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देश की जमीन पर विदेशी फल-सब्जियां उगा देश को बना रहे हैं आत्मनिर्भर, साथ ही कर रहे हैं मोटी आमदनी

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कर्नाटक; हम सभी में से जो लोग गांवों में रहते हैं। वह खेती और किसानी से बखूबी परिचित होंगे। वह जानते होंगे कि जो लोग परंपरागत खेती करते हैं उनके लिए खेती करना कितना कठिन काम है। अमूमन परंपरागत खेती में गेंहूँ, धान (चावल) , दालें या कुछ किसान फल-सब्जियाँ भी उगाते हैं। ताकि खेती में से ज़्यादा फायदा हो सके। बहुत से किसान मुनाफे के लिए फसलों को अपने घर के आस पास लगने वाले बाज़ार में बेचकर भी आते हैं। इतना सब करने के बाद भी खेती-किसानी कोई फायदे का सौदा साबित नहीं होती है।

इसकी कुछ हद तक वज़ह है कि हमारे देश के किसान परंपरागत किसानी से बाहर नहीं निकल पाते और हर साल निरंतर कर्ज़ के बोझ के तले दबते जाते हैं। किसानों की खस्ता हाल सुधारने के लिए आज देशभर के किसान सड़कों पर भी उतरे हैं। फसलों के सही दाम पाने के लिए MSP पर कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन इन सब के उलट आज हम आपको एक ऐसे किसान अजय नाइक? (Ajay Naik) कि कहानी बताने जा रहे हैं। जो विदेशी तरीके से खेती कर अपने ही देश की ज़मीन पर  लाखों की कमाई कर रहे है। इतना ही नहीं उनकी खेती आज की परंपरागत खेती से बिल्कुल अलग है।

कौन है अजय नाइक? (Ajay Naik)

कर्नाटक के रहने वाले अजय नाइक (Ajay Naik) ने सबसे पहले अपने राज्य से सॉफ़्टवेयर इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने गोवा की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी ज्वाइन कर ली। लेकिन अजय का मन था कि ख़ुद का कोई काम शुरू किया जाए। ताकि किसी के यहाँ नौकर ना बनकर काम करना पडे। इसके लिए उन्होंने अपनी एक “मोबाइल साॅफ्टवेयर” कंपनी शुरू की। इसके बाद उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी और धीरे-धीरे मोबाइल साॅफ्टवेयर कंपनी उन्हें अच्छी कमाई देने लगी।

इस तरह पता लगा ‘जलकृषि’ के बारे में

एक बार अजय को “स्वॉयललेस कल्टीवेशन” के बारें में जानकारी मिली। वैज्ञानिक तौर पर इसे “हाइड्रॉपोनिक्स (Hydroponics)” तथा सामान्य भाषा में इसे “जलकृषि” कहा जाता है। इस विधि से खेती करने के लिए मिट्टी का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जाता है। इस विधि में पानी, लकड़ी का बुरादा, बालू तथा कंकड़ो को एक साथ मिलाया जाता है। इस तकनीक में पौधों को आवश्यक पोषक तत्व उप्लब्ध करवाने के लिये एक विशेष प्रकार के घोल को डाल दिया जाता है।

यह घोल ज़रूरी खनिज और पोषक तत्व का मिश्रण का बनाया होता है। इस घोल को नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सल्फर, जिंक तथा आयरन आदि तत्वों को एक ख़ास अनुपात में मिलाकर तैयार किया जाता है। जिससे पौधें को आवश्यक खनिज पदार्थों की पूर्ति होती रहे। हाइड्रॉपोनिक्स (Hydroponics) तकनीक से उगाये जाने वाले पौधों में इस घोल को महीने में एक या दो बार कुछ बूंदें डाली जाती है। इस तरह की खेती परंपरागत खेती की तरह बिल्कुल नहीं की जाती। इस खेती में मौसम का भी कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।

खेती के लिए बेच दी कंपनी

अजय नाइक (Ajay Naik) “जलकृषि” के बारे में जानकर बेहद प्रभावित हुए। उनका मन हुआ कि क्यों ना इस तरह की खेती में हाथ आजमाया जाए। लेकिन उस समय अजय अपनी “मोबाइल एप्लीकेशन” के मालिक भी थे। ऐसे में खेती और कंपनी चलाना एक साथ संभव नहीं था। अजय इस काम के लिए पूरी तरह अपना मन बना चुके थे। इस काम को करने के लिए अजय ने अपनी ऐप कम्पनी को जर्मनी (Germany) के फर्म को बेच दिया।

ऐप कंपनी को बेचने के बाद मिले पैसों से अजय ने ख़ुद का “हाइड्रॉपोनिक्स (Hydroponics)” फर्म खोलने का निश्चय किया। अजय को पता था कि हाईड्रॉपोनिक्स (Hydroponics) तकनीक से खेती करने पर अपने देश में ही विदेशी फलों और सब्जियों को उगाया जा सकता है। जिससे देश विदेशी फल और सब्जियों के मामले में देश आत्मनिर्भर तो बनेगा ही साथ ही देश के लोगों की इस तरह की विदेशी सब्जियों को कम क़ीमत में उपलब्ध भी करवाया जा सकता है। इसके बाद अजय ने ख़ुद का “हाइड्रॉपोनिक्स (Hydroponics)” फर्म खोलने का निश्चय किया।

6 दोस्तों के साथ मिलकर की पहली शुरूआत

साल 2016 में वह समय आ गया जब अजय ने अपने 6 दोस्तों के साथ इस तरह की खेती की शुरूआत कर दी। ये शुरूआत उन्होंने गोवा में एक फर्म लेकर की। सबसे पहले उन्होंने अपने फर्म में विदेशी फल-सब्जियों को उगाना शुरु किया। विदेशी सलादो में प्रयोग होने वाले पत्ते जैसे, लेट्स, सेलरी आदि को उगाया। अजय नाइक को इससे काफ़ी फायदा हुआ। इसके बाद अजय और ज़्यादा उत्साहित हुए। फिर उन्होंने एक दूसरे स्टार्टअप की शुरुआत की। उन्होंने बेंगलुरु (Bengaluru) में एक नई फर्म स्थापित की।

वर्तमान में अजय अपने फर्म में लेट्स, स्पिनच, सेलरी आदि के साथ-साथ शिमला मिर्च, स्ट्राबेरी का उत्पादन भी कर रहे हैं। अजय द्वारा उगाई गई फलों और सब्जियों की गुणवत्ता अधिक होने के कारण बाज़ार में उसकी बिक्री ख़ूब होती है और मुनाफा भी अधिक होता है। इस तरह की खेती में जोखिम कम और फसलों के अच्छे दाम भी मिल जाते हैं। जिसके चलते अजय ने घाटे की खेती को आधुनिक तकनीक के जरिए फायदे का सौदा बना दिया।

अजय नाइक (Ajay Naik) जैसे लोगों की मेहनत काबिले तारीफ है। अजय जो कि खेती के जरिए सिर्फ़ पैसा ही नहीं कमा रहे, बाल्कि देश को भी आत्मनिर्भर बना रहे हैं। दूसरे देशों पर देश की निर्भरता को ख़त्म करने की तरफ़ बढ़ने वाले अजय नाइक के इस काम की “AWESOME GYAN” तारीफ करता है।

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News Desk
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