उत्तराखंड में मिले रेड कोरल कुकरी नामक विचित्र सांप को वन विभाग द्वारा रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ दिया गया। यह विचित्र सांप उतराखंड के उधम सिंह नगर में दिनेशपुर क्षेत्र के जगदीशपुर के स्थानीय निवासी के घर देखा गया और उसके बाद इस सांप को वन्य विभाग अधिकारियो द्वारा वहाँ से रेस्क्यू कर पास के जंगल में छोड़ दिया गया।
वन्य विभाग अधिकारियों के मुताबिक सर्वप्रथम इस तरह के विचित्र सांप को वर्ष 1939 में उत्तर प्रदेश स्थित लखीमपुर खीरी जिले के क्षेत्रिय इलाको में देखा गया था। जहाँ इस विचित्र सांप को अपना वैज्ञानिक नाम”ओलिगोडोन खेरिएन्सिस” प्राप्त हुआ। इसके नाम में कुकरी शब्द का तात्पर्य गोरखाओ के घुमावदार चाकू से है। क्योंकि इसके दांत कुकरी के ब्लेड की तरह घुमावदार होते हैं।
आपको बता दे कि दिनेशपुर क्षेत्र के जगदीशपुर निवासी त्रिलोक मिस्त्री ने फ़ोन कर प्रभागीय वन अधिकारी (DFO) अभिलाषा सिंह को बताया कि उनके घर में एक विचित्र सांप घुस आया है। तब इसकी सुचना मिलते ही वन अधिकारियों द्वारा रेसक्यू कर उस सांप को कब्जे में ले लिया गया। जिसकी लम्बाई तकरीबन 95 सेमी बताई जा रही है। वन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस तरह के विचित्र सर्प भारत के तराई क्षेत्र एवं नेपाल में देखने को मिलती है। इस तरह के अदभुत प्रजाती के सांप को देखकर वन विभाग के अधिकारी भी हैरान थे क्योकि यह सांप कई सालों से विलुप्त था।
वाइल्डलाइफ इंस्टीच्युट आँफ इंडिया (देहरादून) ने इस सांप की जानकारी इंटरनेट पर साझा करते हुए लिखा कि रेड कुकरी कोरल नाम का यह दूर्लभ प्रजाती का यह सांप उत्तराखंड में सिर्फ़ दो बार दिखाई दिया है। इसके पूर्व इसके बारे में तराई पूर्वी वन विभाग के सुरई वन रेंज में वर्ष 2015 में सुचना मिली थी तथा इसके पूर्व साल 2014 में उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती इलाके में इसके मिलने की पुष्टी की गई थी। लेकिन उस वक़्त वह सांप मृत अवस्था में पाया गया था।
वन विभाग के अनुसार इस रेड कोरल कुकरी सर्प को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के 1972 के तहत इसे अनुसुची 4 में वर्गीत किया गया है। ये सांप विषैला नहीं होता है। इसके भोजन की बात करे तो ये कीड़े मकोड़े, केचुए इत्यादी को खाता है।