Electric Scooter – इन दिनों देश भर में पेट्रोल से चलने वाले वाहनों से ज्यादा ई-व्हीकल प्रचलन में हैं, जिसकी वजह से इलेक्ट्रिनक वाहनों को लेकर नए-नए स्टार्टअप शुरू किए जा रहे हैं। ई-बाइक हो या स्कूटर, हर कोई चाहता है कि उसे कम से कम लागत में ज्यादा माइलेज मिले।
ऐसे में बेंगलुरु में पेट्रोल से चलने वाले स्कूटर को इलेक्ट्रिक स्कूटर में बदलने का काम बहुत जोर शोर से शुरू हो गया है। यह देश की पहली ऐसी स्टार्टअप कंपनी है, जो ग्राहकों को बिना नया स्कूटर खरीदे ई-स्क्टूर की सुविधा देगी। आइए जानते हैं इस बेहतरीन कंपनी के बारे में-
Bengaluru-based startup Bounce ने शुरू किया नया ट्रेंड
आमतौर पर ग्राहक को ई-व्हीकल का फायदा उठाने के लिए नया वाहन खरीदने की जरूरत पड़ती है, लेकिन बेंगलुरु में स्थित बाउंस कंपनी ( Startup Bounce ) ने इस काम को बहुत ही आसान कर दिया है। यह एक राइड शेयरिंग स्टार्टअप कंपनी है, जिसने बहुत ही मजेदार और फायदेमंद स्कीम शुरू की है। इस स्कीम के तहत कंपनी पेट्रोल वाले स्कूटर को ईलेक्ट्रिक स्कूटर में बदलने का काम करती है, जिसका चार्ज सिर्फ 20 हजार रुपए है।
दरअसल बाउंस कंपनी का दावा है कि वह नॉर्मल स्कूटर में इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी लगाने का काम करती है, जिससे ग्राहक को अपना वाहन बदलने की जरूरत नहीं पड़ती है और सिर्फ 20 हजार रुपए खर्च करके उन्हें इलेक्ट्रिक स्कूटर मिल जाता है। कंपनी ने इस स्कीम के जरिए अब तक 1 हजार से ज्यादा पेट्रोल स्कूटर्स को इलेक्ट्रिक स्कूटर में बदलने का काम किया है, जिसकी वजह से ग्राहकों को बड़े पैमाने पर पेट्रोल में होने वाले खर्च से राहत मिली है।
सिंगल चार्ज पर 65 किलोमीटर की राइड
बाउंस कंपनी पेट्रोल स्कूटर को ई-स्कूटर में बदलने के लिए एक खास तरह के रेट्रोफिट किट का इस्तेमाल करती है, जिसमें इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी समेत अन्य चीजें शामिल होती हैं। ई-स्कूटर में लगाई जाने वाली बैटरी को सिंगल चार्ज पर 65 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है, जो ऑफिस से घर और घर से ऑफिस तक ही दूरी तय करने के लिए काफी है। आपको बता दें कि बाउंस द्वारा लगाई जाने वाली किट को ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया से सर्टिफिकेट भी मिल चुका है।
E-Scooter के लिए तैयार हो रहे हैं सर्विस सेंटर
जाहिर-सी बात है कि अगर किसी पुरानी चीज को बदल कर उसे नया रूप दिया जाएगा, तो उसके रखरखाव का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है। यही वजह है कि बाउंस कंपनी ने ई-स्कूटर्स के लिए अलग से सर्विस सेंटर खोलने शुरू कर दिए हैं, ताकि मोटिफाइ किए स्कूटर्स के रखरखाव का ध्यान रखा जा सके।
पेट्रोल से चलने वाले स्कूटर्स को ई-स्कूटर में बदलना बहुत फायदेमंद काम हो सकता है, जिसमें ग्राहक के साथ-साथ कंपनी को भी मुनाफा कमाने का मौका मिलता है। यही वजह है कि बाउंस के साथ-साथ ETRIO और MELADATH जैसी अन्य राइडिंग कंपनियाँ भी ई-स्कूटर बनाने के लिए बाज़ार में आ चुकी हैं।
सरकार से मिलती है सब्सिडी
नॉर्मल स्कूटर को ई-स्कूटर में बदलने के काम में मैन्युफैक्चर्स को सरकार से भी मदद मिल रही है, जिसकी वजह से वह कम दाम में अच्छी इलेक्ट्रिक स्कूटर तैयार कर पा रहे हैं। इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली लिथियम बैटरी की कीमत 13 से 15 हजार प्रति किलोवॉट के बीच हो जाती है।
ऐसे में सरकार द्वारा प्रति किलोवॉट के लिए 15 हजार रुपए की सब्सिडी दी जाती है, जिससे मैन्युफैक्चर्स को प्रति किलोवॉट में कम से कम 2 हजार रुपए की बचत हो जाती है। ऐसे में बैटरी की कीमत कम होने से मैन्युफैक्चर्स को ई-व्हीकल के दूसरे पार्ट्स खरीदने में मदद मिलती है।
E-Scooter की लागत और कमाई
आमतौर पर एक इलेक्ट्रिक स्कूटर को तैयार करने में मैन्युफैक्चर्स को कम से कम 30 से 45 हजार रुपए तक खर्च करने होते हैं, क्योंकि हर स्कूटर में अलग-अलग तरह की बैटरी और मोटर का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में अगर ई-स्कूटर कम लागत में तैयार हुआ है, तो बाज़ार में उसकी कीमत कम होगी। वहीं अगर ई-स्कूटर में अच्छी क्वालिटी की बैटरी और मोटर लगाई गई होगी, तो बाज़ार में उसकी कीमत ज्यादा होगी।
इस तरह आम ग्राहक के लिए ई-स्कूटर खदीरना कई बार महंगा सौदा साबित होता है, लेकिन Bounce Startup द्वारा शुरू की गई स्कीम में सिर्फ 20 हजार के मामूली खर्च से E-Scooter को चलाने का लुफ्त उठाया जा सकता है।
यह कंपनी ( Bounce Startup ) ग्राहक की पसंद और जरूरत के हिसाब से ज्यादा किलोवॉट की बैटरी भी लगाती है, ताकि स्कूटर अच्छी माइलेज दे सके। ई-स्कूटर को बनाने का खर्च मोटर और बैटरी के चुनाव पर भी निर्भर करता है, इसलिए अगर आप ई-व्हीकल चलना चाहते हैं तो अपने पुराने व्हीकल को मोडिफाइ करवा लीजिए।