Vertical Gardening: वर्तमान समय में हर क्षेत्र में तकनीकी इतनी बढ़ गई है कि किसी भी काम को करना बहुत आसान हो गया है। चाहे वह कला क्षेत्र हो या विज्ञान का या फिर कृषि का। बात अगर कृषि क्षेत्र की-की जाए तो अब किसानों के लिए भी कई ऐसी तकनीकोंं का विकास हो गया है, जिससे खेती करना बहुत आसान हो गया है। इन्हीं तकनीकों में एक तकनीक का नाम है Vertical Gardening.
सबसे अच्छी बात तो यह है कि अब अगर आपको हरी सब्जियाँ खरीदनी है तो आपको बाज़ार जाने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि “केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान” (ICAR) ने एक ऐसी तकनीक को विकसित किया है जिसके द्वारा आप अपने घरों की दीवारों पर जैविक सब्जियाँ उगा सकते हैं। इस तकनीक को दीवार पर सब्जी उगाना यानी (Vertical Gardening) कहा जाता है। इस तकनीक की सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें आपको सब्जियाँ उगाने के लिए मिट्टी की भी ज़रूरत नहीं है। जिससे आप अपने पैसे की बचत भी कर सकते हैं।
यह है तकनीक (What is Vertical Gardening)
Vertical Gardening में मिट्टी की जगह एक विशेष हल्का मिश्रण और कंटेनर तैयार किया जाता है। इसमें पीवीसी पाइप काटकर स्ट्रक्चर तैयार किया जाता है और उसमें कोकोपीट, वर्मिकुलाइट और परलाइट का मिश्रण मिलाया जाता है। आपको बता दें कि यह मिश्रण बिल्कुल भी हानिकारक नहीं होता है और इसका वज़न मिट्टी से भी हल्का होता है, इसलिए इसे आसानी से छत या घर की दीवारों पर रखा जा सकता है।
सीलन आने का कोई ख़तरा नहीं
कृषि वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि ज्यादातर लोग घरों की दीवारों पर सजावटी पौधें का उपयोग करते हैं। जिसे कई रेडीमेड प्लास्टिक के कंटेनर के जरिए लगाया जाता है। सब्जियों को दीवार पर लगाने के लिए सबसे पहले एक कंटेनर तैयार किया गया है और इसे दीवारो के सहारे खड़ा किया जाता है। इस कंटेनर को इस तरीके से तैयार किया जाता है कि उसमें भरी मिट्टी या विशेष मिश्रण दीवारो को टच नहीं करे।
Vertical Gardening तकनीक की ख़ास बात यह है कि इस पर सीलन आने का कोई ख़तरा नहीं होता है। इसके उपयोग से बिना मिट्टी के ही अनेक प्रकार की सब्जियाँ उगाई जा सकती हैं, जैसे-प्याज, पालक, मेथी, सलाद, चुकंदर इत्यादि। इस खेती में कीटनाशक दवाइयों का उपयोग भी नहीं करना पड़ता है।
इसके लिए कौन-सा मौसम उपयुक्त है?
ऐसा माना जाता है कि बारिश के मौसम में दीवारो पर सब्जियाँ उगाना उपयुक्त है। Vertical Gardening तकनीक से कई फसलों को स्थान और वातावरण के अनुसार उगाया जा सकता है। इसमें उगाई गई सब्जियों को सड़ने का ख़तरा नहीं होता है और किसानों या लोगों का नुक़सान भी कम होता है।