The Indian Kiryana Company- कहते हैं कि जब हम किसी काम के पीछे जी जान से जुट जाते हैं, तो पूरी कायनात हमारे उस काम की सफल बनाने में जुट जाती है। भले ही वह काम किसी भी क्षेत्र से क्यों ना जुड़ा हो। पर यदि उसमें हमने ईमानदारी और जी जान से मेहनत की है तो सफलता ज़रूर मिलती है।
ऐसा ही कुछ यूपी के सहारनपुर के रहने वाले एक युवक के साथ हुआ है। वैभव को अपने पिता संजय अग्रवाल से जो किराने की दुकान विरासत में मिली, वो 10X20 स्क्वैयर फीट की थी लेकिन बेटे ने दुकान में ऐसा परिवर्तन किया कि फिर मानो दुकान को पंख लग गए। आइए जानते हैं कि क्या है इस बेटे की कहानी और कैसे दुकान से शुरू कर दिया इसने स्टार्टअप की कामयाबी का सफर।
वैभव अग्रवाल ने किया ये कमाल (Vaibhav Agarwal)
इस लड़के का नाम वैभव अग्रवाल (Vaibhav Agarwal) है। वैभव के पिता संजय अग्रवाल सहारनपुर में एक छोटी-सी किराना की दुकान चलाते थे। जिस पर सभी घरेलू चीजें बेचा करते थे। साल 2013 तक वैभव भी कॉलेज के साथ अपने पिता के काम में हाथ बटाते थे। लेकिन 2013 में वैभव का कॉलेज में ही प्लेसमेंट हो गया। जिसके बाद वह मैसूर चले गए। करीब एक साल उन्होंने रिटेल मार्केटिंग में गहराई से रिसर्च वर्क किया। क्योंकि उनकी प्लेसमेंट एक मल्टीनेशनल कंपनी में हो गया था। इस दौरान उन्होंने पाया कि हर एक किलोमीटर पर किसी भी प्रोडक्ट की पैकिंग से लेकर रंग आकार और कई बार रेट तक बदल जाता है। ये सब उन्हें मिक्स मार्केटिंग के जरिए सीखने को मिला था।
एमबीए तक की है पढ़ाई
वैभव अग्रवाल ने एमबीए (MBA) तक पढ़ाई की है। 2015 में दिल्ली के एक काॅलेज से उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट में मास्टर्स किया हुआ है। यहाँ एकेडमिक और फैकल्टी की मदद से उन्होंने शोध पर पूरा काम किया। जिसके बाद साल 2018 में अपने पिताजी की दुकान संभालने फिर से वह घर आ गए। इस दौरान तक वह मार्केटिंग के सभी गुर सीख चुके थे।
जब ख़ुद संभाली दुकान
इनके पिताजी की दुकान इन्हें विरासत स्वरूप मिल गई। मार्केटिंग के तमाम अनुभवों से गुजर चुके वैभव ने दुकान में कुछ अनोखा करने का सोचा। इस दौरान उन्होंने दुकान के रंग रूप और सामानों में बदलाव किया। जिन सामानों की मांग कम थी उन्हें हटा दिया गया। महंगे उत्पादों के बदले उनके सस्ते विकल्प उत्पाद लेकर आए। स्टोर में नए तरीके से लाइटिंग और पेंटिंग की गई। ताकि ग्राहक आकर्षित हो सकें।
लोगों ने बनाया ख़ूब मजाक (The Indian Kiryana Company)
वैभव जब ये सब कर रहे थे तो लोग उन पर ख़ूब हंस रहे थे। छोटी-सी दुकान को वैभव मानो कंपनी का रूप देना चाहते थे। इसी कड़ी में उन्होंने 10×20 की दुकान को ‘The Kirana store Company‘ का नाम दे दिया। उनकी कामयाबी को देखते हुए आज उनसे करीब सौ लोग जुड़ चुके हैं। जो वैभव के साथ मिलकर साथ काम कर रहे हैं वह भी आज अपनी किराना स्टोर को ‘स्मार्ट स्टोर’ (Smart store) का रूप दे चुके हैं। इससे उनकी भी आमदनी में बढ़ोत्तरी हो गई है।
एक ही साल के अंदर वैभव को अपने दुकान से 8 गुणा अधिक कमाई हुई। इस कमाई को देखने के बाद सभी पुराने किराना स्टोर की वह काया पलटने लगे। उनकी नई सोच से एक तरफ किराना मालिकों को ऊंचे दाम और अच्छा मुनाफा मिल रहा है वहीं ग्राहकों को भी प्रोडक्ट्स लेने में सुविधाएं हो रही है. मार्च 2020-21 तक इसके बढ़कर 5 करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है।