आज भारत में बहुत से लोग स्टार्टअप की तरफ़ बढ़ रहे है। वज़ह है कि आज सरकार भी लोगों के स्टार्टअप को आगे बढ़ाने में मददगार सिद्ध हो रही है। साथ ही लोग भी इससे ख़ूब मुनाफा कमाते है। एक तरफ़ जहाँ लोग पढ़-लिखकर रोजगार की तलाश में निकलते हैं, वहीं बहुत से युवा ख़ुद का स्टार्टअप खड़ा कर लोगों को रोजगार देने का काम कर रहे हैं।
आज हम आपको दो ऐसे ही युवाओं की कहानी बताने जा रहा है। जिन्होंने पहले तो उच्च शिक्षा हासिल की इसके बाद उन्होंने खेती करने का रास्ता चुना। खेती के रास्ते ही आज उन्होंने रोजगार का दूसरे रास्ते भी खोल लिए हैं। आइए जानते हैं क्या है इन दो युवाओं की कहानी।
ये हैं वह होनहार युवा
देश के इन होनहार युवाओं का नाम रौनक कुमार (Raunak kumar) और रमन कुमार (Raman kumar) ये दोनों भाई हैं। रौनक ने इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई की हुई है और रमन ने MBA से पोस्ट ग्रेजुएशन की हुई है। ये दोनों भाई पढ़ाई पूरी करने का बाद आज ख़ुद का स्टार्टअप चला रहे हैं। शुरुआत में इन्होंने लेमनग्रास (Lemongrass) की खेती की थी। आज ये लेमन ग्रास की खेती का साथ उसकी चाय पत्ती भी बनाते हैं। जिससे हर महीने इनकी लाखों की आमदनी हो रही है।
शुरुआत में ही कर लिया खेती का फैसला
रमन बताते हैं कि उनका पूरा परिवार बचपन से ही खेती कर रहा है। ऐसे में उन्होंने भी शुरुआत में ही तय कर लिया था कि वह भी आगे चलकर खेती ही करेंगे। इसलिए उन्होंने कॉलेज के पहले सेमेस्टर में ही एग्रोफीडर नाम की कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवा लिया था। पढ़ाई के दौरान जब उन्हें लगा कि आज ज्यादातर लोग नौकरी की बजाय स्टार्टअप को महत्त्व दे रहे हैं, तो उन्होंने भी यही रास्ता चुनना पसंद किया।
2018 में शुरू की लेमन ग्रास की खेती (Lemon Grass Farming)
रमन कहते हैं कि पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने तय कर लिया था कि वह अपने बिजनेस माइंड को खेती में प्रयोग करेंगे। इससे एक तो उनका स्टार्टअप भी खड़ा हो जाएगा। साथ ही खेती से परेशान होकर पलायन करने को मजबूर लोगों को रोजगार के साधन भी उपलब्ध करवाने में मदद मिलेगी। साथ ही रमन को खेती के तौर-तरीके के बारे में बचपन से ज्ञान था। इसी को आगे बढ़ाते हुए रमन ने साल 2018 में लेमन ग्रास की खेती (Lemon Grass Farming) शुरू कर दी। इस खेती को देखकर उनके बड़े भाई रौनक भी नौकरी छोड़ खेती के काम में लग गए। अब रमन के साथ उनकी पत्नी और उनका बड़ा भाई रौनक भी खेती में सहयोग कर रहा है।
लॉकडाउन में नहीं बिकी लेमन ग्रास
पिछले साल देश में लगे लॉकडाउन ने रमन को परेशान करके रख दिया था। क्योंकि इससे पहले वह लेमन ग्रास की पत्तियाँ बाज़ार में बेच दिया करते थे। क्योंकि उनके संपर्क में ऐसे बहुत से लोग थे जो लेमन ग्रास की पत्तियों से तेल और दवाइयाँ बनाया करते थे। लेकिन लॉकडाउन के दौरान उनकी पत्तियाँ बिकना बंद हो गई। ऐसे में रमन को कोई विकल्प तलाशना ज़रूरी हो गया। क्योंकि उनके खेत में लगातार लेमन ग्रास का उत्पादन होता जा रहा था।
लेमन ग्रास से चायपत्ती बनाने का मिला आइडिया (Lemon Grass Tea)
लॉकडाउन के दौरान ही रमन इंटरनेट की मदद से तमाम वह तरीके ढूँढने लगे तभी उन्हें पता लगा कि लेमन ग्रास की पत्तियों से चायपत्ती बनाई जा सकती है। जो कि लोगों की रोग प्रतिरोधकता क्षमता बढ़ाने में भी मददगार सिद्ध होती है। लॉकडाउन के दौरान इम्यूनिटी बूस्टर जैसी चीजों की मांग भी ख़ूब बढ़ गई थी।
रमन फिलहाल दस लोगों की टीम के साथ काम करते हैं। जो कि लेमनग्रास से बनी चाय की पैकिंग और मार्केटिंग का काम संभालते हैं। साथ ही रमन सोशल मीडिया पर भी ख़ूब एक्टिव रहते हैं। ताकि जैसे ही कोई चायपत्ती आर्डर करे उसे डिलीवर किया जा सके। आज वह भारतीय डाक के माध्यम से हर महीने चार से पांच हज़ार पैकेट चाय पत्ती डिलीवर करते हैं। काम में तेजी लाने के लिए उन्होंने कई शहरों में अपनी फ्रेंचाइजी भी दे रखी है। साथ ही वह अब कार्यक्रम और प्रचार के सहारे भी अपनी चाय की मार्केटिंग करते हैं।
दूसरे किसानों से भी खरीदते हैं लेमन ग्रास
रमन आज दूसरे किसानों से भी लेमन ग्रास खरीदते हैं, ताकि अधिक से अधिक चाय पत्ती का उत्पादन किया जा सके। इस काम में उनके साथ बारह किसान जुड़े हैं। रमन बताते हैं कि आज किसान तो ख़ूब उत्पादन करता है, लेकिन समस्या ये है कि उसे ना तो सही क़ीमत मिलती है ना ही उसकी सही से मार्केटिंग हो पाती है। ऐसे में यदि इस समस्या का समाधान कर लिया जाए तो कृषि क्षेत्र एक उभरता हुआ क्षेत्र प्रतीत होगा। आज वह किसानों को लेमन ग्रास की सही क़ीमत किसानों को हाथों-हाथ दे रहे हैं। इससे किसान भी खुश होकर लेमन ग्रास बेचने लाते हैं।
इस तरह से तैयार होती है चाय पत्ती (Lemon Grass Tea)
रमन फिलहाल केवल 50 ग्राम के चाय पत्ती के पैकेट बनाते हैं। जिसकी क़ीमत उन्होंने 120 रूपये रखी है। वह बताते हैं कि चाय पत्ती बनाने के लिए सबसे पहले लेमन ग्रास की पत्तियों को धूप में सुखा लेते हैं। इसके बाद उन्हें एक-एक इंच के टुकड़ों में तोड़ लेते हैं। इसके बाद इसमें अदरक का साथ मोरिंगा यानी सहजन का पाउडर और साथ में तुलसी पत्ता भी मिलाया जाता है। साथ ही यदि हमें इलाइची फ्लेवर में चाय पत्ती चाहिए तो अदरक की जगह इलाइची मिला दी जाती है। बस चाय पत्ती इलाइची फ्लेवर में तैयार हो जाएगी।
बेहद आसान है लेमन ग्रास की खेती करना (Lemon Grass Farming)
लेमन ग्रास की खेती किसी भी मिट्टी और तापमान में की जा सकती है। बस ध्यान रखें कि खेत में जलभराव की समस्या ना उतपन्न हो। पहली बार लेमन ग्रास को तैयार होने में 60 से 65 दिनों का समय लग जाता है। लेकिन इसके बाद 40 से 45 दिनों में ही लेमन ग्रास तैयार हो जाती है। ख़ास बात ये है कि एक बार लेमन ग्रास लगा देने के बाद 4 से 5 साल तक उससे फ़सल ली जा सकती है। इस फ़सल में केवल महीने में एक बार ही पानी देना होता है।
बेहद फायदे की है खेती
लेमन ग्रास उगाने वाले रमन बताते हैं कि लेमन ग्रास की खेती दूसरी फसलों से बेहद आसान है। यदि एक एकड़ में लेमन ग्रास उगाई जाए तो उससे पांच टन तक की पत्तियाँ निकलती है। जिनसे काफ़ी मुनाफा कमाया जा सकता है। लेमन ग्रास की पत्तियों से दवाई, कॉस्मेटिक, तेल, साबुन आदि बनाया जाता है। इसलिए इसकी बिक्री ऊंचे दामों पर होती है। साथ ही इस फ़सल में कीड़े लगने की संभावना भी बेहद कम रहती है, इससे कीटनाशक दवाइयों का ख़र्चा भी बच जाता है। यदि एक एकड़ में लेमन ग्रास की खेती अच्छे से की जाए तो उससे चार लाख रूपये तक सालाना आराम से कमाए जा सकते हैं।