Air Cooler Buying Guide: मीडिल क्लास परिवार के लोग गर्मी से राहत पाने के लिए Cooler का इस्तेमाल करते हैं, जो बजट फ्रेंडली होता है और बिजली की खपत भी कम करता है। ऐसे में एक कूलर को 2 से 3 साल तक आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसकी वजह से हर गर्मी के सीजन में कूलर खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती है।
वैसे तो मार्केट में प्लास्टिक और मेटल दोनों प्रकार के कूलर मौजूद हैं, जिन्हें लेकर अक्सर आम आदमी के दिमाग में यह डाउट रहता है कि कौन-सा कूलर ज्यादा बेहतर है। ऐसे में हम आपको प्लास्टिक और मेटल कूलर के फीचर्स बताने जा रहे हैं, जिससे आपको सही कूलर का चुनाव करने में मदद मिलेगी।
प्लास्टिक का कूलर
अगर पर किराए के घर में रहते हैं, तो प्लास्टिक का कूलर एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है। दरअसल प्लास्टिक का कूलर वजन में हल्का होता है, जबकि इसमें टायर की सुविधा भी मिलती है। इसके अलावा प्लास्टिक के कूलर को कमरे के अंदर आसानी से लगाया जा सकता है, जिसकी कीमत भी कम होती है।
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प्लास्टिक का कूलर करंट भी नहीं मारता है, जिसकी वजह से छोटे बच्चों और पालतू जानवरों को इस कूलर से कोई परेशानी नहीं होगी। प्लास्टिक का कूलर बिजली की कम खपत करता है, हालांकि तेज धूप में बाहर रखने पर कूलर का प्लास्टिक जल्दी खराब हो जाता है। इस वजह से ऐसे कूलर लंबे समय तक नहीं टिक पाते हैं।
मेटल का कूलर
मेटल का कूलर काफी मजबूत और टिकाऊ होता है, जो प्लास्टिक के कूलर के मुकाबले ज्यादा वजनदार होता है। इस कूलर को कमरे की खिड़की के पास परमानेंट फिक्स किया जा सकता है, जो तेज और ठंडी हवा देने का काम करता है। इस कूलर की कीमत थोड़ी ज्यादा होती है, लेकिन यह प्लास्टिक के कूलर के मुकाबले ज्यादा तेज और ठंडी हवा देता है।
मेटल का कूलर लंबे समय तक टिकाऊ होता है, जिसकी वजह से इस कूलर को ४ से ५ साल तक आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। मेटल के कूलर में पावर फुल मोटर और पंखा लगा होता है, जो गर्म हवा को बाहर फेंकने और ठंडी हवा को कमरे में अधिक दूरी तक फेंकने में सक्षम होता है।
ऐसे में आप अपनी जरूरत और घर से स्पेस को ध्यान में रखकर प्लास्टिक या मेटल के कूलर का चुनाव कर सकते हैं, जो तेज गर्मी से राहत दिलाने में बेहद मददगार साबित होता है।