किसी भी बच्चे को शिक्षित करने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है, जो अपने ज्ञान से लाखों बच्चों के जीवन को न सिर्फ संवारते हैं बल्कि जीवन में बेहतर करने के लिए उनका मार्गदर्शन भी करते हैं। लेकिन उम्र का असर शिक्षक पर भी होता है, जिसकी वजह से एक समय बाद शिक्षक बच्चों को शिक्षा देना छोड़ देता है।
हालांकि आज हम आपको एक ऐसी टीचर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो 100 साल की उम्र में भी बच्चों को पढ़ाती हैं और उन्हें शिक्षा के मार्ग पर चलने की सीख देती हैं। हम बात कर रहे हैं टीचर लक्ष्मी की, जो सफेद बाल और चेहरे पर झर्रियों के साथ बच्चों को पढ़ाती हैं।
100 साल की उम्र पार कर चुकी है शिक्षिका
तमिलनाडु के उडुमालपेट (Udumalaipet, Tamil Nadu) से ताल्लुक रखने वाली लक्ष्मी (Lakshmi) पेशे से एक टीचर हैं, जिनकी उम्र 100 साल हो चुकी है। लेकिन वह अब भी रोज सुबह बालकृष्ण स्ट्रीट पर मौजूद अपने घर पर स्कूली बच्चों को ट्यूशन देती हैं, जो उनके जज्बे और जुनून की जीती जागती मिसाल है। इसे भी पढ़ें – पति की मौत के बाद महिला किसान बन कर संभाली 13 एकड़ खेत की कमान, अपनी मेहनत से कमाए 30 लाख रुपये
लक्ष्मी का जन्म साल 1923 में मद्रास प्रेसिडेंसी के हिंदुपुर में हुआ था, जिन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद साल 1942 में बतौर टीचर अपने करियर की शुरुआत की थी। लक्ष्मी ने साल 1942 में गोबीचेट्टीपलयम में स्थित शारदा विद्यालय में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था।
तब से लेकर अब तक लक्ष्मी स्कूली बच्चों को शिक्षित करती आई हैं, हालांकि वह साल 1981 में टीचर के पद से रिटायर हो चुकी थी। लेकिन इसके बावजूद भी लक्ष्मी के मन में बच्चों को पढ़ाने का शौक जिंदा था, लिहाजा उन्होंने अपने घर पर ही स्कूली बच्चों को ट्यूशन देना शुरू कर दिया।
टीचर लक्ष्मी ने बचपन से ही अपने जीवन में संघर्ष देखा है, क्योंकि जब वह 4 साल की थी तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। ऐसे में लक्ष्मी की मां ने अकेले उनका पालन पोषण किया था, जिसके बाद लक्ष्मी ने अपनी मां को देखते हुए आत्म निर्भर बनने का फैसला किया था।
8वीं कक्षा तक के बच्चों को देती हैं ट्यूशन
100 वर्षीय लक्ष्मी 1 से 8वीं कक्षा तक के बच्चों को सभी विषयों में ट्यूशन देती हैं, लेकिन उन्हें हिंदी भाषा और विषय से खास लगाव है। लक्ष्मी को टीचिंग में लगभग 80 साल का एक्सपीरियंस है, ऐसे में उनसे ट्यूशन लेने वाले हर छात्र को हिंदी समेत अन्य विषयों के एग्जाम में अच्छे अंक प्राप्त होते हैं।
लक्ष्मी ने साल 1949 में सी. पी. सुंदरेस्वरन से शादी की थी, जो कि पेशे एक शिक्षक थे। ऐसे में लक्ष्मी और उनके पति ने साथ मिलकर उडुमालपेट के कराट्टूमदम में स्थित गांधी कला निलयम में बच्चों को पढ़ाने काम शुरू कर दिया था, हालांकि साल 1981 में लक्ष्मी गांधी कला निलयम से रिटायर हो गई थी।
ऐसे में उन्होंने टीचर के पद से रिटायर होने के बाद स्कूली बच्चों को घर पर हिंदी का ट्यूशन देना शुरू कर दिया, जिससे बच्चों की हिंदी भाषा में सुधार हुआ और उनकी हिंदी की लिखावट और मात्राओं की गलतियां भी ठीक होती चली गई। लक्ष्मी को हिंदी भाषा का खास लगाव है, इसलिए वह चाहती है कि वो हर बच्चे को हिंदी भाषा का भरपूर ज्ञान प्रदान कर सके। इसे भी पढ़ें – भारत की पहली महिला रेसलर, जिसने सूट सलवार पहनकर WWE में किया था देश का प्रतिनिधित्व