आपने देखा ही होगा कि आजकल कछुए की अंगूठी पहनने का काफ़ी फैशन चल रहा है। दरअसल ये अंगूठी फैशन के लिए नहीं बल्कि इसकी कुछ खासियत की वज़ह से पहनी जाती है। इसका प्रभाव राशियों के अनुसार अलग-अलग होता है। कुछ ऐसी भी राशियाँ हैं जिनपर इसका प्रभाव शुभ नहीं होता है और इस अंगूठी को पहनने से पहले एक विशेष विधि की जाती है। चलिए जानते हैं इस अंगूठी से जुड़ी महत्त्वपूर्ण बातें-
ऐसा माना जाता है कि कछुआ भगवान विष्णु जी के कच्छप अवतार का ही रूप है, जब समुद्र मंथन हुआ था उस समय उनके इसी रूप की मदद से लक्ष्मी जी प्रकट हुईं। इतना ही नहीं अगर हम वास्तुशास्त्र की मानें तो उसमें भी इस अंगूठी को पहनने के बहुत फायदे बताए गए हैं।
क्यों पहननी चाहिए ये अंगूठी?
ऐसा मानते हैं कि जो लोग गुस्से वाले होते हैं, वे अगर इस अंगूठी को विधिपूर्वक पहनें तो उनका गुस्सा कम होता है और व्यवहार में संतुलन भी आता है। इस अंगूठी से उनका स्वभाव नम्र और शांत रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लक्ष्मी जी और कछुआ दोनों ही जल से अवतरित हुए थे। जल शीतलता प्रदान करने वाला होता है अतः इससे गुस्सा शांत हो जाता है। इसके साथ ही कछुए की एक और प्रकृति है कि वह गंभीर और अंतर्मुखी होता है, तो इस बात का प्रभाव भी अंगूठी पहनने वाले व्यक्ति पर पड़ेगा। वास्तु में माना गया है कि इसे पहनने से आत्मविश्वास बढ़ता है और आपके आस पास पॉज़िटिव एनर्जी रहती है।
इसे धारण करते समय ध्यान रखें ये ज़रूरी बातें
ये कछुए की अंगूठी जब भी आप पहनना चाहें तो हमेशा चांदी कि ही बनवाकर पहनें। यदि आपको दूसरे किसी धातु से ये अंगूठी बनवानी है तो इसमें अपनी राशि का रत्न जड़वा कर पहन सकते हैं। इसे इस प्रकार से पहनिए की कछुए का मुख आपकी ही तरफ़ दिखाई दे, कई लोग बार-बार अंगूठी को घुमा कर पहनते हैं, ऐसा करना सही नहीं है और कछुए का दूसरी तरफ़ मुख होगा तो पैसों की दिक्कत आएगी। इस अंगूठी को सदैव सीधे हाथ की मध्यमा या तर्जनी अंगुली में ही पहनें।
अंगूठी को विधिपूर्वक पहनने के बाद अगर आपको किसी वज़ह से इसे थोड़ी देर के लिए उतारना पड़ जाए तो उतारकर इसे पूजाघर में रखिए, फिर नहाकर इसे लक्ष्मी जी के चरणों को छुआकर ही पहनिए।
इस तरह धारण करें ये अंगूठी
इस अंगूठी को शुक्रवार के दिन या फिर पूर्णिमा को इसे खरीद कर अपने साथ घर लाइए और फिर पूजाघर में पंचामृत बनाकर रखिए। फिर माता लक्ष्मी जी और भगवान विष्णु जी के सम्मुख घी का दीपक और अगरबत्ती जलाकर ये मंत्र पढ़िए और एक बार माला का जाप कीजिए। फिर एक प्लेट में ये अंगूठी रखिए और ‘ओम श्रीं-श्रीं कमले कमलायै प्रसीद-प्रसीद श्रीं महालक्ष्मी नमः इस मंत्र को बोट हुए उस अंगूठी प्र पंचामृत डालिए। यदि आपको ऊपर बताया मंत्र नहीं बोलना है तो सिर्फ़ श्रीं’ मंत्र का 108 बार यानी एक माला जितना जप करें और फिर इस अंगूठी को गंगाजल से धो लीजिए। अपने कुलदेव या कुलदेवी को याद करते हुए इसे पहनिए।
इन राशियों के व्यक्तियों के लिए होंगे अशुभकारक परिणाम
कुछ राशियाँ ऐसी भी हैं जिनके लिए इसे पहनना अच्छा नहीं है, कर्क, मीन और वृश्चिक राशि के लोगों को ये नहीं पहननी चाहिए, वरना इसके बुरे परिणाम भुगतने पड़ेंगे, क्योंकि ये राशियाँ स्वयं ही अपने आप में जल का गुण रखती हैं, इसे पहनेंगे तो शीतलता का गुण बढ़ने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर हो सकता है और साथ ही दूसरे भी विपरित परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
अतः इसे जब भी धारण करें, बताई गई बातों को ध्यान में रखकर करें, जिससे आपको धन का लाभ भी होगा और आपका व्यवहार भी सुधरेगा।