हर इंसान अपनी ज़िन्दगी को बेहतर ढंग से जीना चाहता है, फिर चाहे वह कोई मामूली आदमी हो या फिर अशिक्षित व्यक्ति। लेकिन कुछ लोग अपनी चाह को ही अपनी राह बना लेते हैं और कामयाबी की वह मिसाल क़ायम करते हैं, जिसे देखकर लाखों लोगों के दिल में प्रेरणा की चिंगारी जल जाती है।
ऐसा ही दिल को छू जाने वाली कहानी है अब्दुल अलीम (Abdul Alim) की, जिन्होंने कंपनी में गार्ड बनने से लेकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने तक का सफ़र तय किया है-
अब्दुल अलीम… गार्ड से इंजीनियर बनने तक की कहानी
चेन्नई की ZOHO कंपनी में बतौर गार्ड की नौकरी करने वाले अब्दुल अलीम (Abdul Alim) अपनी चमकती क़िस्मत के कर्ता-धर्ता ख़ुद है, क्योंकि उन्होंने हालातों के आगे कभी भी घुटने टेकना नहीं सीखा। अब्दुल एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं, ऐसे में वह उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए और परिवार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए 10वीं कक्षा पास करने के बाद नौकरी करने लगे। लेकिन उन्हें 10वीं की डिग्री में सिर्फ़ गार्ड की नौकरी ही मिल पाई, वह भी अपने घर और शहर से दूर चेन्नई में।
साल 2013 में जब अब्दुल अलीम ने अपना घर छोड़ा, तो उनकी जेब में सिर्फ़ 1000 रुपए का एक नोट था। जिसमें से उन्होंने 800 रुपए की ट्रेन की टिकट ले ली और चेन्नई जा पहुँचे, इस बीच उनके पास सिर्फ़ 200 रुपए बचे थे। अब्दुल ने 2-4 दिन तो 200 रुपए में खाना पीना करके गुज़ारा कर लिया, लेकिन उनके लिए आगे का सफ़र बहुत ही मुश्किल था। लगभग 2 महीनों तक रोजाना सड़कों की ख़ाक छानने के बाद आखिरकार अब्दुल को ZOHO नामक स्टार्टअप कंपनी में गार्ड की नौकरी मिल गई।
कंप्यूटर और मशीनों से था बेहद लगाव
ZOHO कंपनी में 12 घंटे बतौर गार्ड की नौकरी करने वाले अब्दुल को बचपन से ही कंप्यूटर में ख़ास रूचि थी, लेकिन परिवार की आर्थिक तंगी के कारण वह अपने शौक को कभी पूरा नहीं कर पाए। ऐसे में अब्दुल घंटों कंपनी में काम करने वाले सॉफ्टवेटर इंजीनियर्स को चुपचाप देखते रहते थे, जिसकी वज़ह से अब्दुल के मन में कंप्यूटर को लेकर जिज्ञासा और भी ज़्यादा बढ़ गई।
इसी दौरान कंपनी के एक सीनियर कर्मचारी को अब्दुल की आंखों में सीखने और आगे बढ़ने की चाह नज़र आई, जिसके बाद उन्होंने अब्दुल को अपने पास बुलाया। उस कर्मचारी ने अब्दुल से पहले कंप्यूटर के बारे में छोटे मोटे सवाल किए और फिर उसे कंप्यूटर से जुड़ी अहम जानकारी दी। इस तरह अब्दुल कंपनी में नौकरी करने के साथ-साथ कंप्यूटर से जुड़ी पढ़ाई भी करने लगे, हालांकि उन्हें स्कूल से ही HTML के बारे में थोड़ी-सी जानकारी थी।
सीखने की ललक ने बनाया बेहतर इंसान
अब्दुल (Abdul Alim) के अंदर सीखने की चाह थी और कंपनी के सीनियर कर्मचारी को उसकी यह चाह दिल को छू गई। बस फिर क्या था उन्होंने अब्दुल को कोडिंग सीखाने का फ़ैसला किया, ताकि एक युवा की ज़िंदगी सवर जाए। अब्दुल रोजाना अपने 12 घंटे की शिफ्ट पूरी करने के बाद कंपनी के सीनियर कर्मचारी के पास कोडिंग की क्लास लेने लगे, जिसकी वज़ह से उनकी कंप्यूटर की नॉलेज दिन ब दिन बढ़ती गई।
लगभग 8 महीने तक रोजाना कोडिंग की क्लास लेने के बाद अब्दुल ने एक ऐप बनाने का फ़ैसला किया, जिसमें उन्हें सफलता भी हासिल हुई। अब्दुल द्वारा बनाया गया ऐप और आइडिया उनके सीनियर्स को काफ़ी ज़्यादा पसंद आया, जिसके बाद 10वीं पास इस लड़के की ज़िंदगी पूरी तरह से बदल गई।
एक इंटरव्यू और गार्ड से इंजीनियर बन गए अब्दुल
ZOHO कंपनी में बतौर गार्ड अपने करियर की शुरूआत करने वाले अब्दुल अलीम ने शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें एक दिन उसी कंपनी में इंटरव्यू देने के लिए बुलाया जाएगा। कोडिंग सीखने और ऐप बनाने के बाद अब्दुल के सीनियर्स ने उन्हें सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजीनियर की पोस्ट के लिए इंटरव्यू देने का आइडिया दिया।
अब्दुल को भी अपनी सीख और काबलियत पर पूरा भरोसा था, लिहाजा उन्होंने बिना देरी किए कंपनी में इंटरव्यू दिया और पास भी हो गए। इसके बाद अब्दुल अलीम ZOHO कंपनी में बतौर गार्ड नहीं बल्कि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजीनियर के रूप में काम करने लगे। आज अब्दुल अलीम को ZOHO कंपनी में काम करते हुए तकरीबन 8 साल हो गए हैं, इस दौरान उन्होंने काफ़ी कुछ नया भी सीख लिया है।
लाखों युवाओं के लिए प्रेरणादायक है अब्दुल की कहानी
आज बहुत से युवा बेरोज़गारी का सामना कर रहे हैं, वहीं कई लोग डिग्री लेकर नौकरी की तलाश कर रहे हैं। हालांकि वह सभी ये भूल जाते हैं कि किसी भी क्षेत्र में कामयाबी पाने के लिए डिग्री से ज़्यादा हुनर और चाह की ज़रूरत होती है, जो अब्दुल अलीम के अंदर थी। हाल ही में अब्दुल ने अपने संघर्ष की कहानी LINKEDIN पर शेयर की थी, जो काफ़ी लोगों के दिल को छू गई।
अब्दुल (Abdul Alim) की इंग्लिश भी बहुत बेहतरीन है और वह अपनी ज़िंदगी में आगे भी सीखते रहना चाहते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। अब्दुल की कहानी और उनकी लगन को काफ़ी लोगों ने पसंद किया, जबकि कई युवाओं ने बताया कि वह अब्दुल की कहानी से काफ़ी ज़्यादा प्रभावित हुए हैं।