अक्सर आपने लोगों को कहते हुए सुना होगा कि “गांव में क्या रखा है?” उन्हें लगता है कि गाँव में रोजगार नहीं हैं। खासतौर पर पढ़े-लिखे युवाओं के यह धारणा रहती है। यही वज़ह है कि वह गाँव से पलायन कर शहरों में चले जाते हैं। देखा जाए तो गाँव के पिछड़े होने की यही वज़ह है कि युवा लोग अपनी गाँव की मिट्टी को छोड़कर शहरों की चकाचौंध से आकर्षित होकर वही बस जाते हैं। हालांकि अब जमाना बदल रहा है और बहुत से युवा अब गाँव में रहते हुए नई तकनीकों का उपयोग करके खेती या अन्य व्यवसाय कर रहे हैं।
हम बहुत से ऐसे लोगों की वास्तविक जीवन की कहानियाँ सुनते और पढ़ते हैं, जिसमें उन्होंने शहरों में अपनी अच्छी खासी नौकरियाँ या काम छोड़कर गाँव की तरफ़ रुख किया है। वे गाँव के प्राकृतिक संसाधनों का नए तरीकों से उपयोग करके अपना व्यवसाय शुरू करते हैं और उन्हें ना केवल मानसिक संतुष्टि मिलती है बल्कि अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं। ऐसी ही एक महिला हैं उत्तराखंड की श्वेता तोमर (Sweta Tomar) , जिन्होंने फ़ैशन डिजाइनिंग छोड़कर गाँव में रहते हुए बकरी पालन का छोटा-सा व्यवसाय शुरू किया था और आज लाखों रुपए कमा रही हैं। चलिए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं…
श्वेता तोमर (Sweta Tomar) का परिचय
श्वेता का जन्म उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के एक गाँव रानीपोखरी में हुआ था। इनके गाँव में रोजगार खोजने के लिए प्रति माह हजारों की तादाद में लोग शहर की तरफ़ पलायन कर लेते हैं। हालांकि श्वेता के पिताजी यही चाहते थे कि गाँव में रहते हुए वे कोई ऐसा बिजनेस स्थापित करें, जिससे वहाँ के युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकें। जब उनके पिताजी अपना व्यापार स्थापित करने में सफल नहीं हो सके, तो श्वेता के मन में कहीं ना कहीं अपने पिता का सपना पूरा करने की इच्छा थी।
फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया और अपना बुटीक खोला
फैशन डिजाइनिंग में श्वेता की बहुत रुचि थी, इसलिए साइंस से ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद उन्होंने निफ्ट से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया। फिर कुछ वर्षों तक नोएडा व दिल्ली में फैशन इंडस्ट्री में भी काम किया। इसी दौरान वे मिस चंडीगढ़ के लिए भी चयनित हुईं, पर फिर उनका विवाह हो गया और वे बेंगलुरु चली गईं। बेंगलुरु में रहते हुए उन्होंने अपने पति की मदद से एक बुटीक की शुरुआत की। बुटीक से उनकी अच्छी कमाई हो रही थी, परन्तु अपने पिताजी का सपना पूरा करने की इच्छा अभी भी उनके मन में थी जिसे पूरा करने के लिए श्वेता गाँव जाना चाहती थीं।
फैशन डिजाइनिंग छोड़ गाँव में शुरू किया बकरी पालन (Sweta Tomar Goat Farming Business)
फिर एक दिन श्वेता के मन में एक विचार आया, जिसके तहत उन्होंने गाँव में अपना फार्म शुरू करने का सोचा, फिर उन्होंने अपना यह विचार अपने पति के साथ शेयर किया। वैसे यह बात अविश्वसनीय लगती है कि फैशन डिजाइनिंग छोड़कर भी कोई गाँव में बकरी पालन कर सकता है, परन्तु श्वेता ने लोगों की इस धारणा को ग़लत साबित किया।
श्वेता कहती हैं कि जब मैंने अपने पति को अपना यह विचार बताया तो उनको भी अच्छा लगा। इसके बाद हमने गाँव वापस जाने का फ़ैसला कर लिया। गाँव जाकर उन्होंने अपनी जमापूंजी से रानीपोखरी में बकरी पालन के छोटे से व्यवसाय की शुरुआत की। वे अपना व्यवसाय बढ़ाना चाहते थे, इसलिए बैंक से लोन लेकर बिजनेस में इन्वेस्टमेंट किया। फिर उन्होंने ‘प्रेम एग्रो’ नाम से एक कंपनी स्थापित की तथा एक ऐसा फार्म शुरू किया, जो सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाओं से युक्त था। उनके फार्म में बकरी पालन के लिए प्लेटफार्म बनाया गया था और वहाँ हाई टेक्निक के CCTV कैमरे से फार्म पर निगरानी रखी जाती है।
सालाना 3-4 लाख की होती है कमाई
वर्तमान में श्वेता ने अपने फार्म में 400 से भी अधिक बकरियाँ पाल रखी हैं और अपने इस व्यवसाय को डेयरी बिजनेस से भी जोड़ा है। इसके साथ ही अब वे अपने कारोबार को बढ़ाते हुए मुर्गी और गाय भी पालने की तैयारी कर रही हैं। अपने इस कारोबार से उनको साल में 3-4 लाख की कमाई हो जाती है।
श्वेता ने जो सोचा, उसे पूरा किया और निरन्तर आगे बढ़ने को प्रयासरत हैं। परन्तु यह सफलता उन्हें आसानी से नहीं मिली। फैशन डिजाइनिंग का शानदार करियर छोड़ने का फ़ैसला करना उनके लिए काफ़ी मुश्किल रहा होगा। जिस वक़्त उन्होंने गाँव में फ़ार्म शुरु करने को कहा तो बहुत से लोगों ने उन्हें डिमोटीवेट किया और कहा कि यह व्यवसाय ज़्यादा नहीं चलेगा, परन्तु फिर भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने फैसले पर अडिग रहीं।
ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन भी करती हैं श्वेता
आपको बता दें कि श्वेता गाँव से युवा व्यक्तियों के पलायन को रोकने हेतु ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन भी किया करती हैं। जिसके तहत हर व्यक्ति उनसे बकरी पालन, डेयरी व्यवसाय या मुर्गी पालन जैसे व्यवसायों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। सिर्फ़ गाँव में ही नहीं, बल्कि श्वेता शहरों में भी लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना चाहती हैं, इसलिए वे अपने बिजनेस को दूसरे शहरों में भी फैला रही हैं।
श्वेता तोमर (Sweta Tomar) जैसी आधुनिक सोच यदि सभी युवाओं की हो जाए तो शायद कोई व्यक्ति गाँव से पलायन करने की बात नहीं कहेगा।