IAS Jamil Fatima Jeba: हमारे समाज में बेटियों के लिए भविष्य के सपने देखना किसी गुनाह से कम नहीं समझा जाता और जब बात UPSC (सिविल सर्विसेस) जैसी परीक्षा निकालने की आ जाए तो मानो कोई आभिशाप ही कर दिया हो। क्योंकि आज भी हमारे देश के बहुत बड़े तबके की यही धारणा बनी हुई है कि बेटियों का घर की देखभाल करना और अपने बच्चों और परिवार के साथ घर की चार दीवारी में सिमटकर रहने का ही काम होता है।
जो बेटियाँ समाज के बनाए इन नियमों को तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश करती हैं उन्हें समाज में बड़ी तिरक्षी निगाहों से देखा जाता है। लेकिन बहुत-सी बेटियाँ इस समाज से बेफिक्र होकर अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहती है, वह समाज के इस रवैए से ना तो कभी हताश होती है, ना कभी निराश। अतत: एक दिन उसी समाज में अपनी एक नई पहचान बना कर समाज और देश के लिए नजीर पेश करने का काम करती हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है हैदराबाद की जमील फातिमा जेबा (IAS Jamil Fatima Jeba) की। जिन्होंने बेहद विपरीत परिस्थितियों के बावजूद UPSC की परीक्षा को पास करके अपने जुनून के दम पर समाज में एक नई मिसाल पेश की है।
जमील फातिमा जेबा (IAS Jamil Fatima Jeba)
हैदराबाद के बेहद सामान्य वर्ग के परिवार में जन्मी जमील फातिमा जेबा (IAS Jamil Fatima Jeba) का बचपन से UPSC जैसी परीक्षा पास करना का कोई मन नहीं था। उन्होंने अपने काॅलेज की पढाई पूरी की और नौकरी करने की तरफ़ बढ़ गई। क्योंकि सामान्य परिवारों में बच्चों को पढाई के बाद नौकरी करने का ही रास्ता सर्वोत्म रहता है। लेकिन जमील नौकरी के माध्यम से सिर्फ़ पैसा ही नहीं कमाना चाहती थी, वह चाहती थी कि समाज में उनके किए काम की चर्चा हो। लोगों की वह मदद कर सकें। जो कि सामान्य नौकरियों में संभव नहीं होता था।
ऐसे में जमील ने UPSC की परीक्षा देने का निर्णय लिया। लेकिन जमील के लिए ये काम इतना आसान नहीं था। पर फिर भी उन्होंने इसकी तैयारी का फ़ैसला किया और सबसे पहले अपने माता-पिता को बताया तो वह उनके साथ खड़े हो गए। लेकिन जब रिश्तेदारों को इसकी जानकारी मिली तो वे उनके परिजन पर जेबा की शादी का दबाव बनाने लगे। तमाम तरह के ताने और नसीहतें भी जेबा और उनके परिजन को दी जाने लगी। लेकिन जेबा अपने फैसले पर अड़ी रहीं। इस बीच उन्होंने सेंट फ्रांसिस कॉलेज से एमबीए की अपनी पढ़ाई पूरी की। फिर वह UPSC की तैयारी करने में जुट गईं। उन्होंने इसके लिए बकायदा कोचिंग ज्वॉइन की और पूरे मन के साथ पढाई में लग गई।
हताश ने नहीं छोड़ा पीछा
जमील पढने के काम में तो लग गई थी। लेकिन समाज में उनके प्रति जो नज़रिया बना था वह जमील को लगातार हताश किए जा रहा था। रिश्तेदारों की ओर से आने वाले दबाव से भी वह अच्छी तरह से जानती थीं। उन्होंने इसके लिए अपने आप को तैयार किया। लेकिन लगातार दो साल तक तैयारी करने के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगी तो वह परेशान होने लगीं। दिन-रात मेहनत करने के बाद भी चयन न होने से एक समय वह लगभग डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं।
इस बीच आसपास रहने वाले लोगों और परिवार के बाक़ी लोगों के तानें भी बढ़ने लगे। रिश्तेदार जेबा के परिजन से कहते, एक 25 साल की कुंआरी लड़की घर में बैठाकर रखी है। कुछ दिन और शादी नहीं की तो कोई अच्छा रिश्ता भी नहीं आएगा। दरअसल, हैदराबाद की जेबा जिस माहौल में रहती हैं, वहाँ लड़कियों को ज़्यादा पढ़ाने-लिखाने का कल्चर नहीं था। उनके यहाँ कम उम्र में ही लड़कियों की शादी कर दी जाती थी और करियर नाम का कोई शब्द उनकी डिक्शनरी में नहीं होता था। ऐसे में जमील को मानसिक तौर पर लगातार बेहद कठिन दौर से गुजरना पड़ता था।
इन लाइनों को पढ़कर मिलती थी उर्जा
जमील फातिमा जेबा (IAS Jamil Fatima Jeba) बताती हैं कि दो बार असफलता हाथ लगने के बाद मैं काफ़ी निराश हो गई थी। इसी दौरान उन्होंने कहीं पर ये लाइनें पढ़ीं (मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौंसलों से उड़ान होती है) तो उनके शरीर में एक नई ऊर्जा आ गई। जब भी वह हताश होने लगती इन्हीं को पढ़ लेती। ये लाइनें उनकी हिम्मत बढ़ाती थीं। इसके बाद नई उमंग के साथ बिना दुनिया की परवाह किए जी-जान से फिर से अपनी तैयारी में जुट जाती थी।
जेबा ने बताया कि संघर्ष के दिनों में उनके माता-पिता ने उन्हें हमेशा सहारा दिया और उनका मनोबल बढ़ाया। वह अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता-पिता को ही देती हैं। साल 2018 में आखिरकार जेबा की मेहनत रंग लाई और वह UPSC की परीक्षा में 62वीं रैंक हासिल की और IAS अफसर बन गईं। अफसर बिटिया के मुताबिक जब दूसरे लगातार यह कह रहे हों कि तुमसे नहीं होगा, तो अपना जुनून ज़िद में बदल जाती है। इसी जुनून का नतीजा है कि आज वह IAS बनकर एक नया इतिहास लिख रही हैं।
इन बातों ने किया परेशान
अपने संघर्ष को याद करते हुए जेबा (IAS Jamil Fatima Jeba) बताती हैं, बहुत से ऐसे पल आते हैं जब हम को यह लगने लगता है कि UPSC की तैयारी का फ़ैसला कर कहीं उसने कुछ ग़लत फ़ैसला तो नहीं कर लिया, मैं सही तो कर रहा हूँ न? मेरे दिमाग़ में भी कई बार यह सवाल उठे थे। यह स्वाभाविक भी था। वह UPSC की तैयारी कर रहे लोगों को सलाह देती हैं कि ऐसे ख्यालों से परेशान न हों, इनसे बाहर निकलने की कोशिश लगातार करते रहें। दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं जो मेहनत और लगन से हासिल ना किया जा सकता हो। वे कहती हैं मेरे इस सफ़र ने मुझे निखारा और संवारा है। मेरे संघर्ष ने मेरे सपनों को हक़ीक़त की ज़मीन पर उतारा है