भारत समेत पूरी दुनिया में मौत का तांडव करने वाले को रोना ने न सिर्फ़ लाखों लोगों की जान ली, बल्कि असंख्या लोगों को बेरोजगार भी कर दिया। इस महामारी को फैलाने से रोकने के लिए सरकार को लॉकडाउन लगाना पड़ा, जिसने व्यापारी वर्ग से लेकर मज़दूर तक हर व्यक्ति की कमर तोड़कर रख दी।
सुरक्षा के लिहाजा से उठाया गया यह क़दम गरीब परिवारों के भुखमरी का फ़ैसला बन गया, क्योंकि लॉकडाउन में काम न मिलने की वज़ह से कई लोग बेरोजगार हो चुके हैं। ऐसे में एक बेटी ने मुश्किल समय में परिवार का जिम्मेदारी उठाने लिए फूड डिलीवरी का काम शुरू कर दिया, जिसकी वज़ह से आज पूरे राज्य में उसकी चर्चा हो रही है।
Odisha: Bishnupriya Swain, a student in Cuttack picked food delivery work after her father lost job amid pandemic
— ANI (@ANI) June 10, 2021
"I was taking tuitions.During COVID students weren't coming to class. We were facing financial issues. I joined Zomato to support my education&family,"she said y'day pic.twitter.com/TGfBPZDvZm
पिता की नौकरी जाने पर संभाली जिम्मेदारी
ओडिशा की रहने वाली विष्णुप्रिया यूं तो उम्र में सिर्फ़ 18 साल की हैं, लेकिन उन्होंने अपने कंधों पर परिवार का भरण पोषण करने की ज़िम्मेदार उठा रखी है। विष्णुप्रिया पढ़ाई करके डॉक्टर बनना चाहती है, लेकिन कोरोना काल में उनके पिता जी नौकरी छूट गई। परिवार को संकट की इस स्थिति बाहर निकलने के लिए विष्णुप्रिया ने नौकरी खोजना शुरू कर दिया, जिसके बाद उन्हें जोमैटो से इंटरव्यू कॉल आया। विष्णुप्रिया ने फूड डिलीवरी ऐप जोमैटो में इंटरव्यू दिया और उन्हें नौकरी मिल गई, लेकिन यह नौकरी घर-घर खाना डिलीवर करने की थी।
आत्मविश्वास के सहारे उठाया बड़ा कदम
विष्णुप्रिया को जोमैटो में खाना डिलीवर करने की नौकरी तो मिल गई थी, लेकिन उन्हें बाइक चलना नहीं आता था। इसके साथ ही उन्हें इस काम की कोई ख़ास जानकारी भी नहीं थी, लेकिन विष्णुप्रिया के हौंसले बुलंद थे लिहाजा उन्होंने जोमैटो के साथ काम करने का मन बना लिया। इसके लिए विष्णुप्रिया ने अपने पिता से मदद ली और उनसे बाइक चलाना सीखा, जिसके बाद विष्णुप्रिया घर-घर जाकर खाना डिलीवर करने लगी। विष्णुप्रिया को खाना डिलीवर करने में कोई शर्म नहीं आती है, क्योंकि उनके लिए परिवार की ज़रूरतों को पूरा करना ज़रूरी है।
आपको बता दों कि विष्णुप्रिया का कोई भाई नहीं है, जिसकी वज़ह से वही अपने माता पिता की जिम्मेदारी उठा रही है। विष्णुप्रिया फूड डिलीवरी के काम से पहले आसपास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर घर ख़र्च के पैसे इकट्ठा करती थी, लेकिन लॉकडाउन की वज़ह से बच्चों ने ट्यूशन आना छोड़ दिया। जिसकी वज़ह से विष्णुप्रिया के पास आमदनी का कोई विकल्प नहीं बचा, इसलिए उन्हें फूड डिलीवरी की जॉब शुरू करने पड़ी।
विष्णुप्रिया की माँ का कहना है कि हमारा कोई बेटा नहीं है, ऐसे में विष्णुप्रिया ही हमारा बेटा है। उसने पिता की नौकरी जाने के बाद परिवार का ख़र्च उठाया है और हमारा सहारा भी बन रही है। विष्णुप्रिया नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई का भी पूरा ध्यान रखती है, ताकि आगे चलकर वह डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी कर सके।
इसके साथ ही विष्णुप्रिया ज़रूरत पड़ने पर घर के कामों में भी अपनी माँ की मदद करती है, क्योंकि वह जानती है कि अकेले घर का सारा काम निपटाना बहुत मुश्किल है। विष्णुप्रिया के इसी हौंसले की वज़ह से पूरे ओडिशा में उनकी चर्चा हो रही है और हर कोई यही कह रहा है कि बेटी हो, तो ऐसी।