Story of Pulse Candy- 80-90 के दशक में लगभग हर बच्चा कैंडी यानी टॉफी खाने का शौकीन हुआ करता था, क्योंकि उस दौर में बाज़ार में विभिन्न प्रकार की चॉकलेट नहीं मिलती थी। ऐसे में 1 रुपए में आने वाली खट्टी मीठी टॉफी जन्मदिन से लेकर खेल जीतने की खुशी में खाई और खिलाई जाती थी। लेकिन बदलते दौर के साथ बाजारों से टॉफी की विभिन्न कंपनियाँ गायब होती चली गई और उनकी जगह चॉकलेट के ब्रांड्स ने ले ली, ऐसे में 2000 के दशक में दुकान पर कैंडी मिलना भी मुश्किल हो गया था।
हालांकि पल्स कैंडी ने बाज़ार से टॉफी के प्रचलन को गायब नहीं होने दिया, जिसकी वजह से आज वह 21वीं सदी की सबसे ज्यादा खाई जाने वाली प्रसिद्ध कैंडी बन चुकी है। आम का स्वाद देने वाली पल्स कैंडी में जब अचानक मसाला आता है, तो उसे खाने वाले हर व्यक्ति के मुंह से चटकारा निकलना लाजमी है।
आइए जानते हैं पल्स कैंडी को बाज़ार में उतारने वाली इस कंपनी के बारे में, जिसने 80 और 90 के दशक की यादों को ताजा करने और नई पीढ़ी को टॉफी का स्वाद याद दिलाने का काम किया है।
कौन-सी कंपनी बनती है Pulse Candy?
अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक हैं, जिन्होंने पल्स टॉफी खाई है लेकिन उसे बनाने वाली कंपनी का नाम नहीं जानते हैं तो इस आर्टिकल को आखिर तक जरूरत पढ़े। दरअसल Pulse Candy का निर्माण करने वाली कंपनी का नाम DS Group है, जिसकी शुरुआत साल 1929 में की गई थी।
यह कंपनी लगभग 90 सालों से भारतीय बाज़ार में राज कर रही है, जिसने Pulse Candy के अलावा कई सारे प्रोडक्ट्स बनाने का काम किया है। आप जितने भी Catch के खाद्य पदार्थ इस्तेमाल करते हैं, उसे DS Group द्वारा ही तैयार किया जाता है। इसके अलावा यह कंपनी पास-पास, चिंग्ल्स, रजनीगंधा और बाबा इलायची जैसी माउथ फ्रेशिनिंग प्रोडक्ट्स और कैंडीज़ आदि का भी निर्माण करती है, जिसकी वजह से कंपनी द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट्स भारतीय बाज़ार में धूम मचा रहे हैं।
बढ़ते कॉम्पिटिशन के चलते बनाई गई थी Pulse Candy
भले ही DS Group भारत की पुरानी कंपनियों में से एक है, लेकिन बदलते दौर के साथ इस कंपनी को कॉम्पिटिशन का सामना करना पड़ा था। ऐसे में 8 सालों तक जारी रहे कॉम्पिटिशन की वजह से कंपनी ने मार्केट में नया प्रोडक्ट लॉन्च करने का फैसला किया। इसके लिए कंपनी ने कई महीनों तक ग्राहकों की पसंद पर रिसर्च की, ताकि यह पता लग सके कि आम इंसान क्या खाना चाहता है। ऐसे में रिसर्च के बाद कंपनी ने बाज़ार में कैंडी लाने का फैसला किया, जो काफी रिस्की कदम था।
कंपनी को पता चल गया था कि भारतीयों को कच्चे आम से बने प्रोडक्ट्स या उसके स्वाद से मिलती जुलती चीजें खाना पसंद है। ऐसे में DS Group ने पल्स की मैंगो फ्लेवर वाली कैंडी का निर्माण किया, जिसे टेस्टिंग के बाद बाज़ार में भेजा गया था।
Pulse Candy बनाने का आइडिया
भारतीयों को कच्चे आम का स्वाद काफी पसंद है, जिसे खासतौर से गर्मियों के मौसम में नमक और मसाले के साथ लगाकर खाया जाता है। कंपनी ने भारतीयों की इस पसंद को अपने बिजनेस में तब्दील करने का फैसला किया और कैंडी का 50 प्रतिशत हिस्सा कच्चे आम से तैयार किया जाता है।
इस तरह Pulse Candy के ऊपर भाग को कच्चे आम के फ्लेवर के साथ तैयार किया गया, जबकि अंदरूनी हिस्से में एक स्वादिष्ट मसाला डाल दिया गया। इस तरह पल्स के खट्टे स्वाद का मजा ले रहे लोगों की जुबान पर अचानक से मसाले का स्वाद आ जाता है, जो कैंडी को अलग फ्लेवर देता है।
साल 2013 में Pulse Candy का पहला बैच बनाया गया था, जिसके बाद दो साल की तैयारी के बाद साल 2015 में टॉफी को बाज़ार में लॉन्च किया गया था। इस तरह Pulse Candy का बिजनेस पहले शहरों में तेजी से फैलने लगा और बाद में देखते ही देखते गांवों में भी Pulse Candy का स्वाद लोगों को पसंद आने लगा था।
महज एक साल में बुलंदियों पर पहुँची Pulse Candy
इस तरह आम के फ्लेवर से तैयार की Pulse Candy को बाद में अलग-अलग फ्लेवर के साथ बाज़ार में लॉन्च किया गया, जो लोगों को काफी ज्यादा पसंद आए। इस तरह देखते ही देखते Pulse Candy की बाज़ार में मांग बढ़ने लगी, जिसकी वजह से सिर्फ 1 साल में ही पल्स कैंडी का प्रॉफिट 80 प्रतिशत तक बढ़ गया था।
इस उपलब्धि के बाद कंपनी ने पल्स कैंडी की प्रोडक्शन बढ़ाने और उसे बड़े लेवल पर लॉन्च करने का फैसला किया, ताकि पल्स की पहुँच भारत के हर शहर और गाँव तक हो। इसके बाद पल्स कैंडी के एड टेलीविनज पर आने लगे, जिसकी वजह से पल्स की मार्केट वैल्यू कई गुना बढ़ गई।
हर दुकान पर मिलती है Pulse Candy
टेलीविजन पर विज्ञापन देने के बाद Pulse Candy के प्रति लोगों की दीवानी और भी ज्यादा बढ़ गई थी, जिसके बाद छोटी से छोटी दुकान से लेकर किनारा स्टोर और सिगरेट के खोखे पर भी पल्स कैंडी बेची जाने लगी थी। इस तरह महज 5 सालों के अंदर Pulse Candy ने अपने चटपटे स्वाद के चलते लोगों के दिलों में अपनी अलग जगह बना ली थी, जिसकी वजह से पल्स भारत की नंबर वन कैंडी है।
आपको जानकर है रानी होगी कि साल 2016 में पल्स कैंडी का प्रोडक्शन 1,200 से 1,300 टन प्रति माह तक पहुँच गया था, जो साल दर साल दोगुना तेजी से बढ़ता जा रहा है। पल्स कैंडी बाज़ार में लॉन्च होने के सिर्फ 1 साल बाद ही 100 करोड़ की कंपनी में तब्दील हो गई थी और आज इस ब्रांड की मार्केट वैल्यू इतनी बढ़ चुकी है कि कई छोटी कंपनियाँ पल्स की कॉपी करके नकली टॉफी बना रही हैं।
हालांकि ग्राहकों को पल्स का स्वाद इतना ज्यादा पसंद है कि उन्हें नकली और असली Pulse Candy के बीच का स्वाद अच्छी तरह से पता है। इतना ही नहीं ग्राहकों ने नकली Pulse Candy या उससे मिलते जुलते स्वाद वाली कैंडीज को खाने से साफ इंकार भी कर दिया था।
आज Pulse Candy के चलते DS Group भारत की नामीं कंपनियों को बाज़ार में टक्कर दे रहा है, जिसकी वजह से इंडियन कैंडी मार्केट में यह कंपनी तीसरे पायदान पर मौजूद है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले सालों में DS Group कौन से नए स्वाद वाले प्रोडक्ट्स बाज़ार में लॉन्च करेगा।