सोशल मीडिया पर हंसी प्रहरी की फोटोज बहुत ज़्यादा वायरल होने के बाद उनके भाई आनंद ने दिल्ली से हरिद्वार जाकर उनसे मुलाक़ात की और अपने साथ चलने को भी कहा। लेकिन उन्होंने साफ़ तौर पर उनके साथ जाने से मना कर दिया। हंसी के भाई ने कहा कि उन्हें बिल्कुल भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि वह इस हालत में हरिद्वार में भीख मांग कर अपना गुज़ारा कर रही हैं।
ये भी पढ़ें – डबल MA और विधानसभा चुनाव लड़ चुकी महिला हरिद्वार में भीख मांगने पर थी विवश, लोग मदद को आगे आए
उनके भाई से पहले वहाँ के राज्यमंत्री रेखा भी उनसे मिल चुकी हैं और उन्होंने हमसे के सामने सरकारी नौकरी और घर का प्रस्ताव भी रखा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह वही हंसी हैं जो अपने छात्र जीवन में एक कुशल वक्ता के साथ-साथ कुमाऊँ विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा परिसर में छात्र संघ की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
अल्मोड़ा जिले के हवालबाग ब्लॉक स्थित ग्राम रणखिला गाँव की रहने वाली बुलंद हौसले वाली हंसी ने डबल एमए किया है, एक राजनीति शास्त्र से और एक अंग्रेज़ी से और आज उनकी स्थिति ऐसी है कि उन्हें हरिद्वार की सड़कों पर भीख मांग कर अपना और अपने बच्चे का गुज़ारा करना पड़ रहा है। इन परिस्थितियों के बावजूद भी वह अपने बच्चे को अफसर बनाने का सपना देख रही है।
अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी हंसी अपनी इंटर तक की शिक्षा गाँव से ही प्राप्त की हैं। उसके बाद उन्होंने कुमाऊँ विश्वविद्यालय के अल्मोड़ा परिसर में दाखिला ले लिया। आगे चलकर वह उसी विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी में चार साल तक लाइब्रेरियन की नौकरी भी की।
मीडिया का ध्यान हरिद्वार में रह रही हंसी की ओर तब गया, जब वह एक सड़क के किनारे अपने छह साल के बेटे को पढ़ा रही थी। अपने बेटे को पढ़ाने के दौरान फराटे दार अंग्रेज़ी बोल रही थी, जिसे रुक कर सारे लोग देखने को मजबूर हो जाते थे। हंसी 2008 में अपने ससुराल की कलह से परेशान होकर लखनऊ से हरिद्वार आ गई थी।
लेकिन शारीरिक रूप से बहुत ज़्यादा कमजोर होने के वज़ह से वह कोई नौकरी नहीं कर सकी और रेलवे स्टेशन, बस अड्डा आदि स्थानों पर भीख मांगना शुरू किया। इसके बावजूद भी उन्होंने इसका कोई असर अपने बेटे पर नहीं पड़ने दिया और वह उसे बहुत मेहनत करके पढ़ाती हैं ताकि वह 1 दिन बाद अफसर बन सके।