दोस्तों, हमनें बहुत-सी प्रेरणादायी कहानियाँ पढ़ते रहते हैं, जिसमें लोग अपनी लगन और मेहनत के बल पर ‘फर्श से अर्श तक’ पहुँचे हैं। ये कहानियाँ हमारे भीतर एक ग़ज़ब का आत्मविश्वास पैदा कर देती हैं, जिन्हें पढ़कर हमें लगता है कि जब वे कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं? कुछ ऐसी ही कहानी जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं, वह रोचक होने के साथ-साथ समाज की विकृत मानसिकता को बदलने की सीख भी देती है।
हम जो कहानी की बता रहे हैं, वह एक ऐसे शख़्स की है, जो अपनी मेहनत के दम पर मैकेनिक से बिजनेसमैन बने और प्रसिद्ध बुर्ज खलीफा (Burj Khalifa) बिल्डिंग में 22 फ़्लैट खरीदकर अपनी अलग पहचान बनाई। हालांकि कामयाबी तक पहुँचने का उनका यह सफ़र काफ़ी संघर्षपूर्ण रहा, गरीब होने की वज़ह से उनके रिश्तेदारों और समाज के लोगों ने उनका कई बार मज़ाक उड़ाया व अपमानित किया। पर इस शख़्स ने लोगों की बातों पर ध्यान न देते हुए कड़ी मेहनत से अपना एक साम्राज्य स्थापित किया, इतना ही नहीं, दुनिया की सबसे ऊँची ईमारत में बहुत से फ़्लैट के मालिक भी बने।
जार्ज वी नेरियापरामबिल (George V Nereaparambil)
हम बात कर रहे हैं केरल के एक किसान परिवार से सम्बन्ध रखने वाले जार्ज वी नेरियापरामबिल (George V Nereaparambil) की। जिस समय जॉर्ज महज़ 11 वर्ष की आयु के थे, तभी से अपने पिता जी के साथ काम में हाथ बंटाने लग गए थे। वे जिस गाँव में रहा करते थे, वहाँ अधिकतर किसान व्यक्ति कपास का कारोबार किया करते थे। कपास व्यापारी जब व्यर्थ बचे हुए कपास के बीज फेंक देते थे, तो जॉर्ज उन कपास के बीजों को साफ़ करके ग़म बनाने का व्यवसाय किया करते थे, इसी प्रकार से उनके अपने व्यवसाय की शुरुआत हुई।
शारजाह जाकर बदली क़िस्मत
कपास के व्यवसाय के बाद जॉर्ज ने कुछ समय मैकेनिक के तौर पर भी काम किया। इसी तरह उन्होंने बहुत से छोटे-मोटे व्यापार किए और वर्ष 1976 में शारजाह चले गए। शारजाह में गए तो वहाँ उन्हें लगा कि वहाँ गर्म जलवायु में एयर कंडीशनिंग का कारोबार अच्छा चल सकता है। बस, फिर क्या था, जॉर्ज ने ख़ूब मेहनत करके उसके बाद अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने JEO ग्रुप ऑफ कंपनीज का साम्राज्य खड़ा कर दिया। जॉर्ज कहते हैं “मैं सपने देखने वाला शख्स हूँ और सपने देखना कभी नहीं छोडूंगा!”
इस घटना की वज़ह से खरीदे बुर्ज खलीफा में 22 फ्लैट
आप सोचते होंगे जॉर्ज ने इसी बुर्ज़ खलीफा में इतने सारे फ़्लैट आख़िर क्यों खरीदे होंगे? तो आपको बता दें कि इतने सारे फ़्लैट खरीदने के पीछे एक रोचक घटना है। असल में हुआ यूं कि जॉर्ज और उनके कुछ सगे-सम्बंधी 828 मीटर ऊंची इस बुर्ज खलीफा बिल्डिंग को देखने गए। तब उनके रिश्तेदारों ने उनका मज़ाक उड़ाया और कहने लगें की, “देखो यह बुर्ज खलीफा है। इस बिल्डिंग में तुम घुस भी नहीं सकते हो।”
जॉर्ज को यह सुनकर बहुत अपमानित महसूस हुआ, उस वक़्त भले ही वे गरीब थे, पर उन्होंने मन ही मन निश्चय कर लिया था कि अब तो वे इस मज़ाक को हक़ीक़त बनाकर ही दम लेंगे। फिर उस घटना के 6 सालों बाद ही जॉर्ज ने बुर्ज खलीफा में एक या दो नहीं, बल्कि पूरे 22 फ़्लैट खरीद लिए। जिस बिल्डिंग में कभी उन्हें घुसने भी नहीं दिया जा रहा था, कुछ ही सालों में उसमें 22 फ़्लैट का मालिक बनना निश्चित रूप से बड़ी सफलता है।
अब नहर तैयार करने की योजना
खलीज टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जॉर्ज अब त्रिवेंद्रम से कसाराकोड को जोड़ने हेतु एक नहर भी बनाना चाहते हैं। यह नहर कुछ ख़ास कारणों से तैयार की जाएगी। इससे पन-बिजली पैदा करने की प्लानिंग भी की जा रही है और साथ ही इसके पानी से खेतों में सिंचाई व मछली पालन इत्यादि व्यवसायों को भी बढ़ावा मिलेगा।
कुछ लोग तिरस्कार का बदला लेने के लिए दूसरों को भी तिरस्कृत करते हैं परंतु जार्ज वी नेरियापरामबिल (George V Nereaparambil) ने अपने तिरस्कार का बदला कुछ अलग तरीके से लिया और जीवन में सफल व्यक्ति बन कर सबका मुंह बंद कर दिया। उनका दृढ़ निश्चय और ख़ुद पर भरोसा और मेहनत तारीफ-ए-काबिल है।