आपने वह कहावत तो सुनी ही होगी कि अगर इंसान में धैर्य हो, तो वह ऊंचे से ऊंचे पहाड़ को भी अपने कदमों में झुका सकता है। लेकिन धैर्य को परिभाषित करने के लिए सिर्फ़ कुछ पंक्तियाँ ही काफ़ी नहीं होती है, क्योंकि हर किसी में सब्र रखने की काबिलियत नहीं होती है।
हालांकि जो व्यक्ति जीवन के उतार चढ़ावों से सबक लेकर धैर्य का दामन थामें रखता है, उसकी ज़िन्दगी से एक न एक दिन संकट के सभी बादल हट की जाते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ एनी शिवा (Anie Siva) नामक महिला के साथ, जिन्होंने अपने साहस और मेहनत के दम पर सब इंस्पेक्टर का पद हासिल किया है।
एनी शिवा (Anie Siva) का परिचय
एनी शिवा (Anie Siva) की कहानी उन तमाम लोगों के लिए प्रेरणा है, जो वक़्त और हालातों को देखकर हार मान लेते हैं। क्योंकि जब किसी व्यक्ति में कुछ कर गुजरने की चाह होती है, तो राह कितनी ही मुश्किल क्यों न हो मंज़िल मिल ही जाती है। तो आइए जानते हैं एनी शिवा के बारे में, जिनकी कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रही है-
तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) के कांजीरामकुलम (Kanjiramkulam) में रहने वाली एनी शिवा (Annie Siva) ने स्कूल की पढ़ाई ख़त्म करके केएनएम गवर्मेंट कॉलेज में एडमिशन लिया था, जो उनके लिए एक अलग ही दुनिया थी। 18 साल की उम्र में एनी को अपने ही कॉलेज के एक लड़के से प्यार हो गया था, उस वक़्त वह फर्स्ट ईयर की छात्रा थी।
जब एनी शिवा के परिवार को उनके प्रेम सम्बंध के बारे में पता चला, तो एनी के सामने प्यार और परिवार में से किसी एक चुनने की विकल्प था। एनी ने परिवार के खिलाफ जाकर अपने बॉयफ्रेंड के साथ शादी करने का फ़ैसला किया और घर छोड़कर चली गई। एनी ने अपने पति के साथ रहने के दौरान एक बेटे को जन्म दिया, लेकिन बच्चे के जन्म के 6 महीने बाद ही एनी के पति ने उन्हें छोड़ दिया। इस तरह एनी शिवा रातों रात सड़क पर गई, उनके पास न रहने के लिए घर था और न ही पेट भरने के लिए भोजन।
दूधमुंहे बच्चे के साथ किया कठिन संघर्ष
पति के छोड़ने के बाद एनी अपने परिवार के पास लौट आई, इस उम्मीद में कि उन्हें और उनके बच्चे को सिर छिपाने के लिए छत मिल जाएगी। लेकिन एनी के परिवार ने उन्हें अपनाने से साफ़ इंकार कर दिया, जिसके बाद एनी अपने घर के पीछे बनी एक छोटी-सी झोपड़ी में रहने लगी।
जीवन के उतार चढ़ावों के बीच एनी ने अपने कॉलेज की पढ़ाई जारी रखी थी, क्योंकि उन्हें अपने जीवन में कुछ बेहतर करके दिखाना था। लेकिन पढ़ाई के साथ बच्चे की देखभाल और पेट भरने के लिए खाना जुटाना भी एक बहुत बड़ी चुनौती थी।
छोटे मोटे काम करके किया गुजारा
एनी ने अपना और अपने बेटे का पेट भरने के लिए घर से आसपास छोटे मोटे काम करना शुरू कर दिया, इसके साथ ही वह घर-घर जाकर करी पाउडर और साबुन बेचने का काम भी करती थी। एनी ने इंश्योरेंस एजेंट के रूप में भी काम किया और छात्रों के लिए प्रोजेक्ट व रिकॉर्ड्स बनाकर भी पैसे इकट्ठा किए।
इस तरह अलग-अलग काम करके एनी शिवा अपनी रोजमर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पैसे कमाती थी, जबकि शादी और त्यौहारों के सीजन में वह वेंडर्स के साथ मिलकर आईसक्रीम और लाइम जूस बेचने का काम भी करती थी। इस तरह 3 साल तक काम करने के बाद एनी ने समाजशास्त्र (Sociology) में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर ली और अपने बेटे को लेकर अलग-अलग शहरों में काम करने लगी। एनी के बेटे का नाम शिवासूर्य है, जो अपनी माँ के साथ रहकर स्कूली पढ़ाई पूरी कर रहा है।
लड़कों की तरह कटाए बाल
एनी शिवा यह अच्छे से जानती थी कि वह जहाँ भी जाएगी समाज के लोग उन्हें लेकर तरह-तरह के सवाल करेंगे, जिनका जवाब देना वह ज़रूरी नहीं समझती थी। इसलिए उन्होंने लोगों का मुंह बंद करने के लिए मर्दों की तरह बाल कटवा लिये, ताकि लोग उन्हें शिवासूर्य का बड़ा भाई या पिता समझे।
इसके बाद साल 2014 में एनी ने अपने दोस्तों के कहने पर एक कोचिंग सेन्टर में एडमिशन लिया, जिसके बाद उन्होंने सरकारी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। एनी ने पहली बार परीक्षा देने पर सफलता हासिल की और साल 2016 में बतौर महिला पुलिस ड्यूटी ज्वाइन कर ली।
लेकिन एनी शिवा के क़दम यही नहीं रूकने वाले थे, इसलिए उन्होंने महिला एसआई (Sub Inspector) के पद के लिए परीक्षा दी और उसमें भी सफलता प्राप्त की। इसके बाद साल 2021 में एनी शिवा ने वर्कला पुलिस स्टेशन में Sub Inspector का पद संभाला और वर्तमान में वहीं कार्यरत हैं।
खुद शेयर की अपनी कहानी
एनी शिवा ने कॉलेज के फर्स्ट ईयर से लेकर Sub Inspector का पद संभालने तक बहुत से उतार चढ़ावों का सामना किया और इस पूरे संघर्ष में वह बिल्कुल अकेली थी। एनी शिवा की सफलता में उनका साथी बना उनका बेटा शिवासूर्या और धैर्य, जिसके दम पर वह Sub Inspector के पद पर तैनात होने में कामयाब हो पाई।
एनी शिवा (Anie Siva) ने अपनी कहानी फ़ेसबुक के जरिए लोगों के साथ शेयर की और बताया कि तमाम मुश्किलों के बाद जब एक महिला कुछ बनती है, तो समाज उसके ऊपर दया दिखाकर झूठी बातें फैलाता है। इसलिए मैं और मेरा बेटा भाईयों की तरह रहते हैं।
एनी शिवा (Anie Siva) को इस कामयाबी को हासिल करने में 14 साल का लंबा समय लग गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने धैर्य के दम पर हर मुश्किल का सामना करती रही। हर इंसान को ज़रूरत है कि वह धैर्यवान बने, ताकि मुश्किलों का कद उसके सामने बहुत छोटा दिखाई दे।