जिंदगी में हमेशा सीखने वाला और मेहनत करने वाला इंसान ही आगे बढ़ता है। नौकरी मिलने के बाद भी दिल्ली के दो पुलिस कॉन्स्टेबल आगे के लिए मेहनत करते रहे और परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे। इनकी मेहनत का ही नतीजा है कि यह दोनों ACP और IPS अधिकारी बन चुके हैं।
साल 2010 में विजय सिंह गुर्जर (Vijay Singh Gurjar) और फिरोज आलम (Feroz Alam) दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात हुए। लेकिन दोनों की पोस्टिंग अलग-अलग पुलिस स्टेशन पर थी। इन दोनों की सबसे ख़ास बात यह थी कि नौकरी ज्वाइन करने के बाद भी इन्होंने अपनी तैयारी को नहीं छोड़ा था, अपनी पढ़ाई जारी रखा। अपने मेहनत और लगन से विजय सिंह गुर्जर ने साल 2017 में 574वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा पास की तो वहीं साल 2019 में फिरोज आलम ने भी 645वीं रैंक के साथ यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाई।
एक कि पोस्टिंग भावनगर में तो दूसरे की ट्रेनिंग
वर्तमान समय में विजय सिंह गुर्जर गुजरात कैडर के आईपीएस और गुजरात के भावनगर में ही एएसपी के पद पर कार्यरत है। अगर बात कीजिए फिरोज आलम की तो उन्हें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पुलिस सेवा कैडर मिला है। इसी के तहत फिरोज आलम को दिल्ली में बतौर एसीपी के पद पर पोस्टिंग प्राप्त होगी। उसके बाद डीसीपी फिर आईपीएस के रूप में उनका प्रमोशन किया जाएगा। फिलहाल वो दिल्ली में पुलिस कांस्टेबल के पद पर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं और दिसम्बर में डीएएनपी के लिए ट्रेनिंग पर जाएंगे।
जानिए दिल्ली कांस्टेबल फिरोज आलम की जीवनी
फिरोज का जन्म उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के आजमपुर दहपा गाँव में हुआ है। उनके पिता मोहम्मद शहादत का कबाड़ी का व्यवसाय है और उनकी माता का नाम मुन्नी बानो है। 12वीं तक इन्होंने अपनी पढ़ाई वहीं के इंटर कॉलेज से की और 12वीं करने के बाद फिरोज की दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हो गई। फिरोज पांच भाई और तीन बहन है। यह अपने गाँव के दूसरे ऐसे व्यक्ति हैं जो यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की है।
एक इंटरव्यू में बातचीत के दौरान फिरोज आलम ने बताया कि 12वीं करने के बाद ही वह दिल्ली पुलिस कांस्टेबल के पद पर तैनात हो चुके थे। इन्होंने अपने आगे की पढ़ाई दिल्ली से ही पूरी की। नौकरी करने के दौरान अपने बड़े अफसरों से उनके काम को लेकर काफ़ी प्रभावित रहते थे। इसलिए इन्होंने भी ठान लिया कि यह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखेंगे और सफलता पाएंगे। फिरोज ने बताया कि उन्हें आईपीएस विजय सिंह गुर्जर की सफलता ने भी आगे बढ़ने में काफ़ी प्रेरित किया।
अपने आखिरी प्रयास में सफलता पाई
उन्होंने बताया कि नौकरी करने के साथ-साथ परीक्षा की तैयारी करना उनके लिए आसान नहीं था और लगातार इन्हें पांच-पांच बार असफलता हाथ लगी। यह उनके लिए छठा और आखिरी मौका था। फिरोज इस मौके को हाथ से जाने देना नहीं चाहते थे। उसके बाद जब विजय सिंह गुर्जर आईपीएस बने तो इनमें भी बहुत हिम्मत आई और 2019 में अपने छठे और आखिरी प्रयास में इन्होंने भी सफलता पा ली।
जानिए आईपीएस विजय सिंह गुर्जर के बारे में
बात अगर आईपीएस विजय सिंह गुर्जर की जाए तो उनका जन्म 1987 में राजस्थान के झुंझुनू जिले के देवीपुरा गाँव के रहने वाले हैं। इनके पिता लक्ष्मण सिंह एक किसान है, तो वहीं इनकी माता का नाम चंदा देवी है। पढ़ाई के दौरान विजय भी अपने पिता के खेतों में मदद किया करते थे और इनकी भी पूरी कहानी संघर्षों से भरी है।
पढ़ाई में बहुत ही साधारण रहे
पढ़ाई में बहुत ही साधारण रहने वाले आईपीएस विजय सिंह गुर्जर ने अपने शिक्षा हिन्दी मीडियम से ही पूरी की। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि हमेशा इन इन्हें पराई में औसतन मिला करते थे। औसत छात्र होने की वज़ह से इन्हें दसवीं में 54.5% तो वही 12वीं की परीक्षा में इन्हे 67.23% अंक प्राप्त हुए। इन्होंने संस्कृत से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया है जिसमें इन्हें 54.5% अंक प्राप्त हुए। विजय ने संस्कृत में भी शास्त्री की डिग्री प्राप्त की है। लेकिन इन्होंने अपने मेहनत और लगन के कारण देश के सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी में सफलता पाई।
साल 2015 में शादी की
अपने पांच भाई बहनों में विजय तीसरे नम्बर पर हैं और उनके छोटे भाई अजय गुर्जर पटवारी के पद पर कार्यरत हैं। विजय सिंह गुर्जर ने वर्ष 2015 में सीकर के गाँव भादवासी की सुनिता के साथ शादी की।
पूरे 6 बार सरकारी नौकरी लगी
विजय भी यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान कई अन्य परीक्षाएँ भी देते थे और उसमें सफलता भी हासिल की और दिल्ली पुलिस में तो विजय साल 2010 में ही तैनात हो चुके थे। इनका चयन जनवरी 2013 में सेंट्रल एक्साइज में इंस्पेक्टर के पद पर हुआ था और इन्होंने 1 साल तक केरल के तिरुअनंतपुरम में अपनी सेवाएँ भी दी। उसके बाद फरवरी 2014 में आयकर विभाग दिल्ली में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हुए। आईपीएस बनने से पहले तक विजय इसी पद पर तैनात रहे। विजय सिंह गुर्जर की इसे लेकर 6 बार सरकारी नौकरी लग चुकी है।