गरुड़ जी भगवान विष्णु के वाहन है, गरुड़ के विनती में भगवान विष्णु उन्हें इस लोक और परलोक जन्म मरण आत्मा कि यात्रा से जुड़े गूढ़ रहस्यों के बारे में विस्तार से बताया है। इस पुराण में भगवान ने ख़ुद से यह बताया है कि किस तरह व्यक्ति इसी जन्म में अपने अगले जन्म को निर्धारित कर सकता है। ये भी पढ़ें- मार्कण्डेय पुराण के अनुसार नरक भोगकर आये लगों की यह है पहचान
विचारों में न रखें छल
गरुड़ पुराण में यह उल्लेखित है कि गर्भधारण करने के समय स्त्री-पुरुष के मन में जिस भी प्रकार विचार चल रहे होते हैं, वैसे ही भावों सहित जीव का प्रवेश गर्भ में होता है। इसलिए बुरे और छल युक्त विचारों से बचना चाहिए।
ऐसे निर्धारित होता है परिवार
उस पुराण में यह बताया गया है कि जिसके कर्म जैसे होते है उसे अगला जन्म वैसा ही मिलता है। जो अच्छे विचार वाला और सद्कर्मों वाला है पुण्यात्मा प्राणी अच्छे व्यक्ति के घर में जन्म लेता है।
संतान होता है दीर्घायु
गरूड़ पुराण में लिखा है कि ऋतुकाल शुरू होने के उपरांत 4 दिन के अंदर होने वाला गर्भधान में अच्छी संतान का प्रवेश नहीं होता। इस समय पति पत्नी को संयोग होने से बचना चाहिए। ऋतुकाल के सात दिन छोड़कर आठवें दिन गर्भधान होने पर संतान दीर्घायु एवम योग्य होती है।
धर्म परायण संतान होती है प्राप्त
पुराण के अनुसार ऋतुकाल को 16 रात का माना जाता है। इसी इसलिए 14वीं रात्रि को यदि गर्भाधान हो जाये तो भाग्यवान गुणवान धर्म परायण संतान उतपन्न होती है।
पुण्यात्मा होती है संतान
जीवन पर प्रभाव डालने वाला शुभ ग्रह जब अपने उच्च स्थिति में हो उस वक़्त गर्भधान होने पर उत्तपन्न होने वाली संतान पुण्यात्मा, विनयशील और गुणवान कुल का नाम बढ़ाने वाली होती है।