जब किसी गरीब परिवार का बच्चा अपने सपने साकार करने में सफल हो जाता है, तो उसकी कामयाबी के चर्चे सिर्फ गाँव में ही नहीं पूरे राज्य में होते हैं। ऐसे में आज हम उस लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने चुनौतियों का सामना करके पुलिस की नौकरी हासिल करने में कामयाबी हासिल की है।
बाड़मेर जिले की पहली मेघवाल समाज से राजस्थान पुलिस सब इंस्पेक्टर बनी लक्ष्मी लक्ष्मी सब इंस्पेक्टर बन कर पहली बार अपने घर पहुंची तो उसने अपने मां-बाबा को सैल्यूट कर उनका अभिवादन किया।#जालोरखबर pic.twitter.com/z7Ny6OLe0I
— तेज़ खबर जालोर (@Jalore_khabar) September 8, 2022
9 साल लंबी है संघर्ष की कहानी
राजस्थान के सरहदी बाड़मेरी इलाके से ताल्लुक रखने वाली लक्ष्मी गढ़वीर एक बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जिनका जीवन बचपन से ही संघर्ष भरा था। लक्ष्मी के पिता रायचंद नेत्रहीन है, जबकि उनके दो छोटे भाई हैं। ऐसे में पिता के पास आंखें न होने की वजह से लक्ष्मी के परिवार को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता था। इसे भी पढ़ें – मजदूर की बेटी बनी GST इंस्पेक्टर, 2 बार फेल होने के बावजूद भी नहीं छोड़ी थी उम्मीद
ऐसे में लक्ष्मी ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए नौकरी करना शुरू कर दिया था, जबकि वह पुलिस की ट्रेनिंग के लिए अलग से समय निकालती थी। इसके साथ ही लक्ष्मी ने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और इस तरह उन्होंने बीए के बाद एमए की डिग्री हासिल करने में सफलता प्राप्त कर ली।
लक्ष्मी ने 12वीं कक्षा के एग्जाम देने के बाद ही पुलिस की तैयारी शुरू कर दी थी, जिसके बाद साल 2011 में उन्हें बाड़मेर में पुलिस कांस्टेबल के पद के लिए चुना गया था। ऐसे में लक्ष्मी ने 9 साल तक कठिन परिश्रम के दम न सिर्फ अपनी पोस्ट और रैंक बढ़ाई, बल्कि हाल ही में अपनी वर्दी पर 2 सितारे लगवाने में भी कामयाब रही हैं।
दीक्षांत समारोह में वर्दी पर 2 सितारे लगाने के बाद जब लक्ष्मी पहली बार वर्दी पहन कर घर आई, तो उनके माता-पिता ने गर्व से उन्हें सैल्यूट करके अभिवादन किया था। लक्ष्मी बाड़मेर के मेघवाल समाज से ताल्लुक रखती हैं, जहाँ लड़कियों को ज्यादा पढ़ाया लिखाया नहीं जाता है।
ऐसे में लक्ष्मी मेघवाल समाज की वह पहली महिला हैं, जो सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं और अपने परिवार के साथ-साथ समाज का नाम भी रोशन कर रही हैं। लक्ष्मी के सब इंस्पेक्टर बनने से उनके परिवार के साथ-साथ गाँव के लोग भी बहुत ज्यादा खुश हैं। इसे भी पढ़ें – पिता चलाते हैं टेम्पो और माँ खेतों में करती है मजदूरी, बेटी बनेगी गाँव की पहली महिला डॉक्टर