है।
वीडियो देखें –
कुल मिलाकर एक बैचलर के लिए ऊपर के चार फ्लैट तैयार किए गए हैं। जबकि इसके निचले फ्लोर को हॉलनुमा आकार देकर ऊपर जाने के लिए सीढ़ियाँ बना दी गयीं हैं। यहाँ यह बता दें कि साल 2014 के नये बिल्डिंग बायलॉज से पहले इस भवन का नक्शा पास हुआ था। यही कारण है कि जितनी जमीन संतोष के पास थी उस पर मकान बनाना संभव हो गया। इमारत में खिड़की बाहर खुलने की भी जगह नहीं छूटी है।
प्यार का प्रतीक है ये इमारत
संतोष कुमार इस घर के बारे में बताते हैं कि उन्होंने यह जमीन अपनी नयी नवेली बीवी को मुंह दिखाई के रूप में देने के लिए खरीदी थी। लेकिन उनके सामने यह चुनौती थी की केवल 6 फुट वाली जमीन पर मकान कैसे बनवाया जाए। मगर जब यह मकान बन कर तैयार हुआ, तो लोगों की नज़रे इससे हट ही नहीं पा रहीं। संतोष कुमार का कहना है कि आज जब अपने मकान की चर्चा के बारे में सुनते हैं तो उन्हें काफी प्रसन्नता होती है। इस संकरी-सी जगह पर सभी सुविधाओं से युक्त मकान बनाकर लगता है जैसे कि प्यार अगर सच्चा हो तो असंभव से काम भी संभव हो जाते हैं।
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