Bindupriya Inspiring Story: हमारे समाज में कुछ काम महिला और पुरुष के लिंग के हिसाब से तय किए जाते हैं, जैसे कि आज तक आपने सैलून की दुकान पर पुरुषों को काम करते हुए देखा होगा, जो बहुत ही स्पीड के साथ बाल काटने और दाढ़ी सेट करने जैसा काम करते हैं। वहीं महिलाएँ सिर्फ ब्यूटी पार्लर में की काम करते हुए दिखाई देती हैं।
लेकिन हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, जहाँ लड़कियाँ और लड़के एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं और हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं। ऐसे में अगर एक लड़की सैलून में बालों की कटिंग और दाढ़ी सेट करने का काम करती है, तो उसे समाज में पिछड़ा नहीं बल्कि प्रतिभाषाली माना जाता है।
पिता की दुकान संभाल रही हैं बिंदुप्रिया (Bindupriya Inspiring Story)
तेलंगाना (Telangana) के हैदराबाद (Hyderabad) में कोठागुडम (Kothagudem) जिला स्थित है, जहाँ मोंडीकुंता नामक एक छोटा-सा गाँव मौजूद है। इस गाँव में एक सैलून है, जिसकी तस्वीर देश के दूसरे सैलून से बिल्कुल अलग है। दरअसल इस सैलून में एक लड़की नाई का काम करती है, जिसका नाम बिंदुप्रिया (Bindupriya) है और उन्होंने 11 साल की उम्र में बालों की कटिंग करना सीख लिया था।
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दरअसल इस सैलून को बिंदुप्रिया के पिता चलाया करते थे, जबकि बिंदुप्रिया अक्सर दिन के समय अपने पिता के लिए खाना लेकर दुकान जाती थी। इस दौरान वह अपने पिता को सैलून में काम करते हुए थे और धीरे-धीरे उन्हें भी यह हुनर आ गया, लेकिन बिंदुप्रिया नहीं जानती थी कि आगे चलकर उन्हें नाई का काम करना पड़ेगा।
साल 2015 में बिंदुप्रिया के पिता को अचानक से ब्रेन स्ट्रोक का अटैक आ गया था, उस वक्त-वक्त बिंदुप्रिया की उम्र महज 12 साल थी। ऐसे में डॉक्टर ने बिंदु के पिता को आराम करने की सलाह दी थी, जिसकी वजह से वह सैलून पर नहीं जा पाते थे और इस वजह से घर की आर्थिक स्थिति भी धीरे-धीरे खराब होने लगी थी।
रोजाना 300 रुपए कमाती हैं Bindupriya
ऐसे में बिंदुप्रिया ने एक सुबह सैलून खोलने का फैसला किया और औजार लेकर दुकान पर बैठ गई, जिसमें उनके पिता व परिवार के सदस्यों ने उनका साथ दिया था। बिंदुप्रिया अपने हुनर के दम पर ग्राहकों की हेयर कटिंग और शेव करने जैसा काम करती है, जिससे उन्हें रोजाना 300 रुपए की कमाई हो जाती है।
हालांकि बिंदुप्रिया के लिए सैलून का काम करना बिल्कुल भी आसान नहीं था, क्योंकि गाँव के लोग अक्सर उन्हें ताने मारते थे और बिंदु का विरोध करते थे। कई लोग सैलून के आसपास से गुजरते हुए बिंदुप्रिया के ऊपर भद्दे कमेंट भी करते थे, लेकिन बिंदुप्रिया ने सबकी बातों को नजरअंदाज करते हुए अपना काम जारी रखा।
IAS ऑफिसर बनने का है सपना
बिंदुप्रिया (Bindupriya) को सैलून संभालते हुए 7 साल का लंबा वक्त गुजर चुका है, जबकि पिछले साल बीमारी के चलते उनकी माँ का निधन हो गया था। बिंदुप्रिया ने सैलून में काम करते हुए एक बड़ी बहन की शादी करवा दी, जबकि दूसरी बहन पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही है।
वहीं बिंदुप्रिया ने भी सैलून पर काम करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी, क्योंकि वह आगे चलकर आईएएस ऑफिसर बनना चाहती हैं। बिंदुप्रिया सुबह 9 बजे से शाम के साढ़े छह बजे तक सैलून चलाती है, जबकि उसके बाद घर आकर सिविल सर्विस की तैयारी करते हैं।
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