जहाँ एक ओर लोग अपने गाँव अपने शहर से बड़े-बड़े शहरों में पलायन कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर एक ऐसे भी व्यक्ति हैं जो लोगों के पलायन को लगातार रोकने का काम कर रहे हैं और उन्हें रोजगार दिलाने की कोशिश में लगे हैं। हर्षित सहदेव (Harshit Sahdev), जो देहरादून के रहने वाले हैं। उनकी उम्र 33 वर्ष है।
हर्षित (Harshit Sahdev) उत्तराखंड के लोगों के लिए मसीहा बन गए जब साल 2013 में आई बाढ़ ने उत्तराखंड को पूरी तरह से अपने चपेट में ले लिया था। पूरा राज्य बाढ़ में डूब चुका था। लोगों के पास रहने को घर नहीं थे, उनके उगाए हुए सारे फ़सल बाढ़ की वज़ह से बर्बाद हो चुके थे। ऐसे में हर्षित ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि “लोग इतने ज़्यादा तबाह हो चुके थे कि उनका रहना मुश्किल हो गया था। पुल के बिना उनका कहीं आना जाना असंभव-सा हो गया था। पूरी तरह से वहाँ के लोग दुनिया से कट चुके थे।”
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ऐसे मुश्किल घड़ी में हर्षित (Harshit Sahdev) ने लोगों की मदद तो की ही और इसके साथ ही साथ उन्होंने पुल बनाने के लिए लगातार मेहनत की। उनके इस संघर्ष और मेहनत को देखते हुए वहाँ के प्रशासन को पुल बनवाना पड़ा। जब उत्तराखंड की स्थिति पूरी तरह से सामान्य हो गई, लोगों का आवागमन फिर से शुरू हो गया, तब हर्षित लौट आए और कॉरपोरेट सेक्टर में नौकरी करने लगे। इस तरह हर्षित की वज़ह से वहाँ के लोगों की ज़िन्दगी सामान्य हुई।
उसके बाद साल 2018 की बात है जब साइकिल दौरे से फ़्रांस से भारत पहुँची क्लोए एंडे को मीडिया के द्वारा हर्षित के बारे में पता चला। तब क्लोए हर्षित से मिलने के लिए देहरादून तक आ पहुँची। क्लोए वह सारी चीजें देखी जहाँ हर्षित ने लोगों के लिए पुल बनाने का काम किया था। हर्षित क्लोए को लेकर दिदसारी भी गए। वहाँ जाने के बाद हर्षित ने देखा कि वहाँ की स्थिति अभी भी नहीं सुधरी है। अभी भी लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं और पलायन करने के लिए मजबूर हैं। वहाँ जंगली जानवरों का इतना ज़्यादा प्रकोप था कि लोगों का खेती करना भी मुश्किल था। तब हर्षित ने क्लोए को वहाँ के पहाड़ी पिंक नामक का स्वाद चखाया। पहाड़ी पिंक नमक का स्वाद क्लोए को बहुत पसंद आया। तब क्लोए ने इस नमक के बारे में सारी जानकारी ली।
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10 हज़ार के निवेश से शुरू किया स्टार्टअप
आपको बता दें तो इस नमक को वहाँ की स्थानीय महिलाएँ हल्दी, लहसुन, मिर्च और पहाड़ पर मिलने वाले और भी जड़ी बूटियों के साथ मिलाकर पिसती हैं। यही वह समय था जब हर्षित के मन में बिजनेस का विचार आया। उसके बाद सिर्फ़ 10 हज़ार के निवेश से दोनों ने मिलकर उस गाँव के लिए कुछ करने का प्लान बनाया। उन लोगों ने वहाँ बनने वाले नमक का नाम दिदसारी सॉल्ट रखा और हिम शक्ति ब्रांड के तहत इसकी पैकेजिंग की शुरुआत की। हर्षित यहाँ का काम संभालते और उनके पार्टनर क्लोए इस नमक को फ्रांस तक पहुँचाने का काम करती। इस पहाड़ी नमक का स्वाद लोगों को भी बहुत ज़्यादा पसंद आने लगा।
आगे एक इंटरव्यू में हर्षित (Harshit Sahdev) ने बताया कि “फ्रांस में हमारे द्वारा भेजे गए नमक को लोगों ने काफ़ी पसंद किया तब हमें पता चल गया कि हमारे प्रोडक्ट की क्वालिटी अच्छी है और हम इसे आगे लेकर भी चल सकते हैं। उसी दौरान IIM काशीपुर ने एग्रो बेस्ट स्टार्टअप के लिए ग्रांट देने के लिए आवेदन मांगा गया जहाँ इन लोगों ने आवेदन कर दिया और इन्हें सफलता भी मिली।”
किसान हर महीने लगभग 15 हज़ार रुपए कमा रहे हैं
हर्षित (Harshit Sahdev) द्वारा शुरू किए गए इस बिजनेस की सबसे ख़ास बात यह है कि इससे वहाँ के लोगों का पलायन बहुत हद तक कम हो चुका है। हर्षित ने कहा कि इधर के गांवों में बेरोजगारी चरम सीमा पर है, यही कारण है कि लोग ठीक ढंग से खेती भी नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए हमारा यही उद्देश्य है कि हम किसानों को रोजगार देकर उनके लिए एक निश्चित आमदनी तय कर सके। फिलहाल हर्षित के साथ जितने भी किसान काम करते हैं उनकी आमदनी हर महीने लगभग 15 हज़ार हैं। आगे हर्षित का लक्ष्य है कि वह ज़्यादा से ज़्यादा किसानों को इस रोजगार के साथ जोड़ सकें।
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हर महीने लगभग ढाई लाख रुपए कमा लेते हैं
फिलहाल फ्रांस से साइकिल दौरे पर भारत आईं क्लोए अब फिर से फ्रांस वापस चली गई हैं। लेकिन हर्षित (Harshit Sahdev) अपने इस काम को जारी रखें हैं। फिलहाल उन्होंने वहाँ के गांवों में लगभग 7 किसानों से कॉन्ट्रैक्ट किया है। अगर हर्षित के अंदर की बात की जाए तो इस व्यवसाय से वह हर महीने लगभग ढाई लाख रुपए कमा लेते हैं तो वही उनकी कंपनी की मार्केट वैल्यू लगभग 9 करोड रुपए तक पहुँच चुकी है। इस तरह हर्षित पूरी तरह से वोकल फॉर लोकल के कदमों पर चल रहे हैं, इसके साथ ही ज़्यादा ज्यादा लोगों को रोजगार देने के लिए प्रयासरत हैं।