कहते हैं कि काम कोई भी हो यदि उसे जी-जान से किया जाए तो उसमें सफलता ज़रूर मिलती है। भले ही रास्ता कठिन हो, मंज़िल दूर क्यों ना हो। यदि हम अपने काम के प्रति पूरी ईमानदारी और निष्ठा से लगे रहते हैं तो सफलता निश्चित मिलती है।
आज हम आपको एक ऐसे ही पति-पत्नी की कहानी बताने जा रहे हैं। जिन्होंने बांस से फर्नीचर बनाने का काम शुरू किया। शुरुआत में आलोचना भी झेली और लोगों ने ये भी कहा कि आज के दौर में जब एक से बढ़कर एक फर्नीचर बाज़ार में आ चुके हैं, तो भला बांस से बने फर्नीचर कौन खरीदना चाहेगा। आइए जानते हैं फिर कैसा रहा इन पति-पत्नी का आगे का सफर।
कौन हैं ये पति-पत्नी
हैदराबाद (Hyderabad) के रहने वाले पति-पत्नी का नाम अरुणा (Aruna) और प्रशांत लिंघम (Prashant lingam) है। इन दोनों को शादी के बंधन में बंधे आज पन्द्रह साल हो चुके हैं। एक दिन ये दोनों पति-पत्नी बाज़ार में फर्नीचर खरीदने चले गए। वहाँ इन्होंने बांस से बने बहुत से फर्नीचर देखे। बांस के बने फर्नीचर (Furniture) इन्हें बेहद पसंद आए। तभी इन्होंने तय कर लिया कि वह भी इस क्षेत्र में काम करेंगे। हालांकि तब इनके पास एक विचार मात्र था।
माता-पिता नहीं थे तैयार
घर आने के बाद दोनों ने सारी कहानी अपने माता-पिता को बताई। कहा कि वह भी चाहते हैं कि बांस के इस काम में हाथ आजमाए। लेकिन माता-पिता ने इसे फिजूल काम बताकर सिरे से खारिज कर दिया। ऐसे में पति-पत्नी ने इसका एक और रास्ता निकाला। एक योजना के तहत दोनों पति-पत्नी फॉरेस्ट स्टडी टूर (Forest study tour) पर निकल गए। इस दौरान दोनों ने जाना कि भारत में इसका कारोबार बड़ा है। साथ ही इससे बहुत से लोगों को रोजगार देने में भी मदद मिल सकती है।
2008 में शुरू किया काम
दैनिक भास्कर (Dainik bhaskar) समाचार पत्र के मुताबिक इन दोनों ने मिलकर साल 2008 में इस योजना पर काम शुरू कर दिया। काम में तेजी आए इसके लिए इन्होने बैंक से 60 लाख रूपये लोन भी लिया। साथ ही आंध्र प्रदेश (Andhra pradesh) में आज ग्रामीण लोगों और आदिवासियों के लिए ट्रेनिंग (Training) की भी व्यवस्था की है। जिससे जुड़कर वह भी इस काम को सीख सकते हैं।
शुरुआत भले ही कठिन दौर से हुई पर आज नतीजे सबके सामने। ये लोग बांस के इस काम से आज अपना घर तो चला ही रहे हैं साथ ही बहुत से लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। बांस के फर्नीचर को बनाने और प्रकृति से जुड़ाव के लिए ‘Awesome gyan’ इन पति पत्नी को सलाम करता है।