इन दिनों भारत में स्वच्छता अभियान बहुत जोर शोर से चल रहा है, जिसकी वजह से सड़कों से लेकर बस अड्डे और रेलवे स्टेशनों की सफाई का खास ख्याल रखा जाता है। इतना ही नहीं सरकार द्वारा आम नागरिकों से सार्वजनिक स्थानों पर साफ सफाई बनाए रखने की अपील भी की जाती है। हालांकि इसके बावजूद भी कुछ शहरों में गंदगी काफी ज्यादा है, जिसमें रेलवे स्टेशन का नाम सबसे पहले आता है। ट्रेन से रोजाना सैकड़ों लोग सफर करते हैं, जो अपनी यात्री के दौरान गुटखा और तंबाकू थूक कर स्टेशन को गंदा करने का काम करते हैं।
ऐसे में क्या आपन कभी सोचा है कि स्टेशनों पर आम नागरिकों द्वारा फैलाई जाने वाली इस गंदगी और गुटखे के दागों को साफ करने में सरकार का कितना पैसा खर्च होता होगा। अगर नहीं… तो आज इन आंकड़ों को जान लीजिये।
सार्वजनिक सफाई पर होने वाला खर्च
भारत में सफर करने के लिए सार्वजनिक वाहनों जैसे बस, ट्रेन और टैक्सी आदि का इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें पकड़ने के लिए यात्रियों को किसी स्टेशन, बस अड्डे या टैक्सी स्टैंड पर खड़ा होना पड़ता है। ऐसे में इस दौरान कई यात्री उन जगहों को गुटखा या तंबाकू आदि थूक कर गंदा कर देते हैं, जिन्हें साफ करवाना सरकार के लिए खर्चीला और मेहनत भरा काम साबित होता है।
अगर हम सिर्फ रेलवे स्टेशनों की सफाई की बात करें, तो इसके लिए भारतीय रेलवे को गुटखे के निशानों को साफ करवाने के लिए सालाना तकरीबन 1,200 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन और ट्रेनों की सफाई के लिए कई लाख लीटर पानी भी खर्च किया जाता है, ताकि गुटखे के निशान आसानी से मिट जाए। ट्रेन और रेलवे स्टेशन में थूके जाने वाले गुटखे और तंबाकू की वजह से सालाना इतनी ज्यादा रकम और पानी बर्बाद किया जाता है, जो रेलवे से यात्रा करने वाले यात्रियों के हिसाब से बिल्कुल सही लगती है।
आधुनिक तरीके से स्टेशनों की सफाई
भारतीय रेलवे को हर साल ट्रेन और स्टेशनों की इस गंदगी को साफ करने के लिए काफी ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ती है, जिसकी वजह से अब रेलवे आधुनिक तरीके से सफाई करने के तरीके पर विचार कर रहा है। इसके लिए रेलवे प्रशासन ने स्पिटून (पीकदान) की वेंडिंग मशीन या कियोस्क का लगाने फैसला किया है, जहां से नागरिकों को थूकने के लिए एक विशेष प्रकार का स्पिटून पाउच मिल जाएगा।
इस पाउच की कीमत 5 से 10 रुपए होगी, ताकि हर वर्ग का व्यक्ति इन्हें इस्तेमाल कर सके। वर्तमान ने भारतीय रेलवे ने गुटखा थूकने के इस आधुनिक तरीके को बढ़ावा देने के लिए देश के लगभग 42 स्टेशनों पर स्पिटून पाउच बेचने के लिए स्टॉल लगाए हैं। यात्री इन स्टॉल्स से पाउच खरीद सकते हैं और उन्हें अपनी सुविधा के अनुसार इस्तेमाल करके फीडबैक भी दे सकते हैं।
क्या फायदेमंद है स्पिटून पाउच
रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों को साफ रखने के उद्देश्य से शुरू किए गए उन स्पिटून पाउच को नागपुर की एक स्टार्टअप कंपनी ईजीपिस्ट तैयार करेगी, जो पश्चिम, उत्तर और मध्य रेलवे जोन के एडवांस पिकदान मुहैया करवाएगी। इस स्पिटून पाउच को इस्तेमाल करने के बाद जेब में रखा जा सकता है, जिससे न तो जेब गंदी होगी और न ही उसमें गुटखे का निशान लगेगा। इतना ही नहीं इस पाउच को 15 से 20 बार इस्तेमाल किया जा सकता है, जो पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल हैं।
आपको बता दें कि स्पिटून पाउच थूके गए पदार्थ को ठोस वस्तु में बदल देता है, जिसकी वजह से इसका कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है। इस पाउच को इस्तेमाल करने के बाद मिट्टी में डाल दिया जाता है, जो कुछ ही दिनों में पूरी तरह से मिट्टी में मिलकर अपने आप नष्ट हो जाता है। स्पिटून पाउच को इस्तेमाल करने से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है और रेलवे का सालाना गुटखे के निशानों की सफाई पर होने वाला खर्च भी बच जाएगा।
जो कंपनी इन पाउच को निर्माण कर रही है, उसने स्टेशन पर पाउच खरीदने के लिए वेंडिंग मशीनें लगाने का शुरू कर दिया। इस काम को पूरा करने के लिए कंपनी ने नागपुर नगर निगम और औरंगाबाद नगर निगम के साथ कंट्रैक्ट भी साइन किया है, जिसके तहत 42 रेलवे स्टेशनों पर वेंडिंग मशीनें लगाई जाएंगी। अगर यह तरीका कारगार साबित होता है, तो देश के सभी रेलवे स्टेशनों पर वेंडिंग मशीनो के जरिए स्पिटून पाउच बेचे जाएंगे।
रेलवे प्रशासन की यात्रियों से अपील
रेलवे प्रशासन को उम्मीद है कि इस नए तरीके से स्टेशनों और ट्रेनों में गुटखे और दूसरे पान मसाला द्वारा फैलाई जाने वाली गंदगी में कमी आएगी, जिससे सफाई के काम में लगने वाले पैसे की बचत होगी। इसके साथ ही भारतीय रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि वह स्टेशनों पर लगी वेंडिंग मशीन से स्पिटून पाउच खरीदे और उसे इस्तेमाल करें। इस पाउच की कीमत भी ज्यादा नहीं है और इसे कई बार यूज किया जा सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रेलवे का इस्तेमाल करने वाले यात्रियों को यह बात कितनी समझ आती है।