राजस्थान: बेटियों की समस्या से भला कौन नहीं वाकिफ। गाँव देहात के लोग तो आज इस माहौल को देखते हुए कई बार चाहते हुए भी अपनी बेटियों को आगे नहीं बढ़ा पाते। लेकिन हर किसी का दिल एक जैसा नहीं होता। आज हम आपको जो कहानी बताने जा रहे हैं, वह भी कुछ ऐसी ही है। पेशे से एक डॉक्टर ने जब ये सब देखा तो मानो वह समाजसेवी बन गया।
राजस्थान के रहने वाले आरपी यादव (RP YADAV) की। जिन्होंने इंसानियत के लिए जो मिसाल पेश की है। वह शायद बड़े-बड़े लोग भी नहीं सोच सकते। इनके किए काम से ही आज इनके गाँव की बेटियाँ सुरक्षित सफ़र के साथ आज बेहतर शिक्षा की और अग्रसर हैं। जिस गाँव की बेटियाँ शिक्षित होगी उनका भविष्य तो उज्ज्वल होना तय ही है। आइए जानते हैं क्या है आरपी यादव की कहानी और कैसे उन्होंने उठा लिया बेटियों की सुरक्षा की बीडा।
कौन हैं आरपी यादव (R.P YADAV)
आरपी यादव (RP YADAV) पेशे के डॉक्टर हैं। उनकी उम्र 61 साल है और वह राजस्थान (RAJASTHAN) के नीम का थान स्थित एक अस्पताल में बच्चों के डॉक्टर हैं। वह कोटपूतली गाँव के रहने वाले हैं। डॉ आरपी यादव का शुरूआत से ही बच्चों से बेहद लगाव रहा है। एक बार की बात है वह किसी काम से अपनी पत्नी के साथ कार से घर आ रहे थे। तभी देखा कि उनके गाँव की ही कुछ लड़कियाँ पैदल ही घर की तरफ़ जा रही हैं। इसे देख आरपी यादव ने कार रोकी और उन्हें अपनी कार से ही गाँव छोड़कर आए। इस सफ़र के दौरान उन लड़कियों ने जो आपबीती बताई वह दिल को झकझोर देने वाली थी।
मनचलों से परेशान थी बच्चियाँ
उन लड़कियों ने कार में बैठने के बाद आरपी यादव को बताया कि उनके गाँव तक कोई परिवहन (PUBLIC TRANSPORT) की व्यवस्था नहीं है। जिससे वह रोजाना कॉलेज से आ जा सकें। ऐसे में जब भी वह पैदल आती है रास्ते में गाँव के ही मनचले लड़के उन्हे परेशान भी करते हैं और भद्दी-भद्दी बातें भी कहते हैं। वह ये सोचकर इन बातों को अपने माता-पिता को नहीं बताती कि कहीं उनकी पढ़ाई ना बंद करवा दें। इन बातों को सुनने के बाद उच्च शिक्षित डॉक्टर ने मन ही मन तय कर लिया कि वह अब इस परेशानी को यही ख़त्म कर देंगे। बेटियों के साथ इस अन्याय को और नहीं होने देंगे।
खुद से चलवा दी बस
बच्चियों की बात सुनने के बाद आरपी यादव के जहन में बच्चियों के खिलाफ होने वाली तमाम अ/प/रा/ध की घटनाएँ फिर से ताज़ा हो गई। वह नहीं चाहते थे इस तरह की कोई घटना उनके गाँव में भी घटे। इसके लिए उन्होंने अपने जीवन की बजट यानी पीएफ (Provident fund) खाते से 19 लाख रूपये निकलवाए और एक 52 सीटर बस खरीद ली। इस बस को उन्होंने अपने गाँव से काॅलेज के लिए निशुल्क चलवा दिया। इसमें पढ़ने वाली बच्चियाँ बैठकर सुरक्षित सफ़र कर सकती थी।
आरपी यादव ने इस सुविधा को गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दिन से लागू किया। उन्होंने इस बस का नाम ‘निशुल्क बेटी वाहिनी बस सेवा’ रखा। आरपी यादव मानते हैं कि गाँव की सभी बेटियाँ उनकी अपनी बेटी हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा और शिक्षा की जिम्मेदारी निभाना उनका फ़र्ज़ था।
IAS ने भी की है तारीफ
आपको बता दें कि निशुल्क बस सेवा की ये कहानी साल 2016 की है, लेकिन मीडिया में 2017 में आई थी। 11 मार्च को IAS अवनीश शरण ने फिर से इस बस सेवा पर ट्वीट किया। जिसके बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर इसे ख़ूब लाइक दिए। आरपी यादव की इस कहानी को अब तक 13 हज़ार लव रिएक्शन (LOVE REACTION) और 2 हज़ार री-ट्वीट (RE TWEET) मिल चुके हैं।
डाॅ आरपी यादव को दो साल पहले दिल्ली सरकार भी सम्मानित कर चुकी है। अरविंद केजरीवाल (ARVIND KEJRIWAL) ने उन्हें महिला दिवस के दिन राजीव चौक पर सम्मानित किया था। इस दौरान महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने उन्हें 51 हज़ार रुपए के साथ प्रशस्ति पत्र दिया-दिया था। डाॅ आरपी यादव ने मंच से ही इन पैसों को भी बेटियों की शिक्षा और सुरक्षा में ख़र्च करने का फ़ैसला किया था।