HomeInnovationIIT मद्रास के एक स्टूडेंट ने बनाई 30 हज़ार की ई-बाइक, एक...

IIT मद्रास के एक स्टूडेंट ने बनाई 30 हज़ार की ई-बाइक, एक बार चार्ज करने पर चलेगी 50 km

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

हमें चाहे पास जाना हो या दूर, बस बाइक उठाई और निकल पड़ते हैं, लेकिन पेट्रोल के दाम दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं ऐसे में अगर कहीं जाना हो तो पहले तो पेट्रोल की चिंता सताती है। पर अब यह चिंता छोड़ दीजिए क्योंकि अब ऐसी बाइक का भी इनवेंशन हो गया है, जिस पर बैठकर आप कहीं भी जा सकते हैं और आप को पेट्रोल की चिंता करने की भी ज़रूरत नहीं है।

दरअसल IIT मद्रास के पूर्व छात्र विशाख ससीकुमार (Visakh Sasikumar) ने एक ऐसी ई-बाइक बनाई है, जो एक बार चार्ज करने के बाद यह 50 km तक चलती है और इसकी बैटरी को चार्ज करना उतना ही आसान है जितना कि एक मोबाइल फ़ोन को चार्ज करना। विशाख ससीकुमार ने अपने वेंचर Pi Beam के अंतर्गत यह ई-बाइक लॉन्च की है। वे आईआईटी मद्रास के द्वारा उद्भवित स्टार्टअप ‘पाई बीम’ (Pi Beam) के संस्थापक और CEO हैं। इस बाइक से जुड़ी ख़ास बात यह भी है कि इसे चलाने के लिए आपको कोई लाइसेंस लेने या फिर रजिस्ट्रेशन करवाने की भी आवश्यकता नहीं है।

thebetterindia.com

25 km प्रति घंटा की स्पीड है, बैटरी चार्ज होने में लगेगा फ़ोन चार्ज होने जितना टाइम

विशाख ने बताया कि “इस बाइक में इलेक्ट्रिक हॉर्न, एलईडी लाइट, ड्यूल सस्पेंशन, डिस्क ब्रेक, लम्बी सीट और मेटल मडगार्ड जैसी बहुत-सी विशेषताएँ हैं। इसमें अन्य दो पहिए वाले वाहनों की तरह ही सारी सुविधाएँ और गुण हैं और इसकी अधिकतम स्पीड 25 km प्रति घंटा है। इसके साथ ही, यह बहुत सस्ती है और इसे हर आयु के व्यक्ति सरलता पूर्वक चला सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “इस ई-बाइक की एक और ख़ास बात यह है कि इसमें उसी पावर सॉकेट का प्रयोग किया गया है, जिसका उपयोग एक स्मार्टफोन में किया जाता है, इसलिए इसकी बैटरी चार्ज होने में भी उतना ही समय लगता है, जितना एक स्मार्टफोन में लगता है।”

छोटी यात्राओं को आसान करने के लिए बनाया गया

विशाख ने बताया कि इस ई-बाइक को 5-10 km जैसी छोटी दूरियों को तय करने के लिए विकसित किया गया है। उन्होंने कहा कि “50 रुपए के दूध और थोड़ी सब्जियाँ खरीदने के लिए, कार या बाइक पर जाने से पैसे तो बर्बाद होते ही थे, उसके साथ ही पर्यावरण को भी बहुत हानि होती है। इतना ही नहीं, सड़कों में आने जाने में भी परेशानी आती है। हमारा यह माइक्रो यूटिलिटी व्हीकल (सूक्ष्म उपयोगिता वाहन) इन सभी चुनौतियों का समाधान करता है।” गौरतलब है कि इस कंपनी ने अब तक, पूरे देश में लगभग 100 ग्राहकों को यह वाहन बेच दिया है।

सिर्फ 30 हज़ार रुपए की क़ीमत में मिलेगी यह ई-बाइक

विशाख ने कहा कि इस बाइक का उपयोग आप अपनी निजी आवश्यकताओं को पूरी करने के साथ ही व्यापारिक तौर पर भी कर सकते हैं जैसे कि फूड डिलीवरी बिजनेस (खाद्य वितरण व्यवसाय) में। कम आय वाले लोगों के लिए के लिए भी यह बाइक काफ़ी उपयोगी और सस्ती रहेगी।

उन्होंने बताया, “आज ईंधन से चलने वाले टू व्हीलर का मूल्य करीब 60 हज़ार रुपए होता है। परंतु इस ई-बाइक का मूल्य, ईंधन से चलने वाले उन टू व्हीलर्स की क़ीमत से भी आधा है, यानी सिर्फ़ 30 हज़ार रुपए है। इसके साथ ही, इसमें ईंधन के लिए आपको बार-बार पैसे भी ख़र्च नहीं करने होंगे।”

thebetterindia.com

ग्रेजुएशन के दौरान मिली ई-बाइक बनाने की प्रेरणा

विशाख ने कहा, “मुझे ई-बाइक बनाने की प्रेरणा ग्रैजुएशन के समय मिली थी। मैंने ऐसे बहुत से कंपटीशन में भाग लिया, जिसमें ‘स्क्रैप साइकिल’ या दोपहिया वाहनों को ‘इलेक्ट्रिक ट्राइसाइकिल’ का रूप देने की आवश्यकता थी। इन अभ्यासों के पीछे का आइडिया यह था कि ऐसे छोटे और सक्षम व्हीकल बनाए जाएँ, जिनसे प्रदूषण कम होता हो और कम दूरी तय करने में सक्षम भी हो।”

इसी श्रंखला में, G K वेंकट, जो सेंट्रिक फूड्स के प्रबंध निदेशक हैं और इस ई-बाइक के खरीददार हैं। उन्होंने कहा कि, “मैंने इस बाइक को अपने बिजनेस के साथ ही व्यक्तिगत उपयोग के लिए भी खरीदा है। थोड़ी दूर पर आने-जाने के लिए यह ई-बाइक एक बेहतर साधन है। आज के समय में ईंधन की क़ीमत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में, यह बाइक देश में लोगों के लिए एक सस्ता ऑप्शन सिद्ध होगा, जो यहाँ की सड़कों के अनुरुप बना है।” वेंकट का उद्देश्य फूड डिलीवरी (खाद्य वितरण) के लिए, ज़्यादा से ज़्यादा ई-बाइक का प्रयोग करना है।

उन्होंने कहा, “साधारणतया, ई-बाइक को एक लग्‍जरी के तौर पर देखा जाता है, लेकिन इसकी कम कीमत, विभिन्न वर्गों जैसे कि फूड डिलीवरी, व्यक्तिगत उपयोग और बुजुर्गों के लिए इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करेगी।”

इस ई-बाइक की चुनौतियाँ

विशाख ने बताया कि इस बाइक की डिजाइन निर्धारित करने में टेस्टिंग में और कई बाधाओं को पार करने में करीब 1 साल का टाइम लगा। वे कहते हैं कि “विक्रेताओं (वेंडर्स) के लिए, एक ऐसे छोटे स्टार्टअप के लिए 30 प्रोटोटाइप (मूल रूप) बनाने के लिए राजी करना कठिन था, जिसके फ्यूचर के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता था। उनका विश्वास प्राप्त करने और उन्हें अपने प्रोडक्ट के बारे में समझाने में बहुत टाइम लग गया।”

उन्होंने कहा कि “मैंने टीम के मेम्बर्स से बाइक के फीचर्स और डिजाइन के लिए बहुत बहस की कि कौन से फीचर रखने चाहिए और कौन से नहीं, क्योंकि व्हीकल की बिक्री में फीचर्स की एक अहम भूमिका होती है। इसके अलावा, ई-बाइक के ढांचे में कोई कर्व (मुड़ाव) नहीं है और यह बहुत खुली दिखती है। इसलिए एक ऐसी डिजाइन को सेलेक्ट करना मुश्किल था, जिसका मार्केट में क्रेज ज़्यादा नहीं हो। पर, हमने फिर भी शार्प एज (नुकीले किनारे) वाले डिजाइन को सेलेक्ट किया।”

thebetterindia.com

कई बाधाओं का सफल परीक्षण किया गया

विशाख के एक कर्मचारी ने लगभग एक साल तक अपने घर से ऑफिस तक आने-जाने के लिए इस ई-बाइक का प्रयोग किया था। उनके घर और ऑफिस की दूरी करीब 54 km है। विशाख ने कहा कि “हम चाहते थे कि ई-बाइक को सड़कों पर, गड्ढों, पानी और अन्य बाधाओं के साथ सख्ती से परीक्षण किया जाए, जिससे यह सुनिश्चित हो जाए कि यह बाइक कस्टमर्स के साथ किये गए वादों पर खरी उतरेगी।”

इस व्हीकल को बनाने के लिए उन्होंने 90 % संसाधन भारत से ही जुटाये हैं। वे कहते हैं, “हम अभी केवल मोटर आउटसोर्स (बाहरी स्रोत से माल मंगवाना) कर रहे हैं। यद्यपि हम कोशिश कर रहे हैं कि इसे भी हमारे देश में ही बनाया जाए। इसके साथ ही, हम बेंगलुरु, पांडिचेरी और ग्रामीण क्षेत्रों के मार्केट तक पहुँचने की प्लानिंग भी कर रहे हैं। क्योंकि, ऐसे व्हीकल को लेकर वहाँ पर संभावनाएँ दिखती हैं।” अब ‘पाई बीम’ का टारगेट चालू वित्तीय वर्ष में 10, 000 ई-बाइक बेचने का है।

यह भी पढ़ें
News Desk
News Desk
तमाम नकारात्मकताओं से दूर, हम भारत की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।

Most Popular