Rare Photos of Indian Railways – भारतीय रेलवे को देश की जान कहा जाता है, जो यात्रा का सबसे आसान और सस्ता साधन है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में पहली ट्रेन मुंबई से ठाणे के बीच 16 अप्रैल 1853 में चली थी, जो कोयले से चलती थी।
वहीं भारत की पहली इलेक्ट्रिक यानी इंजन वाली ट्रेन बंबई वीटी (अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनस) स्टेशन से कोरला (अब कुर्ला) तक साल 1925 में चली थी। भारतीय रेलवे का सफर जितना लंबा रहा है, उससे कई ज्यादा शानदार भी रहा है। इसलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको भारतीय रेलवे की बदलती हुई तस्वीर दिखाने जा रहे हैं।
पहली तस्वीर
यह तस्वीर भारत की पुराने डिजाइन वाली ट्रेन को दर्शाती है, जो राजपुताना मालवा रेलवे में अजमेर कार्यशाला में निर्मित की गई थी। यह देश की पहली-पहली इंजन वाली ट्रेन थी, जिसमें साल 1895 लोकोमोटिव इंजन लगाया गया था।
दूसरी तस्वीर
महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाने और खादी को बढ़ावा देने के लिए अहम कदम उठाए थे, इसी आंदोलन के तहत उन्होंने साल 1946 में मद्रास की महिलाओं को रेलवे प्लेटफॉर्म पर बैठकर चरखे से बुनाई करने को कहा था।
तीसरी तस्वीर
आज के आधुनिक समय में रेलवे स्टेशन की शक्ल काफी हद तक बदल चुकी है, लेकिन भारत में ट्रेन के शुरुआती दशकों में स्टेशन की तस्वीर कुछ और ही बयाँ करती थी। यह तस्वीर साल 1920 में मुंबई में मौजूद चर्च गेट स्टेशन की है, जो आज पूरी तरह से बदल चुका है।
चौथी तस्वीर
भारत में रेलवे के निर्माण के साथ ही पानी के पुलों पर पटरियों पर दौड़ने वाली ट्रेनों की शुरुआत हो गई थी। इस तस्वीर में ठाणे क्रीक से गुजर रही लोकोमोटिव ट्रेन को देखा जा सकता है, जिसके सिर्फ 4 डिब्बे हैं।
पांचवी तस्वीर
प्राचीन भारत की रेल की पटरियों पर सिर्फ ट्रेन की नहीं दौड़ा करती थी, बल्कि उनमें एम्बुलेंस कार को भी चलाया जाता था। इस तस्वीर में बंगाल नागपुर रेलवे लाइन पर 4-व्हीलर नैरो गेज एम्बुलेंस कार दिखाई दे रही है।
छठी तस्वीर
पुराने समय में रेलवे लाइन का निर्माण करना बहुत ही मुश्किल काम था, क्योंकि उस समय आधुनिक मशीनें नहीं हुआ करती थी। इस तस्वीर में रेलवे लाइन बना रहे मजदूरों को देखा जा सकता है, जो घोड़ागाड़ी और फावड़े की मदद से लाइन बना रहे हैं।
सातवीं तस्वीर
इस तस्वीर में दिखाई दे रहा इंजन मद्रास रेलवे का हिस्सा है, जिसे ट्रेन के डिब्बों के साथ जोड़कर चलाया जाता था।
आठवीं तस्वीर
मुंबई का सबसे चर्चित और बिजी रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी महाराज स्टेशन है, जिसकी तस्वीर प्राचीन भारत से लेकर आज तक लगभग एक जैसी है। इस ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर में आप पुराने जमाने का छत्रपति शिवाजी महाराज रेलवे स्टेशन देख सकते हैं।
नौवीं तस्वीर
इस तस्वीर में आपको भारत की आजादी और बंटवारे का दर्द झेलने वाली सैकड़ों शरणार्थियों का दर्द दिखाई देगा, जिससे भारतीय रेलवे भी जुड़ा हुआ है। यह तस्वीर 24 अक्टूबर 1947 को खींची गई थी, जिसमें भारत और पाकिस्तान के शरणार्थी ट्रेन के जरिए यात्रा कर रहे हैं।
दसवीं तस्वीर
वाराणसी में स्थित ओल्ड डफरिन ब्रिज भले ही आज आधुनिक युग की निशानी बन चुका हो, लेकिन भारतीय रेलवे की तरह इस पुल का इतिहास भी काफी पुराना है। इस तस्वीर में ओल्ड डफरिन ब्रिज का एक खूबसूरत दृश्य देखा जा सकता है, हालांकि अब इस पुल को मालवीय ब्रिज के नाम से जाना जाता है।
ग्यारवीं तस्वीर
भारत में रेलवे का निर्माण अंग्रेजों द्वारा करवाया गया था, इसलिए ट्रेन की तीसरी श्रेणी में भारतीयों को यात्रा करने की इजाजत दी जाती थी। यह तस्वीर ट्रेन थर्ड क्लास में यात्रा करने वाले यात्रियों और उनकी मुश्किलों को दर्शाती है।
बाहरवीं तस्वीर
यह तस्वीर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता शहर में खींची गई थी, जिसमें एक पुराने रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के आवागम के दृश्य को देखा जा सकता है।
तेरहवीं तस्वीर
प्राचीन भारत में ट्रेन को चलाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण और मेहनत भरा काम था, क्योंकि भारतीय मजदूरों को कोयले को रेलगाड़ी में भरने में बहुत ज्यादा श्रम करना पड़ता था। यह तस्वीर भारतीय नागरिकों की मेहनत और कोयले से चलने वाली ट्रेन को दर्शाती है।
चौदहवीं तस्वीर
यह तस्वीर भारत के सबसे पुराने रेलवे स्टेशनों में से एक रॉयपुरम स्टेशन की है, जिसे साल 1856 में मद्रास प्रेसीडेंसी में खोला गया था। इस स्टेशन को भारतीय रेलवे का दादा जी भी कहा जा सकता है, क्योंकि यह स्टेशन आज भी कार्यरत है।
पंद्रहवीं तस्वीर
कोलकाता का हावड़ा रेलवे स्टेशन न जाने कितने ही यात्रियों का सफर पूरा करता है, ऐसे में इस स्टेशन का इतिहास भी बेहद पुराना है। यह तस्वीर साल 1900 से 1908 के बीच हावड़ा स्टेशन के पुनर्निर्माण को दर्शाती है।
सोलहवीं तस्वीर
आज की आधुनिक ट्रेन में एसी कोच बहुत ही शानदार होते हैं, लेकिन भारत की प्राचीन रेलगाड़ी में एसी कोच का नजारा कुछ ऐसा हुआ करता था। उस समय एसी कोच को एसी कार चेयर के नाम से जाना जाता था।
सत्रहवीं तस्वीर
भारत में रेलवे की शुरुआत के साथ ही उसे एक शहर से दूसरे शहर तक जोड़ने का काम शुरू कर दिया गया था, जिसके तहत नदियों के ऊपर पुलों का निर्माण किया गया। इस तस्वीर में 20वीं शताब्दी के दौरान फिल्लौर में नए सतलुज ब्रिज के निर्माण को देखा जा सकता है।
अठाहवीं तस्वीर
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से लगभग हर राज्य की ट्रेन मिल जाती है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आज से सालों पहले यह स्टेशन कैसा दिखाई देता था। अगर नहीं… तो इस तस्वीर में आप पुराने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की एक झलक देख सकते हैं।
उन्नीसवीं तस्वीर
यह शानदार फोटो कालका-शिमला रेलवे के बीच बिछाई गई पटरियों को दर्शाती है, जिसे नैरो गेज सेक्शन के अंतर्गत 4-स्तरीय आर्य ब्रिज के रूप में जाना जाता था।
बीसवीं तस्वीर
यह तस्वीर प्राचीन भारत की आधुनिक सोच को दर्शाने के लिए काफी है, क्योंकि उस दौर में भी रेलवे के जरिए विज्ञापन दिए जाते थे और लोगों को जागरूक किया जाता था। इस तस्वीर में ट्रेन में परिवार नियोजन का विज्ञापन छपा हुआ है, जो कपल्स को दो से तीन बच्चे पैदा करने की सीख देता है।
आज भले ही भारतीय रेलवे की रूप रेखा काफी हद तक बदल गई है और रेलवे स्टेशन भी बहुत ज्यादा आधुनिक हो गए हैं, लेकिन इन पुरानी तस्वीरों के जरिए भारतीय नागरिकों को भारत के बनते और सवंरते इतिहास को देखने का मौका मिलता है।