हमारे देश में आत्मनिर्भर बनने की चर्चा जोरों शोरों से चल रही है और वैसे भी कोरो ना के कारण लाखों लोगों की नौकरी छीन चुकी है इसलिए ज्यादातर लोगों का ध्यान स्वरोजगार की तरफ़ ही जा रहा है क्योंकि इसमें नौकरी खोने का डर नहीं होता है। तो ऐसे में बिहार (Bihar) के हाजीपुर (Hajipur) जिला के रहनेवाले ब्रजेश कुमार (Brajesh Kumar) ने भी आत्मनिर्भर बनने का फ़ैसला लिया और बायोफ्लॉक (Biofloc Fish Farming) प्लांट से मछली पालन कर ख़ुद का बिजनेस शुरू किया।
पहले ख़ुद हुए सफल, अब दे रहे प्रशिक्षण
वो कहते हैं कि किसी काम को कहने और करने में बहुत फ़र्क़ होता है उसे कहना बहुत आसान होता है लेकिन करना बहुत मुश्किल। लेकिन वैशाली के रहने वाले ब्रजेश कुमार ने कहने के बजाय काम किया। ताकि बेरोजगारी को दूर किया जा सके। इसलिए उन्होंने मेहनत कर सफलता भी पाई। उन्होंने बताया कि बिहार में मिट्टी और पानी की जो स्थिति है वह मछली पालन के लिए बेहतर है। बृजेश बायो फ्लॉक मछली पालन तकनीक से मछली पालन का काम करते हैं और इसके साथ ही साथ वह इस तकनीक के बारे में लोगों को जानकारियाँ भी देते हैं।
बिहार में भी Biofloc तकनीक से किया जा सकता है मछली पालन
बायो फ्लॉक मछली पालन के लिए एक बहुत ही अच्छी तकनीक है जिसमें मछलियों का जो वेस्ट निकलता है उसे बैक्टीरिया से प्यूरिफाई कर लेते हैं। यह बैक्टीरिया मछली के मल को 20 फ़ीसदी तक प्रोटीन में बदल देता है। फिर इसे मछली के चारे के रूप में भी इस्तेमाल कर लिया जाता है, जिसमें ख़र्च भी बचता है। यह बायो फ्लॉक तकनीक इजराइल जैसे कम पानी वाले इलाकों के लिए आया था। लेकिन बिहार में भी तालाबों की संख्या बहुत कम है इसलिए इस तकनीक को बिहार में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
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एक टैंक बनाने में लगभग 30 हज़ार तक का ख़र्च आता है
बायो फ्लॉक तकनीक (Biofloc Fish Farming) में लागत टैंक के साइज के ऊपर निर्भर करता है। जितना बड़ा टैंक होगा मछली पालन करना उतना ही आसान होगा एक टैंक बनाने में लगभग 30 हज़ार तक का ख़र्च आता है और इसके बाद जैसे-जैसे टैंक का साइज बढ़ेगा, लागत भी उतना बढ़ता जाएगा। इस विधि में सिर्फ़ टैंक के पानी के टेंपरेचर को कंट्रोल करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि मछली जो होती है वह 15 डिग्री से कम और 35 डिग्री से अधिक टेंपरेचर को बर्दाश्त नहीं कर पाती हैं और उसमें 24 घंटे बिजली की भी आवश्यकता होती है।
3 इंच वाले बीज में मृत्यु दर कम होती है
अब इसके बाद बात आती है मछली के बीज की, की किस आकार का बीज मछली पालन के लिए बेहतर है। इस बात पर बृजेश कुमार बताते हैं कि बीज का साइज चाहे जो भी हो उसमें अच्छा ग्रोथ होता है। लेकिन 3 इंच का बीज सबसे अच्छा माना जाता है, जिसका ग्रोथ अच्छा होता है और इसके पीछे एक सबसे बड़ा कारण यह है कि इसमें मोर्टीलिटी यानी मृत्यु दर कम होती है। इस बीज को उंगली बीज भी कहा जाता है।
वीडियो में देखें बायो फ्लॉक मछली पालन का तरीका
मछली पालन के लिए मई से अगस्त तक का महीना है अच्छा
मछली पालन के लिए कौन-सा महीना बेहतर होता है इसके लिए उन्होंने बताया कि आप मई से लेकर अगस्त के बीच में बीज का काम कर सकते हैं। क्योंकि इस महीने में मछली पालन शुरू करने पर मुनाफा ज़्यादा मिल सकता है। इस तरह बृजेश कुमार ने ख़ुद का रोजगार तो शुरू किया है लेकिन साथ ही साथ अब दूसरे को प्रशिक्षण और रोजगार भी दे रहे हैं।