DSP Shrestha Thakur : भारत समेत कई देशों में लड़कियों और महिलाओं को लड़कों द्वारा छेड़छाड़ और बदसलूकी का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से उनका घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ज्यादातर लड़कियां हालातों से हार मानकर घर के अंदर कैद होने पर मजबूर हो जाती हैं।
हालांकि आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने न सिर्फ छेड़छाड़ के विरूद्ध आवाज उठाई बल्कि खुद पुलिस में भर्ती होकर बदमाश और मनचले लड़कों की अक्ल ठिकाने लगाने का काम किया है। जो लड़की कभी लकड़ों की छेड़छाड़ से तंग हो गई थी, आज उसके नाम से मनचलों के हाथ पैर कांपते हैं।
कौन हैं श्रेष्ठा ठाकुर? (Story of DSP Shrestha Thakur)
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में एसबी सिंह भदौरिया नामक बिजनेसमैन के घर एक बेटी ने जन्म लिया था, जिसका नाम उन्होंने श्रेष्ठा ठाकुर (Shrestha Thakur) रखा। श्रेष्ठा ने स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद कानपुर के एक कॉलेज में ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया था, लेकिन इस दौरान उनके साथ बदमाशों ने छेड़छाड़ की घटना को अंजाम दिया। ये भी पढ़ें – विदेश में लाखों की नौकरी छोड़ पूजा यादव ने ठानी देशसेवा, आज संभाल रही हैं IPS अधिकारी का पद
पहली बार श्रेष्ठा (DSP Shrestha Thakur) इस घटना को लेकर चुप रही, लेकिन जब बदमाशों ने दोबारा उनके साथ बदसलूकी की तो श्रेष्ठा इंसाफ की मांग करने के लिए पुलिस स्टेशन जा पहुंची। लेकिन पुलिस ने छेड़छाड़ के मामले को गंभीरता से नहीं लिया और न ही उनकी शिकायत पर उचित कार्रवाई की, जिसके बाद श्रेष्ठा ठाकुर ने उन लड़कों को सजा दिलावने का फैसला कर लिया।
अपराध से लड़ने के लिए पहनी पुलिस की वर्दी
इसके लिए श्रेष्ठा (DSP Shrestha Thakur) ने बिल्कुल अलग रास्ता खोजा, उन्होंने पुलिस स्टेशन में चक्कर काटने के बजाय खुद पुलिस ऑफिसर बनने की तैयार शुरू कर दी। श्रेष्ठा ठाकुर को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए उनके बड़े भाई मनीष प्रताप की अहम भूमिका रही, जिन्होंने लिखती परीक्षा से लेकर हेल्थ फिटनेस के लिए श्रेष्ठा को ट्रेनिंग दी थी।
इस तरह साल 2012 में श्रेष्ठा ठाकुर ने पीपीएस का एग्जाम क्लियर कर लिया, जिसके बाद उन्होंने बतौर पुलिस ऑफिसर अपना पद संभाला। श्रेष्ठा का कहना है कि पुलिस की वर्दी पहनते ही एक महिला को सुरक्षित महसूस होने लगता है, जबकि उसके अंदर सामाजिक बुराईयों से निपटने की अनोखी ताकत आ जाती है।
तमाम कठिनाइयों के बावजूद नहीं रूके कदम
श्रेष्ठा जब ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के लिए कानपुर गई थी और उनके साथ छेड़छाड़ की घटना हुई, तो आस पड़ोस के लोगों ने उन्हें और उनके परिवार को ताने मारना शुरू कर दिया था। उनका कहना था कि लड़की बड़ी हो गई है, इसलिए उसे अकेले घर से बाहर नहीं जाने देना चाहिए।
लेकिने श्रेष्ठा के पिता, भाई और परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया, ताकि वह अपना सपना साकार करके एक उज्ज्वल भविष्य बना सके। यही वजह है कि श्रेष्ठा ने छेड़छाड़ और अपराध के विरूद्ध जंग लड़ने में कामयाबी हासिल की और राज्य की जानी मानी पुलिस ऑफिसर हैं।
वर्तमान में राज्य के गुंडे बदमाश और मनचले लड़के DSP श्रेष्ठा ठाकुर (DSP Shrestha Thakur) के नाम से ही खौफ खाते हैं, जिनके दबंग अंदाजा और दमदार एक्शन की वजह से उन्हें आयरन लेडी के नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं श्रेष्ठा ठाकुर लड़कियों को ताइक्वांडो की ट्रेनिंग भी देती हैं, ताकि वह जरूरत पड़ने पर बदमाशों का अकेले सामना कर सके। ये भी पढ़ें – 18 साल की उम्र में पति ने छोड़ा तो बाल काटकर भाई की तरह बेटे को पाला, 14 साल बाद संभाला SI का पद
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