केंद्र सरकार द्वारा किसानों को सशक्त करने के लिए समय-समय पर कई प्रकार की योजनाएं लाई जाती हैं। इन योजनाओं के द्वारा सरकार की कोशिश रहती है कि जो छोटे तथा मध्यम वर्गीय किसान जिन्हें आर्थिक सहायता की आवश्यकता होती है उनको प्रोत्साहन दिया जा सके और सरकार उनकी आर्थिक मदद कर सके, जिससे कि किसान को खेती करने के लिए किसी भी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े।
सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेकों योजनाओं में से किसान क्रेडिट कार्ड भी एक योजना है। इस योजना से लाभान्वित किसान को सरकार द्वारा कई प्रकार की सहायता दी जाती है, जिनसे उसे खेती करने में कई प्रकार के समस्याओं से जूझना नहीं पड़ता है।
इस आर्टिकल में हम किसान क्रेडिट कार्ड योजना के बारे में आपको संपूर्ण जानकारी देंगे। हम आपको बताएंगे कि इस योजना से आप किस प्रकार के लाभ ले सकते हैं और इस योजना में किस प्रकार पंजीकरण कर सकते हैं।
इस योजना से लाभान्वित किसान सरकार द्वारा खेती में उपयोग होने वाली मशीनों, खेत में उपयोग होने वाले कीटनाशक, उत्तम बीज खरीदने या किसी भी प्रकार की खेती से संबंधित समस्या में सरकार से धनलाभ ले सकता है। इस योजना में किसान द्वारा सरकार से लिया हुआ पैसा आसानी से उसके द्वारा की गई खेती से उगने वाली फसल को बेचकर वापस कर सकता है।
किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए आवश्यक शर्तें:
किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए किसान के पास खेती योग्य भूमि होनी चाहिए। यदि किसी किसान के पास अपनी खुद की खेती योग्य भूमि नहीं है तो इस अवस्था में किसान के पास बटाई पर ली हुई भूमि होना आवश्यक है, तथा उस किसान की उम्र कम से कम 18 वर्ष और अधिकतम 60 वर्ष होना आवश्यक है।
किसान क्रेडिट कार्ड के लिए कैसे अप्लाई कर सकते हैं?
- किसान क्रेडिट कार्ड के लिए को कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी प्रकार से अप्लाई कर सकता है। ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए आपको अपनी बैंक भी जा सकते है।
- इसके अलावा आप https://eseva.csccloud.in/kcc/APIValidate.aspx पर खुद से भी अप्लाई कर सकते हैं और CSC सेंटर से भी किसान क्रेडिट कार्ड बनवा सकते हैं।
- इस योजना के सबसे अहम बात यह है कि किसान को आवश्यकता पड़ने पर अपने एटीएम से अपनी आवश्यकतानुसार पैसे निकाल सकता है। किंतु यह धनराशि बैंक द्वारा एक लिमिट में दी जाती है।
- किसान को किस लिमिट में पैसा देना है, यह सरकार द्वारा उसकी की जमीन देखकर तय किया जाता है, कि वह कितने धन को वापस करने में सक्षम है। उसकी क्षमता के आधार पर बैंक और सरकार इस लिमिट को तय करते हैं।