उत्तर प्रदेश का एक छोटा-सा शहर झांसी, जहाँ कभी एक बूंद पानी के लिए भी तरसा करते थे लोग। फिर लॉकडाउन में लौटे प्रवासी मजदूरों की सहायता से डीएम ने सभी ग्राम पंचायतों में कुल 405 तालाब बनवा दिए।
इंसान की मूलभूत आवश्यकताओं में पानी की आवश्यकता सबसे ज ज़्यादा है। पानी की कमी एक बहुत ही गंभीर समस्या है। पानी के बिना इंसान कभी जीवित रह ही नहीं सकता। उत्तर प्रदेश का झांसी ज़िला, जहाँ हर साल पानी के लिए हाहाकार मचा रहता था और हमेशा सूखे की स्थिति बनी रहती थी। जलाशयों में भी पानी सूख जाता था और वहाँ के लोगों को इस विकराल स्थिति का सामना करना पड़ता था, जहाँ पानी का एकमात्र स्रोत बेतवा नदी है। गर्मी के दिनों में किसानों को पानी की किल्लत की समस्या से जूझना पड़ता था।
उसके बाद हमेशा कि इस समस्या से निपटने के लिए झांसी ज़िले के जिलाधिकारी आंध्रा वामसी ने ‘वन विलेज, वन पॉन्ड’ पहल की शुरुआत की और इसके तहत 405 गाँव के तालाबों को पुनर्जीवित कर इस योजना को पूरी तरह से सफल बनाया गया।
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, झांसी के डीएम ‘आंध्रा वामसी’ ने कहा कि मार्च में लॉकडाउन लग गया था और इस दौरान लगभग 11, 000 प्रवासी मज़दूर लौटकर अपने घर आए और इन लोगों ने ही इस योजना के लिए काम किया। इस योजना के ज़रिये डीएम ज़िले के हर ग्राम पंचायत में एक भरा तालाब चाहते थे जिससे सूखे की समस्या से निजात पाया जा सके।
डीएम के मुताबिक़, झांसी में कुल 496 ग्राम पंचायतें हैं और 496 तालाब खोदने की योजना बनाई गयी और वर्तमान में 405 तालाब खोद लिए गए हैं। डीएम के इस योजना में अभी तक तक़रीबन 1.12 लाख लोगों को मनरेगा के तहत जोड़कर काम किया गया है और इस काम में अब तक लगभग छह करोड़ रुपये ख़र्च भी हो चुके हैं।
अब किसानों को, इन तालाबों के माध्यम से बिना किसी समस्या के सूखे के दौरान सिंचाई आदि के लिए पानी मिल सकेगा और साथ ही बाक़ी लोगों को भी पीने तथा अन्य उपयोग के लिए पानी की समस्या नहीं होगी और तालाबों से भूजल स्तर में भी सुधार हो सकेगा। इस तरह यह योजना वहाँ के लोगों के लिए एक वरदान साबित हुआ।